नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरित जमानत दे दी. कोर्ट ने उनके केस को बड़ी बेंच के लिए भी भेजा है. जब तक बड़ी बेंच सुनवाई करेगी तब केजरीवाल जमानत पर रहेंगे. जस्टिस संजीव खन्ना ने जमानत देते हुए कहा, केजरीवाल ने 90 दिनों की कैद झेली है. हम निर्देश देते हैं कि उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा. हम जानते हैं कि वह एक निर्वाचित नेता हैं. हमें इस बात पर संदेह है कि हम किसी निर्वाचित नेता को पद छोड़ने या मुख्यमंत्री के रूप में काम करने से मना कर सकते हैं. ये हम उन पर छोड़ते हैं. उन्हें तय करना है कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं.
जस्टिस खन्ना ने कहा, "हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं. गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है. इसके लिए हमने 3 सवाल भी तैयार किए हैं. अंतरिम जमानत पर बड़ी बेंच अगर चाहे तो बदलाव कर सकती है." हालांकि, ED केस में अंतरिम जमानत मिलने के बाद भी केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे, क्योंकि उनको CBI केस में जमानत नहीं मिली है. और आज ही CBI केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को 25 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया है.
अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा...
- 50,000/- रुपये का जमानत बांड देना होगा.
- वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय का दौरा नहीं करेंगे.
- वह आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे जब तक आवश्यक न हो और दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आवश्यक न हो.
- वह वर्तमान मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, (केस को लेकर)
- वह किसी भी गवाह के साथ बातचीत नहीं करेंगे और/या मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक उसकी पहुंच नहीं होगी.
- अंतरिम जमानत को बड़ी बेंच द्वारा बढ़ाया या वापस लिया जा सकता है.
- अदालत ने कहा अरविंद केजरीवाल एक निर्वाचित नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, एक महत्व और प्रभाव रखने वाला पद है.
- हमने आरोपों का भी हवाला दिया है. हालांकि हम कोई निर्देश नहीं देते हैं, क्योंकि हमें संदेह है कि क्या अदालत किसी निर्वाचित नेता को पद छोड़ने या मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में काम नहीं करने का निर्देश दे सकती है, हम फैसला लेने का फैसला अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं.
- यदि उचित समझा जाए तो बड़ी पीठ प्रश्न बना सकती है और ऐसे मामलों में अदालत द्वारा लगाई जा सकने वाली शर्तों पर निर्णय ले सकती है.
- रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह उपरोक्त प्रश्नों पर विचार के लिए एक उचित पीठ और यदि उपयुक्त हो तो एक संविधान पीठ के गठन के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे.
केजरीवाल पर मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामलेः केजरीवाल को यह जमानत मनी लॉन्ड्रिंग केस में मिली है. इस मामले को प्रवर्तन निदेशालय (ED) देख रही है. केजरीवाल के खिलाफ दूसरा मामला CBI देख रही है, जिसमें अरविंद केजरीवाल अभी जेल में हैं. केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. उसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें कस्टडी में भेज दिया था. अपनी गिरफ्तारी और कस्टडी को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. आज इसी पर सुनवाई हुई.
20 जून को निचली अदालत ने दी थी जमानत, हाईकोर्ट ने लगाई रोकः उन्हें मामले में एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर यहां की एक निचली अदालत ने जमानत दे दी थी. इसके बाद ईडी ने अगले दिन दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और दलील दी कि केजरीवाल को जमानत देने का ट्रायल कोर्ट का आदेश एक तरफा और अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित था. हाईकोर्ट ने 21 जून को अंतरिम राहत के लिए ईडी के आवेदन पर आदेश पारित होने तक ट्रायल कोर्ट के जमानत आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. 25 जून को हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. जिसके बाद 26 जून को सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया.
ED की चार्जशीट में आम आदमी पार्टी भी आरोपीः 9 जुलाई को ED ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में शराबी नीति केस से जुड़ी 208 पेजों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी. इस चार्जशीट में अरविंद केजरीवाल को मामले का किंगपिन और साजिशकर्ता बताया गया है. चार्जशीट में बताया गया है कि घोटाले से जुड़ा हुआ सारा पैसा आम आदमी पार्टी पर खर्च किया गया है. ईडी ने अपनी चार्जशीट में सीएम केजरीवाल को आरोपी नंबर 37 और आम आदमी पार्टी को आरोपी नंबर 38 बनाया है. ईडी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने सारा पैसा गोवा चुनाव पर खर्चा है. साथ ही आरोप ये भी लगाए गए हैं कि केजरीवाल ने साऊथ ग्रुप के सदस्यों से 100 करोड़ की रिश्वत मांगी थी जिनमें से 45 करोड़ रुपया गोवा चुनाव पर खर्च हुआ.
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