कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार को आंदोलनरत डॉक्टरों को एक बार फिर बातचीत के लिए आमंत्रित किया. लेकिन यह बैठक नहीं हुई. वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नया बयान सामने आया है. ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय नबन्ना में संवाददाताओं से कहा कि हालांकि राज्य सरकार की बैठक आयोजित करने की पूरी मंशा थी, लेकिन आंदोलनकारी डॉक्टरों के सख्त रुख के कारण बैठक नहीं हो सकी. ममता ने कहा, "मुझे कुर्सी से कोई मोह नहीं है. अगर इससे पीड़िता को न्याय मिलता है तो मैं पद छोड़ सकती हूं."
#WATCH | RG Kar Medical College and Hospital rape-murder case: West Bengal CM Mamata Banerjee says " i tried my best to sit with the junior doctors. i waited 3 days for them that they should have come and settle their problem. even when they didn't accept the verdict of the… pic.twitter.com/qLD207vSd6
— ANI (@ANI) September 12, 2024
ममता ने कहा सीएम की कुर्सी छोड़ देंगी, जूनियर डॉक्टरों ने क्या कहा
वहीं, जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि, वे कभी नहीं चाहते थे कि सीएम ममता बनर्जी अपना पद छोड़ें. जूनियक डॉक्टरों ने कहा कि, उनका आंदोलन उनकी कुर्सी के खिलाफ नहीं है बल्कि, वे इसलिए आए हैं क्योंकि उन्हें कुर्सी पर भरोसा है. उन्होंने मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया के संदर्भ में कहा कि वह जूनियर डॉक्टरों के साथ चर्चा करने के बाद इस्तीफा देने को तैयार हैं.
गतिरोध जारी, सीएम के साथ बैठक नहीं हुई
बंगाल सरकार और कोलकाता के कई मेडिकल कॉलेजों के प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों के बीच बहुप्रतीक्षित बैठक को लेकर गतिरोध जारी है, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है.
क्या बोलीं ममता बनर्जी
ममता ने कहा कि, वह जूनियर डॉक्टरों के साथ बैठने के पूरी कोशिश की. उन्होंने तीन दिन तक उनका इंतजार किया कि वे आएं और अपनी समस्या का समाधान करें. ममता ने कहा कि, यहां तक कि, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं किया, तब भी उन्होंने अपने मुख्य सचिव, गृह सचिव, DG और मेरे राज्य मंत्री सहित अपने शीर्ष अधिकारियों के साथ 3 दिन तक इंतजार किया.
ममता बोलीं, मैं माफी मांगती हूं....
सीएम ममता ने आगे कहा "मुझे खेद है.... मैं इस देश और दुनिया के लोगों से माफी मांगती हूं जो उनका (डॉक्टरों) समर्थन कर रहे हैं, कृपया अपना समर्थन दें. मुझे कोई समस्या नहीं है. हम आम लोगों के लिए न्याय चाहते हैं. हम आम लोगों के इलाज के लिए न्याय चाहते हैं. हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार वे अपनी ड्यूटी पर वापस आएं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 3 दिन बीत चुके हैं लेकिन हम कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं क्योंकि कभी-कभी हमें बर्दाश्त करना पड़ता है जो कि हमारा कर्तव्य है..."
"राज्य सरकार आंदोलनकारी डॉक्टरों के खिलाफ नहीं"
उन्होंने कहा, राज्य सरकार आंदोलनकारी डॉक्टरों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगी. ममता ने कहा कि, वे मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों से कहेंगी कि जब भी डॉक्टरों को ऐसा लगे, वे उनसे मिलें.' ममता बनर्जी ने कहा कि जानकारी के अनुसार 32 दिनों के गतिरोध के कारण 27 लोगों की मौत हो चुकी है और सात लाख मरीज परेशान हैं. लोगों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है और इसे बंधक नहीं बनाया जा सकता.
ममता करती रहीं इंतजार...
इससे पहले सीएम ममता बनर्जी जूनियर डॉक्टरों के काम बंद आंदोलन को समाप्त करने के उद्देश्य से राज्य सचिवालय के सभागार नबन्ना सभाघर में बैठक के लिए इंतजार करती नजर आईं.
कोलकाता मामले पर गतिरोध जारी
बता दें कि, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की 31 वर्षीय महिला चिकित्सक के साथ रेप और मर्डर के बाद से गतिरोध एक महीने से अधिक समय से जारी है. राज्य सरकार ने आंदोलनकारी डॉक्टरों को एक ईमेल भेजा था, जिसमें गतिरोध को समाप्त करने के लिए उन्हें दूसरी बार बैठक के लिए आमंत्रित किया गया था. जूनियर डॉक्टरों ने बैठक में भाग लेने के लिए तीन प्रमुख शर्तें रखी थीं, जिसमें बैठक के लिए 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को शामिल करना और बैठक का सीधा प्रसारण करना शामिल था.
अपनी मांगों पर अड़े जूनियर डॉक्टर
अपनी मांगों पर अड़े रहे करीब 32 चिकित्सक बस में सवार हुए और पुलिस द्वारा साल्ट लेक स्थित राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय स्वास्थ्य भवन के बाहर धरना प्रदर्शन स्थल से हावड़ा स्थित राज्य सचिवालय नबान्न ले जाया गया. प्रतिनिधिमंडल शाम करीब 5.45 बजे नबान्न सभागार के बाहर पहुंचा, लेकिन प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों को अनुमति देने और बैठक का सीधा प्रसारण करने के बारे में सरकार की ओर से आधिकारिक आश्वासन मिलने तक उन्होंने बैठक स्थल में प्रवेश करने से इनकार कर दिया.
तीखी नोकझोंक हुई
सभागार के बाहर जूनियर डॉक्टरों, राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत और डीजीपी प्रवीण कुमार के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई. सूत्रों ने बताया कि बैठक का सीधा प्रसारण करने के बारे में सरकार की ओर से स्पष्ट पुष्टि के बाद डॉक्टरों ने सभागार में प्रवेश करने से इनकार कर दिया. चर्चा के तुरंत बाद मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों ने संवाददाताओं से कहा कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया गया, हमने उनसे बातचीत में शामिल होने को कहा है क्योंकि हम सभी बातचीत के जरिए इस गतिरोध को खत्म करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि, शर्तें रखकर कोई बातचीत नहीं की जा सकती.
"पूरा मामला विचाराधीन है"
मुख्य सचिव ने कहा, "हम कानून के मुताबिक बातचीत करना चाहते हैं. पूरा मामला विचाराधीन है क्योंकि कानूनी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. हमने उनसे कहा है कि बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की जा सकती है, लेकिन आधिकारिक बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति नहीं है. इसके लिए प्रोटोकॉल हैं. हम खुली बातचीत चाहते हैं और इस गतिरोध को खत्म करना चाहते हैं. अंतिम रिपोर्ट मिलने तक जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ऑडिटोरियम के बाहर जमीन पर बैठे हैं और बैठक में शामिल होने से इनकार कर रहे हैं.
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