नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली AAP के पूर्व विधायक संदीप कुमार की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने कहा कि हम पहले ही ऐसी दो मांग वाली याचिकाओं को ये कहते हुए खारिज कर चुके हैं कि यह मामला कोर्ट के दखल का नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि सरकार चलाने में दिक्कत होगी तो उपराज्यपाल फैसला लेंगे. कोर्ट को राजनैतिक बहस में नहीं घसीटा जा सकता. अब जुर्माना लगना जरूरी है ताकि फिर कोई इस मांग को लेकर कोर्ट का रुख न करें. इसके पहले 8 अप्रैल को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने संदीप कुमार को फटकार लगाई थी. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की अध्यक्षता वाली सिंगल बेंच ने कहा था कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ऐसी ही दो याचिकाएं पहले ही खारिज कर चुका है, ऐसे में याचिका पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने इस याचिका को कार्यकारी चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच को रेफर कर दिया था. सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच ने कहा था कि ये याचिका पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन नहीं है बल्कि पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है. संदीप कुमार की याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी दिल्ली आबकारी घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत हुई है. इस गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में काम करने में सक्षम नहीं हैं.
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याचिका में कहा गया था कि संविधान की धारा 239एए(4) के प्रावधानों के मुताबिक उप-राज्यपाल को सलाह देने वाले मंत्रिपरिषद का मुखिया मुख्यमंत्री ही होता है। अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के बाद उप-राज्यपाल को सलाह देना व्यावहारिक रुप से संभव नहीं है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने का आदेश जारी किया जाए.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट अरविंद केजरीवाल को मुख्यंमत्री पद से हटाने की मांग करने वाली इसके पहले दो याचिकाएं खारिज कर चुका है. पहली याचिका सुरजीत सिंह यादव ने दायर किया था और दूसरी याचिका विष्णु गुप्ता ने दायर किया था. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जेल जाने के बाद किसी को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है. विष्णु गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि ये मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फैसला करना है कि वो राष्ट्रहित में क्या फैसला करते हैं. व्यक्तिगत हितों से राष्ट्र हित ऊपर रखना चाहिए.
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