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देशभर में 22 अगस्त को प्रदर्शन का ऐलान, जानें हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट पर क्या है कांग्रेस की तैयारी - Congress protest Hindenburg report

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By Amit Agnihotri

Published : Aug 13, 2024, 4:50 PM IST

Congress Nationwide Protest: हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट को लेकर सियासी सरगर्मी में काफी तेज हो गई है. इस पर कांग्रेस कई सवाल उठा रही है. आज पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक में 22 अगस्त को देश भर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया है.

Congress Nationwide Protest
कांग्रेस की बैठक (ANI)

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी दल भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच के इस्तीफे और अडानी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस इसी मांग को लेकर आगामी 22 अगस्त को देशव्यापी प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस पार्टी के महासचिवों, राज्य प्रभारियों और प्रदेश इकाई के अध्यक्षों की बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार यह घोषणा की.

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट और कांग्रेस का प्रदर्शन
बता दें कि, हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस कई सवाल उठा रही है. इस विषय को लेकर पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने वरिष्ठ एआईसीसी और राज्य नेताओं के साथ एक रणनीति सत्र की अध्यक्षता की. बैठक के विषय में संगठन के एआईसीसी प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कहा, "पार्टी 22 अगस्त को इस विषय को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन करेगी. "हम सेबी प्रमुख माधबी बुच को हटाने और हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं."

एससी/एसटी कोटा
उन्होंने कहा, "जाति जनगणना की मांग, संविधान बचाओ अभियान और एससी/एसटी कोटा के लिए 'क्रीमी लेयर' अवधारणा के खिलाफ अलग-अलग आंदोलन पूरे देश में आयोजित किए जाएंगे." उन्होंने कहा, सामाजिक मुद्दों पर आक्रामक लोकसभा चुनाव अभियान चलाने के कुछ सप्ताह बाद सड़कों पर उतरने की कांग्रेस की रणनीति इस आकलन से उपजी है कि आम आदमी अभी भी आवश्यक वस्तुओं की ऊंची कीमतों, बेरोजगारी, कम आय, कम बचत, परीक्षा के प्रभाव पेपर लीक और भाजपा की विभाजनकारी राजनीति से जूझ रहा है."

मोदी सरकार को घेरने की कोशिश
विपक्षी इंडिया गठबंधन ने लोकसभा चुनाव 2024 में 543 में से 234 सीटें जीतकर सत्तारूढ़ एनडीए को चौंका देने के कुछ सप्ताह के बाद कांग्रेस ने विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार 3.0 को घेरने के लिए आंदोलन का सहारा लेने के फैसला किया है. इस बार के लोकसभा चुनावों में एनडीए ने 400 सीटें जीतने का दावा किया था लेकिन 293 सीटों पर सिमट गई. वहीं मुख्य पार्टी बीजेपी को 240 सीटों पर संतोष करना पड़ा. यह आंकड़ा सामान्य बहुमत से 32 सीटें कम हैं.

मोदी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश!
दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक के भीतर, कांग्रेस 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 2019 में 52 सीटों से लगभग दोगुनी हो गई. लोकसभा चुनाव के बाद आत्मविश्वास से भरी कांग्रेस ने राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना. कांग्रेस का मानना है कि, राहुल गांधी जदयू और टीडीपी जैसे सहयोगियों पर निर्भर मोदी सरकार पर दबाव बनाए रख सकते हैं.

क्या बोले इमरान मसूद
दूसरी तरफ लोकसभा सांसद इमरान मसूद ने ईटीवी भारत से कहा,“बजट 2024-25 सरकार के लिए आम लोगों की तकलीफों को कम करने का एक मौका था. लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है. उन्होंने संसद को आखिरी दिन 12 अगस्त से पहले ही स्थगित कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि विपक्ष नवीनतम हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी के खिलाफ नए आरोपों की जेपीसी जांच की अपनी मांग दोहराएगा." मसदू ने कहा, "यह शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लाखों छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के बारे में है. सेबी प्रमुख अडानी के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहे थे लेकिन उन्होंने खुद समूह में निवेश किया था. यह स्पष्ट रूप से हितों का टकराव है. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए.''

उन्होंने कहा “एससी/एसटी कोटा के लिए क्रीमी लेयर मुद्दे पर भी सरकार संसद के सदनों में अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकती थी कि यह इस अवधारणा के खिलाफ है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसलिए, हमें लोगों के पास जाना होगा.

क्या बोले तारिक अनवर
वहीं, लोकसभा सांसद तारिक अनवर के अनुसार, "जैसे ही विपक्ष ने संसद के अंदर एनडीए को घेर लिया, सरकार महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और यूटी जम्मू कश्मीर में चार प्रमुख विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए अचानक विवादास्पद वक्फ संपत्ति संशोधन विधेयक ले आई...लेकिन एकजुट विपक्ष के लिए, सरकार आगे की जांच के लिए विधेयक को संयुक्त चयन समिति को भेजने के लिए सहमत नहीं होती. कम से कम वे इस कानून को पारित कराने में जल्दबाजी नहीं कर सके, जैसा कि वे पिछली लोकसभा में करते थे, जहां उनके पास प्रचंड बहुमत था. यह लोकतंत्र की ताकत है जिसने इस बार सरकार को नियंत्रण में रखने के लिए एक मजबूत विपक्ष दिया है."

अनवर ने ईटीवी भारत को बताया, "यह हमारे लिए फिर से लोगों के पास जाने और उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का समय है."

ये भी पढ़ें: "हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट भ्रमित करने वाला हथकंडा" कौन हैं इसकी पैरवी करने वाले? दुष्यंत गौतम ने बताया

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी दल भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच के इस्तीफे और अडानी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस इसी मांग को लेकर आगामी 22 अगस्त को देशव्यापी प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस पार्टी के महासचिवों, राज्य प्रभारियों और प्रदेश इकाई के अध्यक्षों की बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार यह घोषणा की.

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट और कांग्रेस का प्रदर्शन
बता दें कि, हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस कई सवाल उठा रही है. इस विषय को लेकर पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने वरिष्ठ एआईसीसी और राज्य नेताओं के साथ एक रणनीति सत्र की अध्यक्षता की. बैठक के विषय में संगठन के एआईसीसी प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कहा, "पार्टी 22 अगस्त को इस विषय को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन करेगी. "हम सेबी प्रमुख माधबी बुच को हटाने और हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं."

एससी/एसटी कोटा
उन्होंने कहा, "जाति जनगणना की मांग, संविधान बचाओ अभियान और एससी/एसटी कोटा के लिए 'क्रीमी लेयर' अवधारणा के खिलाफ अलग-अलग आंदोलन पूरे देश में आयोजित किए जाएंगे." उन्होंने कहा, सामाजिक मुद्दों पर आक्रामक लोकसभा चुनाव अभियान चलाने के कुछ सप्ताह बाद सड़कों पर उतरने की कांग्रेस की रणनीति इस आकलन से उपजी है कि आम आदमी अभी भी आवश्यक वस्तुओं की ऊंची कीमतों, बेरोजगारी, कम आय, कम बचत, परीक्षा के प्रभाव पेपर लीक और भाजपा की विभाजनकारी राजनीति से जूझ रहा है."

मोदी सरकार को घेरने की कोशिश
विपक्षी इंडिया गठबंधन ने लोकसभा चुनाव 2024 में 543 में से 234 सीटें जीतकर सत्तारूढ़ एनडीए को चौंका देने के कुछ सप्ताह के बाद कांग्रेस ने विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार 3.0 को घेरने के लिए आंदोलन का सहारा लेने के फैसला किया है. इस बार के लोकसभा चुनावों में एनडीए ने 400 सीटें जीतने का दावा किया था लेकिन 293 सीटों पर सिमट गई. वहीं मुख्य पार्टी बीजेपी को 240 सीटों पर संतोष करना पड़ा. यह आंकड़ा सामान्य बहुमत से 32 सीटें कम हैं.

मोदी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश!
दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक के भीतर, कांग्रेस 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 2019 में 52 सीटों से लगभग दोगुनी हो गई. लोकसभा चुनाव के बाद आत्मविश्वास से भरी कांग्रेस ने राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना. कांग्रेस का मानना है कि, राहुल गांधी जदयू और टीडीपी जैसे सहयोगियों पर निर्भर मोदी सरकार पर दबाव बनाए रख सकते हैं.

क्या बोले इमरान मसूद
दूसरी तरफ लोकसभा सांसद इमरान मसूद ने ईटीवी भारत से कहा,“बजट 2024-25 सरकार के लिए आम लोगों की तकलीफों को कम करने का एक मौका था. लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है. उन्होंने संसद को आखिरी दिन 12 अगस्त से पहले ही स्थगित कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि विपक्ष नवीनतम हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी के खिलाफ नए आरोपों की जेपीसी जांच की अपनी मांग दोहराएगा." मसदू ने कहा, "यह शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लाखों छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के बारे में है. सेबी प्रमुख अडानी के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहे थे लेकिन उन्होंने खुद समूह में निवेश किया था. यह स्पष्ट रूप से हितों का टकराव है. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए.''

उन्होंने कहा “एससी/एसटी कोटा के लिए क्रीमी लेयर मुद्दे पर भी सरकार संसद के सदनों में अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकती थी कि यह इस अवधारणा के खिलाफ है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसलिए, हमें लोगों के पास जाना होगा.

क्या बोले तारिक अनवर
वहीं, लोकसभा सांसद तारिक अनवर के अनुसार, "जैसे ही विपक्ष ने संसद के अंदर एनडीए को घेर लिया, सरकार महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और यूटी जम्मू कश्मीर में चार प्रमुख विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए अचानक विवादास्पद वक्फ संपत्ति संशोधन विधेयक ले आई...लेकिन एकजुट विपक्ष के लिए, सरकार आगे की जांच के लिए विधेयक को संयुक्त चयन समिति को भेजने के लिए सहमत नहीं होती. कम से कम वे इस कानून को पारित कराने में जल्दबाजी नहीं कर सके, जैसा कि वे पिछली लोकसभा में करते थे, जहां उनके पास प्रचंड बहुमत था. यह लोकतंत्र की ताकत है जिसने इस बार सरकार को नियंत्रण में रखने के लिए एक मजबूत विपक्ष दिया है."

अनवर ने ईटीवी भारत को बताया, "यह हमारे लिए फिर से लोगों के पास जाने और उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का समय है."

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