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रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सीएम केजरीवाल, सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को दी चुनौती - Kejriwal moves SC seeking release

Kejriwal approach Supreme Court FOR BAIL: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के 5 अगस्त के फैसले पर सवाल उठाया है.

केजरीवाल ने जेल से रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
केजरीवाल ने जेल से रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 12, 2024, 12:45 PM IST

Updated : Aug 12, 2024, 12:53 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया. सीजेआई ने कहा कि वह ई-मेल अनुरोध की जांच करेंगे और एक तारीख तय करेंगे. केजरीवाल ने 5 अगस्त के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

उच्च न्यायालय ने सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका कर दी थी खारिज

उच्च न्यायालय ने सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी और जमानत के लिए निचली अदालत जाने को कहा था. पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामलों में आप नेता मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी थी. सिसोदिया को 17 महीने की लंबी कैद के बाद रिहा किया गया था.

केजरीवाल 21 मार्च से अब तक हिरासत में

ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल 21 मार्च से हिरासत में हैं. उन्होंने मई में 21 दिन की अंतरिम जमानत हासिल की, जिसे लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए शीर्ष अदालत ने मंजूर किया था. 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी, जिसमें उन्होंने माना था कि वे 90 दिन से ज़्यादा जेल में रह चुके हैं। हालांकि, इसी मामले में 26 जून को सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी के बाद से केजरीवाल हिरासत में ही हैं.

ये भी पढें : पहली बार जेल में जन्मदिन मनाएंगे CM केजरीवाल, जानिए राजनीतिक सफर के बारे में

पिछले शुक्रवार को सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने से मिली है जमानत

पिछले शुक्रवार को सिसोदिया को ज़मानत देने वाली सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में सिसोदिया को जेल में रखने का कोई फ़ायदा नहीं है, जिसमें मुकदमे के कभी भी ख़त्म होने की कोई उम्मीद नहीं है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगातार जेल में रहना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता और त्वरित सुनवाई के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है.

ये भी पढें : सीएम केजरीवाल के बंगले के निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में CPWD के तीन इंजीनियर सस्पेंड

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया. सीजेआई ने कहा कि वह ई-मेल अनुरोध की जांच करेंगे और एक तारीख तय करेंगे. केजरीवाल ने 5 अगस्त के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

उच्च न्यायालय ने सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका कर दी थी खारिज

उच्च न्यायालय ने सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी और जमानत के लिए निचली अदालत जाने को कहा था. पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामलों में आप नेता मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी थी. सिसोदिया को 17 महीने की लंबी कैद के बाद रिहा किया गया था.

केजरीवाल 21 मार्च से अब तक हिरासत में

ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल 21 मार्च से हिरासत में हैं. उन्होंने मई में 21 दिन की अंतरिम जमानत हासिल की, जिसे लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए शीर्ष अदालत ने मंजूर किया था. 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी, जिसमें उन्होंने माना था कि वे 90 दिन से ज़्यादा जेल में रह चुके हैं। हालांकि, इसी मामले में 26 जून को सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी के बाद से केजरीवाल हिरासत में ही हैं.

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पिछले शुक्रवार को सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने से मिली है जमानत

पिछले शुक्रवार को सिसोदिया को ज़मानत देने वाली सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में सिसोदिया को जेल में रखने का कोई फ़ायदा नहीं है, जिसमें मुकदमे के कभी भी ख़त्म होने की कोई उम्मीद नहीं है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगातार जेल में रहना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता और त्वरित सुनवाई के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है.

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Last Updated : Aug 12, 2024, 12:53 PM IST
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