नई दिल्ली: एआईसीसी पदाधिकारियों ने रविवार को कहा कि पिछले दो वर्षों में राहुल गांधी की दो राष्ट्रव्यापी यात्राओं ने उन्हें कांग्रेस के निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित करने में मदद की है. देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए जमीन तैयार की.
पहली यात्रा 7 सितंबर, 2022 को दक्षिण में कन्याकुमारी से शुरू हुई और 4,500 किमी की दूरी तय करने और 12 राज्यों के 76 जिलों से गुजरने के बाद 30 जनवरी, 2023 को उत्तर में श्रीनगर में समाप्त हुई.
यात्रा 2.0, 14 जनवरी 2024 को उत्तर-पूर्व में मणिपुर से शुरू हुई और 6,700 किमी की दूरी तय करने और 14 राज्यों के 106 जिलों से गुजरने के बाद 16 मार्च, 2024 को पश्चिम में मुंबई में समाप्त हुई.
दूसरी यात्रा उस दिन समाप्त हुई जब चुनाव आयोग ने अप्रैल-मई के राष्ट्रीय चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की. एक दिन बाद, कांग्रेस नेताओं ने किसी भी पार्टी नेता द्वारा किए गए अब तक के दो सबसे बड़े जन आंदोलनों से हुए लाभ गिनाए.
मणिपुर के प्रभारी एआईसीसी महासचिव गिरीश चोडनकर ने बताया, 'पहली यात्रा को भारत जोड़ो यात्रा कहा गया जिसका उद्देश्य लोगों को एकजुट करना और शांति और प्रेम का संदेश फैलाना था. दूसरे का नाम भारत जोड़ो न्याय यात्रा रखा गया जिसका उद्देश्य सामाजिक न्याय का हमारा संदेश फैलाना था.
उन्होंने कहा कि 'चूंकि राहुल गांधी ने दो यात्राओं का नेतृत्व किया, इसलिए जनसंपर्क कार्यक्रमों ने उन्हें पार्टी के निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित कर दिया है. यात्राओं ने उनकी मानसिक और शारीरिक शक्तियों को साबित किया.'
एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा कि यात्राओं से कांग्रेस को अपना संदेश सीधे लोगों तक पहुंचाने और उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त करने में मदद मिली क्योंकि सबसे पुरानी पार्टी को मुख्यधारा के मीडिया में पर्याप्त जगह नहीं मिल रही थी.
'आम लोगों से मिले, सीधे बात की' : गिरीश चोडनकर ने बताया, 'राहुल गांधी आम लोगों से मिले और उनसे सीधे बात की. उन्हें उन मुद्दों के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी मिली जो आम लोगों को प्रभावित कर रहे थे. इस बातचीत से कई अभियान संबंधी विचार सामने आए. लोगों को उनमें वास्तविक व्यक्ति को देखने का अवसर भी मिला. परिणामस्वरूप, हजारों करोड़ रुपये खर्च कर भाजपा ने हमारे नेता के बारे में जो नकारात्मक धारणा बना ली थी, वह टूट गई.'
एआईसीसी संचार प्रमुख जयराम रमेश के अनुसार, कुल मिलाकर राहुल गांधी ने दो यात्राओं के दौरान देश भर के लगभग 181 जिलों को कवर किया. रमेश ने कहा कि 'यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है. यात्राओं के दौरान वह लाखों लोगों से मिले.'
हालांकि एआईसीसी पदाधिकारियों ने यात्राओं से होने वाले फायदों को गिनाया, लेकिन वे इन्हें राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यक्रम बताने में सतर्क थे. गिरीश चोडनकर ने कहा कि 'दोनों यात्राओं का उद्देश्य सामाजिक था, लोगों को भाजपा के हाथों हो रहे सामाजिक अन्याय के प्रति जागरूक करना था, हालांकि, चुनावी लाभ के लिहाज से यात्राओं के नतीजे राजनीतिक हो सकते हैं. लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि मतदाता यात्राओं पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं.'
एआईसीसी प्रवक्ता और यूपी के वरिष्ठ नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, 'यात्राओं ने पार्टी में हलचल पैदा कर दी है. हमारे कार्यकर्ता जो चुनावों में लगातार हार के बाद शांत पड़े थे, अब उत्साहित हो गए हैं. इससे निश्चित तौर पर लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी पार्टी को मदद मिलेगी.'
लोकसभा टिकट के इच्छुक सिंह ने कहा, 'पहली यात्रा ने यूपी के पश्चिमी हिस्सों में सिर्फ तीन दिन बिताए थे, लेकिन दूसरी यात्रा जिसने राज्य में लगभग 9 दिन बिताए जिसने पार्टी को पुनर्जीवित कर दिया है. जब मैं स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करता हूं तो मैं इसे महसूस करता हूं.'