जालना (महाराष्ट्र) : मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को दावा किया कि मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक कानूनी समीक्षा में टिक नहीं पाएगा. जरांगे ने अपनी मांग दोहराई कि कुनबी मराठों के 'रक्त संबंधियों' पर महाराष्ट्र सरकार की मसौदा अधिसूचना को एक कानून में तब्दील किया जाए. जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय के सदस्यों की एक बैठक अपराह्न में होगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा. जरांगे 10 फरवरी से भूख हड़ताल पर हैं.
महाराष्ट्र विधानमंडल ने मंगलवार को एक-दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सर्वसम्मति से एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक पारित किया, लेकिन जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.
विधेयक में कहा गया है कि बड़ी संख्या में जातियों और समूहों को पहले से ही आरक्षित श्रेणी में रखा गया है, जिनका कुल आरक्षण प्रतिशत 52 है, ऐसे में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में रखना पूरी तरह से न्यायविरुद्ध होगा. पिछले महीने राज्य सरकार द्वारा जारी मसौदा अधिसूचना के अनुसार, यदि किसी मराठा व्यक्ति के पास यह दिखाने के लिए सबूत है कि वह कुनबी जाति से है, तो उस व्यक्ति के रक्त संबंधियों को भी कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी. कुनबी ओबीसी श्रेणी में आते हैं और उन्हें आरक्षण का लाभ मिलता है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि कुनबी मराठों के रक्त संबंधियों को प्रमाण पत्र देने के लिए पिछले महीने जारी मसौदा अधिसूचना की समीक्षा चल रही है, क्योंकि छह लाख आपत्तियां भी प्राप्त हुई हैं. जरांगे ने बुधवार को कहा कि सरकार ने मराठों के रिश्तेदारों को आरक्षण देने के लिए एक मसौदा अधिसूचना (इस महीने की शुरुआत में) जारी की है, लेकिन उन्होंने इसे लागू नहीं किया और विधानसभा के विशेष सत्र में भी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई.
जरांगे ने कहा, 'लोगों को अब भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भरोसा है. उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि उन्होंने (आरक्षण देने को लेकर) पहले जो शपथ ली थी, वह अब भी अधूरी है.' उन्होंने कहा, 'उन्हें (मराठों के) रिश्तेदारों के लिए आरक्षण लागू करने में आने वाली बाधाओं के बारे में बताना चाहिए.' जरांगे ने दावा किया कि सरकार को मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के अपने फैसले पर पछतावा होगा, क्योंकि इसकी घोषणा के बाद राज्य में किसी ने जश्न नहीं मनाया.
उन्होंने कहा, 'मराठा समुदाय के लोग समझ गए हैं कि यह वही आरक्षण है, जो उन्हें पहले भी दिया गया था (लेकिन बाद में हटा दिया गया था).' उन्होंने कहा, 'मंगलवार को विशेष विधानसभा सत्र में दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण से मराठा समुदाय का कोई लेना-देना नहीं है. यह कानूनी समीक्षा में टिक नहीं पाएगा.'
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