जम्मू : मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने बुधवार को कहा कि निर्वाचन आयोग समय आने पर चुनावी बॉण्ड से जुड़े सभी विवरण का खुलासा करेगा. उन्होंने उक्त बातें मीडिया से बात करते हुए कहीं. यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण चुनाव आयोग को जमा करने का निर्देश देने के मद्देनजर आया है. सीईसी ने कहा कि एसबीआई को 12 मार्च तक डेटा जमा करना था. उन्होंने हमें समय पर विवरण दे दिया है. मैं वापस जाऊंगा और डेटा को देखूंगा (और) निश्चित रूप से समय पर इसका खुलासा करूंगा.
लोकसभा चुनाव के लिए जम्मू कश्मीर में चुनावी तैयारियों पर जम्मू में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, पोल पैनल प्रमुख ने केंद्रशासित प्रदेश में लोकसभा चुनाव की योजनाओं की जानकारी दी. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ईसीआई विधानसभा चुनावों के बारे में भी समान रूप से चिंतित है. उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में आया और 2022 में परिसीमन स्वीकार कर लिया गया, तो चुनाव कैसे हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में देरी ईसीआई की ओर से नहीं है.
साथ ही चुनाव आयुक्त ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 85 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों और दिव्यांगों को घर पर मतदान की सुविधा प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 'वॉलेट' के माध्यम से ऑनलाइन नकद हस्तांतरण पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी. इसके अलावा सभी उम्मीदवारों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाएगी और केंद्रीय बलों की तैनाती की जाएगी. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि फर्जी खबरों की रोकथाम के लिए सभी जिलों में सोशल मीडिया प्रकोष्ठ स्थापित किए जाएंगे.
बता दें कि सीईसी मंगलवार से जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर थे, जहां उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व के अलावा सुरक्षा अधिकारियों समेत अन्य अधिकारियों से मुलाकात की. राजनीतिक दलों ने आयोग से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का अनुरोध किया था. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से केंद्र शासित प्रदेश में अभी तक विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं. जम्मू-कश्मीर में 2018 से निर्वाचित सरकार के बिना शासन किया जा रहा है, जब भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ गठबंधन सरकार से हाथ खींच लिया था. जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था जब पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और पार्टी और लोगों की नाराजगी के बावजूद उसने बीजेपी का साथ दिया था.
ये भी पढ़ें - Watch : कश्मीर में ECI टीम, राजनीतिक दलों ने की विधानसभा चुनाव की मांग