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दिल्ली का किडनी कांड...25 दिन तक हुई कड़ी तफ्तीश, जानिए- इसके पीछे की पूरी कहानी, बांग्लादेश से भारत तक का कनेक्शन - Delhi International Kidney Gang

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 10, 2024, 10:42 AM IST

Updated : Jul 10, 2024, 11:22 AM IST

ORGAN TRANSPLANT RACKET: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम को मंगलवार को बड़ी कामयाबी मिली थी. एक बड़े किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले रैकेट को पकड़ा था. रैकेट का संचालन बांग्लादेश से हो रहा था. सर्जरी करने वाली महिला डॉक्टर भारत की थी वो दिल्ली-नोएडा के बड़े अस्पतालों में सर्जरी करती थी. जाली दस्तावेज तैयार कराकर इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा था. पढ़िए...इस पूरे मामले की इनसाइड स्टोरी

किडनी कांड का खुलासा
किडनी कांड का खुलासा (ETV Bharat)

नई दिल्लीः इंटरनेशनल किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट पर डीसीपी क्राइम अमित गोयल ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मामला आज नहीं पता चला बल्कि 16 जून को फर्जी किडनी ट्रांसप्लांट रैकट के बारे में इनपुट मिला था. करीब 25 दिन से टीम इस पर काम कर रही थी. पुलिस टीम ने जसोला गांव में रेड मारी. वहां से मास्टरमाइंड रसेल, रोकोन, सुमोन और रतेश पाल को पकड़ा. इनसे पूछताछ के बाद पूरा मामला खुल गया.

क्राइम ब्रांच के डीसीपी अम‍ित गोयल के मुताब‍िक, 16 जून को अवैध किडनी ट्रांसप्‍लांट से संबंधित गुप्त सूचना म‍िली थी. इस सूचना को और पुख्‍ता क‍िया गया. इसके बाद एक टीम का गठन क‍िया गया. टीम ने गुप्‍त सूचना के आधार पर जसोला इलाके में छापेमारी की और 4 आरोप‍ियों को धरदबोचा.

जानिए, पुलिस ने क्या बताया- कैसे होती थी डील

डॉ. विजया राजकुमारी और रैकेट से जुड़े लोग बांग्लादेश के मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पैसों लालच देते थे. वे किडनी के बदले डोनर को 4-5 लाख रुपए देते थे. जिसे किडनी लगाई जाती थी, उससे 25-30 लाख रुपए लिए जाते थे. दिल्ली-नोएडा के बड़े अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट होती थी. दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार होते थे. इन्हीं डॉक्यूमेंट्स के आधार पर साबित किया जाता था कि डोनर और रिसीवर के बीच संबंध है. बता दें कि भारतीय कानून के अनुसार, डोनर और रिसीवर के बीच संबंध होना जरूरी है. अल शिफ नाम की मेडिकल टूरिज्म कंपनी के जरिए डोनर और रिसीवर के रहने, इलाज और बाकी का इतंजाम होता था.

पुलिस के मुताबिक, रसेल ने दिल्ली के जसोला गांव में एक फ्लैट किराए पर लिया था. इस किराए के फ्लैट में पांच से छह डोनर रह रहे थे. ट्रांसप्लांट से पहले की सभी जांचें पूरी कर ली गई थीं. फ्लैट पर डोनर और रिसीवर की मुलाकात भी कराई जाती थी. पुलिस ने रसेल को उसके फ्लैट से ही गिरफ्तार किया है. रसेल के दो साथी- मियां (28) और मोहम्मद रोकोन (26) भी वहीं थे.

जानिए, उनके बारे में जिन्हें गिरफ्तार किया गया

1. रसेल (मास्टरमाइंड)

  • बांग्लादेश का रहने वाला रसेल 2019 में भारत आया और एक बांग्लादेशी मरीज को अपनी किडनी दान की थी. इस रैकेट का किंगपिन है. वो बांग्लादेश में रहने वाले इफ्ती नाम के एक व्यक्ति से डोनर मंगवाता था. प्रत्यारोपण पूरा होने पर उसे आमतौर पर इस कंपनी से 20-25फीसदी तक कमीशन मिलता है.

2. मोहम्मद सुमोन मियां

  • बांग्लादेश का रहने वाला मोहम्मद सुमोन, आरोपी रसेल का साला है. 2024 में भारत आया था. रसेल के साथ उसकी अवैध गतिविधि में शामिल था. किडनी के मरीजों की पैथोलॉजी की जांच का काम देखता था. रसेल उसे हर डोनर, रिसीवर 20,000 रुपए देता था.

3. मोहम्मद रोकोन

  • मोहम्मद रोकोन डोनर और रिसीवर के फर्जी दस्तावेज तैयार करता था. रसेल उसे हर डोनर-रिसीवर के लिए 30,000 रुपए का भुगतान करता था.

4. रतेश पाल

  • रतेश पाल त्रिपुरा का रहने वाला है. वो रसेल के काम में शामिल था. रसेल उसे हर डोनर-रिसीवर 20,000 का भुगतान करता था.

5. शरीक

  • शरीक उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. उसने बीएससी मेडिकल लैब टेक्नीशियन तक पढ़ाई की है. इसका काम डॉ. विजया कुमारी और उनके निजी सहायक विक्रम के साथ कॉर्डिनेशन करने का था.

6. विक्रम सिंह

  • विक्रम उत्तराखंड का रहने वाला है. वर्तमान में वो हरियाणा के फरीदाबाद में रहता है. आरोपी डॉक्टर विजया कुमारी के सहायक के तौर पर काम करता था.

7. डॉ. विजया राजकुमारी

  • डॉ. विजया किडनी सर्जन और दो अस्पतालों में विजिटिंग कंसल्टेंट हैं. वो अपोलो अस्पताल से निलंबित चल रहीं थीं. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने 15 साल पहले जूनियर डॉक्टर के तौर पर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल जॉइन किया था. वह अस्पताल में फी-फॉर-सर्विस करती थीं.
  • इन सात के अलावा तीन आरोपी मरीज हैं. इस कारण उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है. वो निगरानी में हैं.

5 लाख में खरीदकर 30 लाख में बेचते थे

ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट एक किडनी डोनर से 4-5 लाख में लेता था और रिसीवर को 20 से 30 लाख में बेचता था. वहीं, महिला डॉक्टर हर सर्जरी का 2 लाख रुपए ले रही थी. पुलिस के मुताबिक, जिस अस्पताल में ये सर्जरी हो रही थी, वो नोएडा का है. डोनर और रिसीवर को दिल्ली के जसोला के एक फ्लैट में रखा जाता था. बांग्लादेश हाई कमीशन के कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं.

पुल‍िस पूछताछ के दौरान आरोप‍ियों ने कबूल किया कि वो बांग्लादेश में डायलिसिस सेंटर्स पर जाकर बांग्लादेश के किडनी पेशेंट्स को टारगेट बनाते थे. उन्होंने बांग्लादेश से डोनर की व्यवस्था की, उनकी खराब फाइनेंश‍ियल स्‍थ‍ित‍ि का फायदा उठाकर भारत में जॉब दिलाने के बहाने शोषण किया. भारत पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते थे.

जानिए- किसने क्या कहा

डॉ. विजया अस्पताल में विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही थीं. वह सिर्फ उन्हीं मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करती थीं, जिन्हें वह खुद लेकर आती थीं. अस्पताल की तरफ से उन्हें कोई मरीज नहीं दिया जाता था. डॉ. विजया ने पिछले तीन महीनों में एक सर्जरी की थी.

- यथार्थ हॉस्पिटल, नोएडा

भारतीय दूतावास की जानकारी के आधार पर मरीज और दानदाता से संबंधित कागजात हमें प्राप्त होते हैं. उसी आधार पर प्रत्यारोपण संबंधी काम होते हैं. किडनी प्रत्यारोपण रैकेट मामले में अगर दिल्ली पुलिस हमसे कुछ जानकारी मांगती है तो उपलब्ध कराएंगे. प्रत्यारोपण से संबंधित काम के लिए निजी अस्पताल स्तर और स्वास्थ्य विभाग की भी कमेटी बनी हुई है.

- डॉ. सुनील कुमार शर्मा, सीएमओ, गौतमबुद्धनगर

एक महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हमने एक डोनर और रिसीवर को भी गिरफ्तार किया है. रैकेट में शामिल रसेल नाम का एक व्यक्ति मरीजों और डोनर की व्यवस्था करता था. वे प्रत्येक ट्रांसप्लांट के लिए 25-30 लाख रुपए लेते थे. यह रैकेट 2019 से चल रहा था. इस रैकेट का मास्टरमाइंड एक बांग्लादेशी है.

- DCP अमित गोयल

डीसीपी के मुताब‍िक, क्राइम ब्रांच की टीम ने 23 जून को आरोपी व्यक्ति विक्रम सिंह और मोहम्मद शारिक को गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तार आरोपियों रसेल अहमद, विक्रम सिंह और मोहम्‍मद शारिक ने खुलासा किया डॉ. डी. विजया राजकुमारी को जाली कागजात के आधार पर इन लोगों द्वारा किए जा रहे प्रत्येक अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी थी. इसके बाद टीम ने आख‍िर में 1 जुलाई को वर्तमान मामले में डॉ. राजकुमारी को भी गिरफ्तार कर लिया.

ऐसे चल रहा था इंटरनेशनल किडनी रैकेट

  • 29 साल का रसेल बांग्लादेश के कुश्तिया जिले का रहने वाला है.
  • वह बांग्लादेश में अपने सहयोगियों मोहम्मद सुमोन मियां, इफ्ती और त्रिपुरा स्थित रतीश पाल के साथ मिलकर वहां से डोनर्स को दिल्ली बुलाता था.
  • फिर डोनर और रिसीवर, अल शिफा नाम की एक मेडिकल टूरिज्म कंपनी के जरिये दिल्ली में अपने रहने, इलाज और बाकी चीजों का इंतजाम करवाते थे.
  • पुलिस ने इफ्ती को छोड़कर बाकी सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
  • रसेल ने दिल्ली के जसोला गांव में एक फ्लैट किराए पर लिया था. इसमें पांच से छह डोनर रहते थे.
  • प्रत्यारोपण से पहले की सभी जांचें पूरी कर ली जाती थीं.
  • फ्लैट पर किडनी विक्रेता और प्राप्तकर्ता की मुलाकात भी कराई जाती थी.
  • रसेल के कमरे से बरामद बैग में नौ पासपोर्ट, दो डायरी व एक रजिस्टर मिला है.
  • यह पासपोर्ट किडनी विक्रेता और प्राप्तकर्ता के हैं.
  • डायरी में पैसों के लेनदेन की जानकारी भी थी.
  • पुलिस ने मोहम्मद रोकोन के पास से भी एक बैग जब्त किया है.
  • इसमें 20 स्टांप और दो स्टांप इंक पैड (नीले और लाल) थे.
  • इनका इस्तेमाल कथित तौर पर नकली कागजात बनाने के लिए किया जाता था.
  • अलग-अलग प्रमुखों यानी डॉक्टर, नोटरी पब्लिक, एडवोकेट आदि की 23 मोहरें, किडनी मरीजों और दाताओं की 06 जाली फाइलें, अस्पतालों के जाली दस्तावेज, जाली आधार कार्ड,जाली स्टिकर,खाली स्टाम्प पेपर, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, 2 लैपटॉप जिसमें आपत्तिजनक डेटा है, 8 मोबाइल फोन और 1800 यू.एस डॉलर बरामद

यह भी पढ़ें- दिल्ली में पकड़ा गया ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट, नामी अस्पताल की महिला डॉक्टर समेत 7 अरेस्ट, बांग्लादेश का है मास्टरमाइंड

ये भी पढ़ेंः ऑर्गन ट्रांसप्‍लांट रैकेट: 5 साल पहले बांग्लादेश से क‍िडनी डोनेट करने आया था भारत, तब शुरू क‍िया गोरखधंधा

ये भी पढ़ेंः 5 लाख में लेकर 30 लाख में बेचते थे किडनी, दिल्ली में ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश, डॉक्टर हर सर्जरी ले रही थी 2 लाख

नई दिल्लीः इंटरनेशनल किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट पर डीसीपी क्राइम अमित गोयल ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मामला आज नहीं पता चला बल्कि 16 जून को फर्जी किडनी ट्रांसप्लांट रैकट के बारे में इनपुट मिला था. करीब 25 दिन से टीम इस पर काम कर रही थी. पुलिस टीम ने जसोला गांव में रेड मारी. वहां से मास्टरमाइंड रसेल, रोकोन, सुमोन और रतेश पाल को पकड़ा. इनसे पूछताछ के बाद पूरा मामला खुल गया.

क्राइम ब्रांच के डीसीपी अम‍ित गोयल के मुताब‍िक, 16 जून को अवैध किडनी ट्रांसप्‍लांट से संबंधित गुप्त सूचना म‍िली थी. इस सूचना को और पुख्‍ता क‍िया गया. इसके बाद एक टीम का गठन क‍िया गया. टीम ने गुप्‍त सूचना के आधार पर जसोला इलाके में छापेमारी की और 4 आरोप‍ियों को धरदबोचा.

जानिए, पुलिस ने क्या बताया- कैसे होती थी डील

डॉ. विजया राजकुमारी और रैकेट से जुड़े लोग बांग्लादेश के मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पैसों लालच देते थे. वे किडनी के बदले डोनर को 4-5 लाख रुपए देते थे. जिसे किडनी लगाई जाती थी, उससे 25-30 लाख रुपए लिए जाते थे. दिल्ली-नोएडा के बड़े अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट होती थी. दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार होते थे. इन्हीं डॉक्यूमेंट्स के आधार पर साबित किया जाता था कि डोनर और रिसीवर के बीच संबंध है. बता दें कि भारतीय कानून के अनुसार, डोनर और रिसीवर के बीच संबंध होना जरूरी है. अल शिफ नाम की मेडिकल टूरिज्म कंपनी के जरिए डोनर और रिसीवर के रहने, इलाज और बाकी का इतंजाम होता था.

पुलिस के मुताबिक, रसेल ने दिल्ली के जसोला गांव में एक फ्लैट किराए पर लिया था. इस किराए के फ्लैट में पांच से छह डोनर रह रहे थे. ट्रांसप्लांट से पहले की सभी जांचें पूरी कर ली गई थीं. फ्लैट पर डोनर और रिसीवर की मुलाकात भी कराई जाती थी. पुलिस ने रसेल को उसके फ्लैट से ही गिरफ्तार किया है. रसेल के दो साथी- मियां (28) और मोहम्मद रोकोन (26) भी वहीं थे.

जानिए, उनके बारे में जिन्हें गिरफ्तार किया गया

1. रसेल (मास्टरमाइंड)

  • बांग्लादेश का रहने वाला रसेल 2019 में भारत आया और एक बांग्लादेशी मरीज को अपनी किडनी दान की थी. इस रैकेट का किंगपिन है. वो बांग्लादेश में रहने वाले इफ्ती नाम के एक व्यक्ति से डोनर मंगवाता था. प्रत्यारोपण पूरा होने पर उसे आमतौर पर इस कंपनी से 20-25फीसदी तक कमीशन मिलता है.

2. मोहम्मद सुमोन मियां

  • बांग्लादेश का रहने वाला मोहम्मद सुमोन, आरोपी रसेल का साला है. 2024 में भारत आया था. रसेल के साथ उसकी अवैध गतिविधि में शामिल था. किडनी के मरीजों की पैथोलॉजी की जांच का काम देखता था. रसेल उसे हर डोनर, रिसीवर 20,000 रुपए देता था.

3. मोहम्मद रोकोन

  • मोहम्मद रोकोन डोनर और रिसीवर के फर्जी दस्तावेज तैयार करता था. रसेल उसे हर डोनर-रिसीवर के लिए 30,000 रुपए का भुगतान करता था.

4. रतेश पाल

  • रतेश पाल त्रिपुरा का रहने वाला है. वो रसेल के काम में शामिल था. रसेल उसे हर डोनर-रिसीवर 20,000 का भुगतान करता था.

5. शरीक

  • शरीक उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. उसने बीएससी मेडिकल लैब टेक्नीशियन तक पढ़ाई की है. इसका काम डॉ. विजया कुमारी और उनके निजी सहायक विक्रम के साथ कॉर्डिनेशन करने का था.

6. विक्रम सिंह

  • विक्रम उत्तराखंड का रहने वाला है. वर्तमान में वो हरियाणा के फरीदाबाद में रहता है. आरोपी डॉक्टर विजया कुमारी के सहायक के तौर पर काम करता था.

7. डॉ. विजया राजकुमारी

  • डॉ. विजया किडनी सर्जन और दो अस्पतालों में विजिटिंग कंसल्टेंट हैं. वो अपोलो अस्पताल से निलंबित चल रहीं थीं. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने 15 साल पहले जूनियर डॉक्टर के तौर पर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल जॉइन किया था. वह अस्पताल में फी-फॉर-सर्विस करती थीं.
  • इन सात के अलावा तीन आरोपी मरीज हैं. इस कारण उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है. वो निगरानी में हैं.

5 लाख में खरीदकर 30 लाख में बेचते थे

ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट एक किडनी डोनर से 4-5 लाख में लेता था और रिसीवर को 20 से 30 लाख में बेचता था. वहीं, महिला डॉक्टर हर सर्जरी का 2 लाख रुपए ले रही थी. पुलिस के मुताबिक, जिस अस्पताल में ये सर्जरी हो रही थी, वो नोएडा का है. डोनर और रिसीवर को दिल्ली के जसोला के एक फ्लैट में रखा जाता था. बांग्लादेश हाई कमीशन के कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं.

पुल‍िस पूछताछ के दौरान आरोप‍ियों ने कबूल किया कि वो बांग्लादेश में डायलिसिस सेंटर्स पर जाकर बांग्लादेश के किडनी पेशेंट्स को टारगेट बनाते थे. उन्होंने बांग्लादेश से डोनर की व्यवस्था की, उनकी खराब फाइनेंश‍ियल स्‍थ‍ित‍ि का फायदा उठाकर भारत में जॉब दिलाने के बहाने शोषण किया. भारत पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते थे.

जानिए- किसने क्या कहा

डॉ. विजया अस्पताल में विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही थीं. वह सिर्फ उन्हीं मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करती थीं, जिन्हें वह खुद लेकर आती थीं. अस्पताल की तरफ से उन्हें कोई मरीज नहीं दिया जाता था. डॉ. विजया ने पिछले तीन महीनों में एक सर्जरी की थी.

- यथार्थ हॉस्पिटल, नोएडा

भारतीय दूतावास की जानकारी के आधार पर मरीज और दानदाता से संबंधित कागजात हमें प्राप्त होते हैं. उसी आधार पर प्रत्यारोपण संबंधी काम होते हैं. किडनी प्रत्यारोपण रैकेट मामले में अगर दिल्ली पुलिस हमसे कुछ जानकारी मांगती है तो उपलब्ध कराएंगे. प्रत्यारोपण से संबंधित काम के लिए निजी अस्पताल स्तर और स्वास्थ्य विभाग की भी कमेटी बनी हुई है.

- डॉ. सुनील कुमार शर्मा, सीएमओ, गौतमबुद्धनगर

एक महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हमने एक डोनर और रिसीवर को भी गिरफ्तार किया है. रैकेट में शामिल रसेल नाम का एक व्यक्ति मरीजों और डोनर की व्यवस्था करता था. वे प्रत्येक ट्रांसप्लांट के लिए 25-30 लाख रुपए लेते थे. यह रैकेट 2019 से चल रहा था. इस रैकेट का मास्टरमाइंड एक बांग्लादेशी है.

- DCP अमित गोयल

डीसीपी के मुताब‍िक, क्राइम ब्रांच की टीम ने 23 जून को आरोपी व्यक्ति विक्रम सिंह और मोहम्मद शारिक को गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तार आरोपियों रसेल अहमद, विक्रम सिंह और मोहम्‍मद शारिक ने खुलासा किया डॉ. डी. विजया राजकुमारी को जाली कागजात के आधार पर इन लोगों द्वारा किए जा रहे प्रत्येक अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी थी. इसके बाद टीम ने आख‍िर में 1 जुलाई को वर्तमान मामले में डॉ. राजकुमारी को भी गिरफ्तार कर लिया.

ऐसे चल रहा था इंटरनेशनल किडनी रैकेट

  • 29 साल का रसेल बांग्लादेश के कुश्तिया जिले का रहने वाला है.
  • वह बांग्लादेश में अपने सहयोगियों मोहम्मद सुमोन मियां, इफ्ती और त्रिपुरा स्थित रतीश पाल के साथ मिलकर वहां से डोनर्स को दिल्ली बुलाता था.
  • फिर डोनर और रिसीवर, अल शिफा नाम की एक मेडिकल टूरिज्म कंपनी के जरिये दिल्ली में अपने रहने, इलाज और बाकी चीजों का इंतजाम करवाते थे.
  • पुलिस ने इफ्ती को छोड़कर बाकी सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
  • रसेल ने दिल्ली के जसोला गांव में एक फ्लैट किराए पर लिया था. इसमें पांच से छह डोनर रहते थे.
  • प्रत्यारोपण से पहले की सभी जांचें पूरी कर ली जाती थीं.
  • फ्लैट पर किडनी विक्रेता और प्राप्तकर्ता की मुलाकात भी कराई जाती थी.
  • रसेल के कमरे से बरामद बैग में नौ पासपोर्ट, दो डायरी व एक रजिस्टर मिला है.
  • यह पासपोर्ट किडनी विक्रेता और प्राप्तकर्ता के हैं.
  • डायरी में पैसों के लेनदेन की जानकारी भी थी.
  • पुलिस ने मोहम्मद रोकोन के पास से भी एक बैग जब्त किया है.
  • इसमें 20 स्टांप और दो स्टांप इंक पैड (नीले और लाल) थे.
  • इनका इस्तेमाल कथित तौर पर नकली कागजात बनाने के लिए किया जाता था.
  • अलग-अलग प्रमुखों यानी डॉक्टर, नोटरी पब्लिक, एडवोकेट आदि की 23 मोहरें, किडनी मरीजों और दाताओं की 06 जाली फाइलें, अस्पतालों के जाली दस्तावेज, जाली आधार कार्ड,जाली स्टिकर,खाली स्टाम्प पेपर, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, 2 लैपटॉप जिसमें आपत्तिजनक डेटा है, 8 मोबाइल फोन और 1800 यू.एस डॉलर बरामद

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Last Updated : Jul 10, 2024, 11:22 AM IST
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