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तेलंगाना में साइबर फ्राड का मामला, फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाकर बुजुर्ग से ठग लिए 1.38 करोड़ रुपये - Cybercriminals Scam in Telangana - CYBERCRIMINALS SCAM IN TELANGANA

Cybercriminals Scam in Telangana: साइबर अपराधियों ने एक 82 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्मचारी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित फर्जी गिरफ्तारी वारंट की धमकी देकर 1.38 करोड़ रुपये की ठगी की. साइबराबाद साइबर क्राइम पुलिस मामले की जांच कर रही है.

cyber fraud
प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 2, 2024, 4:28 PM IST

हैदराबाद: तेलंगाना में साइबर फ्राड का बड़ा मामला सामने आया है. यहां साइबर अपराधियों ने एक 82 साल के बुजुर्ग को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संबंधित फर्जी अरैस्ट वारंट की धमकी देकर1.38 करोड़ रुपये ठग लिए. इस मामले में पीड़ित बुजुर्ग ने साइबराबाद साइबर क्राइम पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई है. जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है.

ऐसे बुजुर्ग को ठगने का जाल बिछाया
6 सितंबर को, केपीएचबी निवासी 82 साल के रिटायर कर्मचारी को मुंबई पुलिस अधिकारी के रूप में किसी अंजान व्यक्ति का फोन आया. कॉल करने वाले ने झूठा दावा किया कि, मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में व्यक्ति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और उसे साइबर क्राइम विभाग से संपर्क करने की सलाह दी. गिरफ्तारी वारंट का नाम सुनकर बुजुर्ग की हालत खराब हो गई. इसके बाद उन्होंने दिए गए नंबर पर कॉल किया. उसके बाद बुजुर्ग शातिर अपराधियों की जाल में फंसते चले गए.

धोखाधड़ी करने वालों ने बुजुर्ग के आधार कार्ड का विवरण मांगा, जिसे उन्होंने तुरंत भेज दिया. इसके तुरंत बाद, साइबर अपराधियों ने एक वीडियो कॉल किया. वीडियो कॉल में पुलिस की वर्दी में एक व्यक्ति स्क्रीन पर दिखाई दिया, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कथित रूप से जारी एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाया गया. इस फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर अपराधियों ने बुजुर्ग व्यक्ति से अपने बैंक खाते की जानकारी साझा करने के लिए दबाव बनाया.

फर्जी डीसीपी कॉल और बैंक ट्रांसफर
खबर के मुतबिक, शातिर जालसाज शख्स ने पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) बनकर बुजुर्ग को ऐसा ठगा, जिसकी चर्चा चारो तरफ हो रही है. अपराधियों ने पीड़ित बुजुर्ग को झूठा आश्वासन दिया कि अगर वह अपने सभी बैंक फंड ट्रांसफर कर देगा, तो वे उसके लेन-देन की वैधता की जांच करेंगे और 15 मिनट के भीतर पैसे लौटा देंगे. उन पर भरोसा करके बुजुर्ग व्यक्ति ने एक बार में 70 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. 18 से 26 सितंबर के बीच, उन्होंने घोटालेबाजों द्वारा कई झूठे कारण बताए जाने के बाद कुल 1.38 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए.

बुजुर्ग व्यक्ति के परिवार और दोस्तों को तब शक हुआ जब साइबर अपराधियों ने तत्काल पैसे मांगने शुरू किए. कॉल और लेन-देन का विवरण बताने पर उन्हें एहसास हुआ कि यह एक घोटाला है और उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

पुलिस की सलाह
वहीं, पुलिस अधिकारी लोगों को इस तरह के घोटालों से सावधान रहने की चेतावनी दे रहे हैं, सलाह दे रहे हैं कि बिना सत्यापन के कभी भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें या धन ट्रांसफर न करें. अगर किसी को धोखाधड़ी की गतिविधि का संदेह है, तो उन्हें तुरंत पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल को साइबर अपराधियों ने किया डिजिटल अरेस्ट, 5 दिन में ठगे दो करोड़ रुपए

हैदराबाद: तेलंगाना में साइबर फ्राड का बड़ा मामला सामने आया है. यहां साइबर अपराधियों ने एक 82 साल के बुजुर्ग को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संबंधित फर्जी अरैस्ट वारंट की धमकी देकर1.38 करोड़ रुपये ठग लिए. इस मामले में पीड़ित बुजुर्ग ने साइबराबाद साइबर क्राइम पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई है. जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है.

ऐसे बुजुर्ग को ठगने का जाल बिछाया
6 सितंबर को, केपीएचबी निवासी 82 साल के रिटायर कर्मचारी को मुंबई पुलिस अधिकारी के रूप में किसी अंजान व्यक्ति का फोन आया. कॉल करने वाले ने झूठा दावा किया कि, मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में व्यक्ति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और उसे साइबर क्राइम विभाग से संपर्क करने की सलाह दी. गिरफ्तारी वारंट का नाम सुनकर बुजुर्ग की हालत खराब हो गई. इसके बाद उन्होंने दिए गए नंबर पर कॉल किया. उसके बाद बुजुर्ग शातिर अपराधियों की जाल में फंसते चले गए.

धोखाधड़ी करने वालों ने बुजुर्ग के आधार कार्ड का विवरण मांगा, जिसे उन्होंने तुरंत भेज दिया. इसके तुरंत बाद, साइबर अपराधियों ने एक वीडियो कॉल किया. वीडियो कॉल में पुलिस की वर्दी में एक व्यक्ति स्क्रीन पर दिखाई दिया, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कथित रूप से जारी एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाया गया. इस फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर अपराधियों ने बुजुर्ग व्यक्ति से अपने बैंक खाते की जानकारी साझा करने के लिए दबाव बनाया.

फर्जी डीसीपी कॉल और बैंक ट्रांसफर
खबर के मुतबिक, शातिर जालसाज शख्स ने पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) बनकर बुजुर्ग को ऐसा ठगा, जिसकी चर्चा चारो तरफ हो रही है. अपराधियों ने पीड़ित बुजुर्ग को झूठा आश्वासन दिया कि अगर वह अपने सभी बैंक फंड ट्रांसफर कर देगा, तो वे उसके लेन-देन की वैधता की जांच करेंगे और 15 मिनट के भीतर पैसे लौटा देंगे. उन पर भरोसा करके बुजुर्ग व्यक्ति ने एक बार में 70 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. 18 से 26 सितंबर के बीच, उन्होंने घोटालेबाजों द्वारा कई झूठे कारण बताए जाने के बाद कुल 1.38 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए.

बुजुर्ग व्यक्ति के परिवार और दोस्तों को तब शक हुआ जब साइबर अपराधियों ने तत्काल पैसे मांगने शुरू किए. कॉल और लेन-देन का विवरण बताने पर उन्हें एहसास हुआ कि यह एक घोटाला है और उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

पुलिस की सलाह
वहीं, पुलिस अधिकारी लोगों को इस तरह के घोटालों से सावधान रहने की चेतावनी दे रहे हैं, सलाह दे रहे हैं कि बिना सत्यापन के कभी भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें या धन ट्रांसफर न करें. अगर किसी को धोखाधड़ी की गतिविधि का संदेह है, तो उन्हें तुरंत पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए.

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