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यूपी जैसे उपकरण उत्तराखंड के पास हों तो जंगल की आग पर काबू पाना होगा आसान : डिप्टी डायरेक्टर - UTTARAKHAND Fire Team in UP

उत्तराखंड फायर विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसके राणा (Deputy Director of Uttarakhand) ने बुधवार को लखनऊ के हजरतगंज फायर स्टेशन का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने यूपी फायर सर्विस की कार्यप्रणाली की बारीकियों को समझा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 15, 2024, 3:57 PM IST

लखनऊ : उत्तराखंड के डिप्टी डायरेक्टर अग्निशमन विभाग एसके राणा बुधवार को लखनऊ के हजरगतंज फायर स्टेशन पर फायर सेफ्टी उपकरणों को देखने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने यूपी फायर सर्विस की कार्यप्रणाली समझी और उसके उपकरणों को भी देखा.

इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास भी उत्तर प्रदेश फायर विभाग जैसे उपकरण और मैनपावर होते तो हम उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर जल्द से जल्द काबू पा लेते. बुधवार को उत्तराखंड फायर विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसके राणा लखनऊ के हजरतगंज फायर स्टेशन पहुंचे. यहां उन्होंने यूपी फायर सर्विस की कार्यप्रणाली की बारीकियों को समझा.

उन्होंने फायर स्टेशन में खड़ी हाइड्रोलिक, फायर टेंडर वाटर बाउजर को उत्तराखंड से बेहतर माना. इसके अलावा उन्होंने फायर विभाग के कंट्रोल रूम को भी देखा. उत्तराखंड के फायर डिप्टी डायरेक्टर एसके राणा ने बताया कि, उत्तर प्रदेश फायर विभाग के पास उत्तराखंड से ज्यादा आधुनिक फायर उपकरण मौजूद हैं.

उत्तराखंड में अप्रैल के पहले हफ्ते जंगलों में आग लगी थी.
आग लगने से 11 जिले प्रभावित हुए.
गढ़वाल मंडल के पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमौली, कुमाऊ मंडल के नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर शामिल हैं.
जंगलों में आग से झुलसने से 5 लोगों की मौत हुई है.
आग से करीब 1400 हैक्टेयर जंगल जल चुका है.

उन्होंने कहा कि यहां मैनपावर करीब 15 हजार की है जबकि, उनके राज्य में यही संख्या 1500 से 2 हजार तक की ही है. इसके अलावा यहां के हाइड्रोलिक 42 मीटर ऊंचाई के हैं, जबकि हमारे इससे छोटे हैं.

यूपी के पास अधिकतम 12 हजार लीटर और सबसे कम 450 लीटर के फायर टेंडर हैं, जबकि उत्तराखंड में 5 हजार लीटर से अधिक के फायर टेंडर नहीं हैं. इसके अलावा यहां कई ऐसे उपकरण मौजूद हैं जिनसे आग लगने की स्थिति में जल्द से जल्द रेस्क्यू कर आग पर काबू पाया जा सकता है. जैसे ट्रॉली माउंटेड फायर टेंडर, इमरजेंसी फायर इंजन मोटर बाइक और कई तरह के ड्रोन मौजूद हैं.

फायर डिप्टी डायरेक्टर एसके राणा ने कहा कि हाल ही में उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग, जो अब भी दहक रही है. यदि हमारे पास यूपी फायर सर्विस जैसे उपकरण और मैनपावर होती तो इस आग को विकराल रूप लेने से पहले ही काबू पा लेते.

जिससे हम अपनी वन संपदा और जीव जंतुओं को बचा सकते थे. ऐसे में अब हम कोशिश करेंगे कि हम उत्तर प्रदेश फायर सर्विस जैसे ही उपकरणों की खरीद करें ताकि भविष्य में ऐसी आग से निपटने के लिए उत्तराखंड फायर सर्विस हमेशा तैयार रहें.

यह भी पढ़ें : पिथौरागढ़ डिवीजन वनाग्नि के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील, कुमाऊं के वन प्रभागों में सबसे ज्यादा घटनाएं - UTTARAKHAND FOREST FIRE

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड : कहीं धधक रहे जंगल तो कहीं हो रही भारी बर्फबारी

लखनऊ : उत्तराखंड के डिप्टी डायरेक्टर अग्निशमन विभाग एसके राणा बुधवार को लखनऊ के हजरगतंज फायर स्टेशन पर फायर सेफ्टी उपकरणों को देखने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने यूपी फायर सर्विस की कार्यप्रणाली समझी और उसके उपकरणों को भी देखा.

इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास भी उत्तर प्रदेश फायर विभाग जैसे उपकरण और मैनपावर होते तो हम उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर जल्द से जल्द काबू पा लेते. बुधवार को उत्तराखंड फायर विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसके राणा लखनऊ के हजरतगंज फायर स्टेशन पहुंचे. यहां उन्होंने यूपी फायर सर्विस की कार्यप्रणाली की बारीकियों को समझा.

उन्होंने फायर स्टेशन में खड़ी हाइड्रोलिक, फायर टेंडर वाटर बाउजर को उत्तराखंड से बेहतर माना. इसके अलावा उन्होंने फायर विभाग के कंट्रोल रूम को भी देखा. उत्तराखंड के फायर डिप्टी डायरेक्टर एसके राणा ने बताया कि, उत्तर प्रदेश फायर विभाग के पास उत्तराखंड से ज्यादा आधुनिक फायर उपकरण मौजूद हैं.

उत्तराखंड में अप्रैल के पहले हफ्ते जंगलों में आग लगी थी.
आग लगने से 11 जिले प्रभावित हुए.
गढ़वाल मंडल के पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमौली, कुमाऊ मंडल के नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर शामिल हैं.
जंगलों में आग से झुलसने से 5 लोगों की मौत हुई है.
आग से करीब 1400 हैक्टेयर जंगल जल चुका है.

उन्होंने कहा कि यहां मैनपावर करीब 15 हजार की है जबकि, उनके राज्य में यही संख्या 1500 से 2 हजार तक की ही है. इसके अलावा यहां के हाइड्रोलिक 42 मीटर ऊंचाई के हैं, जबकि हमारे इससे छोटे हैं.

यूपी के पास अधिकतम 12 हजार लीटर और सबसे कम 450 लीटर के फायर टेंडर हैं, जबकि उत्तराखंड में 5 हजार लीटर से अधिक के फायर टेंडर नहीं हैं. इसके अलावा यहां कई ऐसे उपकरण मौजूद हैं जिनसे आग लगने की स्थिति में जल्द से जल्द रेस्क्यू कर आग पर काबू पाया जा सकता है. जैसे ट्रॉली माउंटेड फायर टेंडर, इमरजेंसी फायर इंजन मोटर बाइक और कई तरह के ड्रोन मौजूद हैं.

फायर डिप्टी डायरेक्टर एसके राणा ने कहा कि हाल ही में उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग, जो अब भी दहक रही है. यदि हमारे पास यूपी फायर सर्विस जैसे उपकरण और मैनपावर होती तो इस आग को विकराल रूप लेने से पहले ही काबू पा लेते.

जिससे हम अपनी वन संपदा और जीव जंतुओं को बचा सकते थे. ऐसे में अब हम कोशिश करेंगे कि हम उत्तर प्रदेश फायर सर्विस जैसे ही उपकरणों की खरीद करें ताकि भविष्य में ऐसी आग से निपटने के लिए उत्तराखंड फायर सर्विस हमेशा तैयार रहें.

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