चंडीगढ़/फरीदाबाद : क्या हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद करनाल उपचुनाव रद्द करने को लेकर विधायक नीरज शर्मा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है.
मुश्किल में नायब सिंह सैनी की कुर्सी : हरियाणा के मौजूदा सीएम नायब सैनी अभी कुरूक्षेत्र से सांसद हैं. बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटने के साथ मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद नायब सिंह सैनी हरियाणा के नए सीएम चुने गए थे. मनोहर लाल खट्टर ने करनाल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद करनाल विधानसभा सीट पर लोकसभा चुनाव के साथ ही 25 मई को चुनाव होने हैं. बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को करनाल विधानसभा सीट से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है लेकिन इस बीच अचानक से सीएम नायब सिंह सैनी की कुर्सी पर संकट मंडराता हुआ नज़र आ रहा है. दरअसल सीएम बने रहने के लिए 6 महीने के अंदर उनका विधायक बनना जरूरी है. ऐसे में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के एक फैसले ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है. महाराष्ट्र के अकोला (पश्चिम) विधानसभा क्षेत्र में 26 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने रद्द कर दिया है. इस आधार पर इसे रद्द किया गया है कि जीतने के बाद विधायक का कार्यकाल एक साल से भी कम बचेगा.
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का क्या दिखेगा असर ? : अब बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के इस फैसले का असर हरियाणा में करनाल विधानसभा उपचुनाव पर भी देखने को मिल सकता है क्योंकि करनाल विधानसभा सीट पर 25 मई को चुनाव होने हैं. वहीं हरियाणा विधानसभा का 5 साल का कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म हो रहा है, जो एक साल से भी कम वक्त है. इस बीच अगर नायब सिंह सैनी 6 महीने के अंदर विधायक नहीं बनते हैं तो उन्हें हरियाणा के सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा.
करनाल विधानसभा उपचुनाव रद्द करने की डिमांड : वहीं कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने करनाल उपचुनाव रद्द करने को लेकर चुनाव आयोग को ख़त लिख डाला है. उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के फैसले का हवाला देते हुए करनाल विधानसभा उपचुनाव को रद्द करने के लिए कहा है. पत्र में नीरज शर्मा ने कहा है कि एक साल से कम के कार्यकाल के लिए उपचुनाव कराना पैसों की बर्बादी है. उन्होंने आगे कहा है कि करनाल से नव निर्वाचित विधायक का आधे से ज्यादा कार्यकाल आचार संहिता में ही बीत जाएगा. 4 जून को चुनाव का रिजल्ट आने के बाद नव निर्वाचित विधायक को सिर्फ 4 महीने का वक्त ही मिल पाएगा, जबकि चुनाव में सरकारी खजाने से भारी भरकम रकम खर्च की जाएगी.
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