नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) को निर्देश दिया है कि वह लॉ फर्म से जुड़े इंटर्न और युवा वकीलों के मानदेय और भत्ते को प्रभावी नीति बनाने पर जल्द फैसला करे. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम अरोड़ा की बेंच ने ये आदेश दिया.
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याचिका वकील सिमरन कुमारी ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील तुषार तंवर और नील कुमार शर्मा ने कोर्ट से मांग की कि नए और युवा वकीलों के लिए मानदेय और भत्ते देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. इसके लिए याचिकाकर्ता ने 27 जनवरी को बीसीआई और बीसीडी को प्रतिवेदन भी दिया था. याचिका में कहा गया था कि पांच साल और तीन साल का एलएलबी कोर्स करने के बाद नए और युवा वकीलों को आय नहीं होने से उनके मन में दुविधा रहती है. इसकी वजह से कई वकील प्रैक्टिस छोड़ देते हैं औऱ दूसरे सुरक्षित प्रोफेशन की ओर अग्रसर होने लगते हैं. इसलिए नए और युवा वकील जिन लॉ फर्म और वकीलों के साथ जुड़ते हैं उन्हें मानदेय या भत्ता देने का दिशानिर्देश जारी किया जाए.
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बीसीआई और बीसीडी को जो प्रतिवेदन दिया था उसके ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. ऐसे में याचिका प्री-मैच्योर है. प्रतिवेदन पर विचार करने के लिए बीसीआई और बीसीडी को मौका दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने बीसीआई और बीसीडी को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर जल्द से जल्द विचार कर फैसला करें.
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