नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. नामांकन प्रक्रिया जारी है. 20 जनवरी को चुनाव आयोग द्वारा जारी सूची में यह साफ हो जाएगा कि इस चुनाव में किस-किस राजनीतिक दल के कितने प्रत्याशी मैदान में हैं. दिल्ली की सत्ता से दो दशक से भी अधिक लंबे समय से दूर बीजेपी इस बार आम आदमी पार्टी सरकार को हटाने के लिए पुरजोर तरीके से चुनावी अभियान में जुटी हुई है. इसके लिए अलग-अलग वर्ग के मतदाताओं को अपने खेमे में करने के लिए पार्टी के नेता कोशिश कर रहे हैं. मगर अभी तक हुए विधानसभा चुनावों में आरक्षित सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा, अगर इस बार पार्टी की रणनीति सफल रही, तभी यह संभव होता हुआ दिखाई दे रहा है.
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 12 आरक्षित सीटें हैं. यहां पर 20 फीसद से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. इसलिए अनुसूचित जाति के लोगों का वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक दल अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हैं. आम आदमी पार्टी के अस्तित्व में आने से पहले दिल्ली में बीजेपी व कांग्रेस के बीच मुकाबला होता था. जिसमें अनुसूचित जाति के मतदाता कांग्रेस के वोट बैंक माने जाते थे. सुरक्षित सीटों में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाती थी. आम आदमी पार्टी के गठन के बाद यह वोट बैंक कांग्रेस से खिसक कर आम आदमी पार्टी में चला गया. नतीजा है कि पिछले विधानसभा चुनावों में 12 में से 12 सीटें आम आदमी पार्टी जीतने में सफल रही है.
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दलितों के वोट बैंक पर इस बार बीजेपी की खास नजर: दिल्ली चुनाव का इतिहास देखें तो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें जिस राजनीतिक दल के हिस्से में आई है वहीं राजनीतिक दल दिल्ली में सरकार बनाने में सफल हुई है. दिल्ली बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष मोहनलाल गिहारा ने कहा कि सभी आरक्षित सीटों में दलित समुदाय के लोगों को पार्टी का संदेश देने के लिए कार्यकर्ताओं को विस्तारक के रूप में नियुक्त किया गया है. पार्टी द्वारा जून महीने से शुरू झुग्गी- झोपड़ी प्रवास कार्यक्रम भी इसी का हिस्सा था. इस बार वोटिंग पैटर्न बदलेगा, लोग आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों की सरकार देख चुके हैं. इस बार वह बीजेपी के पक्ष में वोट करेंगे. पार्टी ने टिकट बंटवारे में भी इसका ध्यान रखा है.
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वाल्मीकि मंदिर से केजरीवाल और प्रवेश वर्मा ने शुरू किया चुनावी अभियान: विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नामांकन दाखिल किया. इससे पहले वह मंदिर मार्ग स्थित वाल्मीकि मंदिर गए. वहां पर भगवान वाल्मीकि का आशीर्वाद लिया, दलित लोगों से मिले और उनकी शुभकामनाएं ली. उसके बाद वह कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर गए और फिर उन्होंने अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया. इस विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को कड़ी टक्कर देने के लिए बीजेपी ने पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है. प्रवेश वर्मा ने भी बुधवार को नामांकन पर्चा भरा, तो सबसे पहले वाल्मीकि मंदिर गए. उन्होंने भी दलित लोगों का आशीर्वाद लिया. दलित महिलाओं के बीच उन्होंने जूते भी बांटे, महिलाओं को अपने हाथों से जूते पहनाए. जिस पर आम आदमी पार्टी ने आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से इसकी शिकायत भी कर दी है.
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''केजरीवाल और प्रवेश वर्मा ने जिस तरह नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत वाल्मीकि मंदिर जाने से की, दलित लोगों से मुलाकात करने से की, इसे वोट बैंक को अपने खेमे में करने की कवायद है. आम आदमी पार्टी हो या बीजेपी या कांग्रेस कोई भी राजनीतिक दल सुरक्षित इन 12 आरक्षित सीटों से जीते हुए नेता को खास तवज्जो देते हैं. उसे सरकार में पार्टी में भी प्रमुख स्थान मिलता है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में वर्ष 1998, 2003, 2008 तक कांग्रेस की सरकार बनी थी. मुख्यमंत्री शीला दीक्षित रही. उसके बाद वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी. वर्ष 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में आरक्षित सीटों को जीतने में आम आदमी पार्टी आगे रही है. अभी आप की सरकार है.''- राजनीतिक विश्लेषक, नवीन गौतम
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अंबेडकर का चित्र लगाकर वोट की ठगी कब तक चलेगी?: दलित नेता उदित राज कहते हैं कि दिल्ली विधानसभा में सुरक्षित सीट और वहां पर मतदाताओं की संख्या काफी सोच समझकर निर्धारित की गई है. अपना उदाहरण देते हुए कहते हैं कि आरक्षण से ही वे आईआरएस बने, उसके बाद सांसद बने और अब जन सेवा करने का मौका मिला है. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी आप सरकार के फ़ैसले और चुनावी घोषणाओं को लेकर पोस्ट किया कि डॉ अंबेडकर का चित्र लगाकर वोट की ठगी कब तक चलेगी? केजरीवाल जी आपको डॉ अंबेडकर के विचार से इतनी घृणा क्यों? केजरीवाल जी आपको बौद्धों से इतनी नफरत क्यों है? क्या आप बुद्ध को नही मानते हैं? डॉ. राजेंद्र पाल गौतम, तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री ने क्या गलती की थी, जिनसे बड़े चतुराई से इस्तीफा ले लिया था.
“आज प्रभु श्री राम और महर्षि वाल्मीकि जी की कृपा से मैंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र जमा किया। आपका विश्वास और साथ मेरी सबसे बड़ी शक्ति है। आइए, हम सब मिलकर नई दिल्ली को एक नई दिशा और उज्ज्वल भविष्य देने का प्रण लें। 🙏”
— Parvesh Sahib Singh (@p_sahibsingh) January 15, 2025
साथ ही दिल्ली प्रदेश चुनाव… pic.twitter.com/sw7T82hNuE
मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों के लिए वेतन मान की घोषणा कर दी है लेकिन बौद्ध विहार, बाल्मीकि मंदिर, रविदास मंदिर, कबीर मठ और चर्च के भिक्षुओं और पुजारियों के लिए क्यों नहीं? धार्मिक स्थल तोड़ने पर विवाद में दिल्ली की सीएम, आतिशी ने बौद्ध विहार के टूटने का मुद्दा उछाला, लेकिन भिक्षुओं के वेतन की घोषणा नहीं की. ये डॉ अम्बेडकर का फोटो टांग कर दलितों का वोट लेने में आगे हैं. दिल्ली में करीब 314 बौद्ध विहार हैं. करीब 150 बाल्मीकि मंदिर हैं और रविदास मंदिर, कबीर मठ और चर्च के भी पुजारी हैं, इनके लिए क्यों नहीं मानदेय की घोषणा हुई?
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