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कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने पश्चिम बंगाल में फेरबदल का काम किया शुरू - Congress chief Mallikarjun Kharge

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By Amit Agnihotri

Published : Jul 30, 2024, 5:00 PM IST

CONGRESS CHIEF MALLIKARJUN KHARGE: लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में निराशजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पश्चिम बंगाल यूनिट में फेरबदल करने में जुट गई है. जानकारी के मुताबिक पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने पश्चिम बंगाल यूनिट में फेरबदल की दिशा में काम शुरू कर दिया है.

मल्लिकार्जुन खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे (ANI)

नई दिल्ली: कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने पश्चिम बंगाल यूनिट में फेरबदल की दिशा में काम शुरू कर दिया है. उन्होंने राज्य में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद यह कदम उठाया है. पश्चिम बंगाल में फिलहाल इंडिया ब्लॉक में शामिल ममता बनर्जी की सरकार है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की कुल 42 संसदीय सीटों में से 14 पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह केवल मालदा में जीत हासिल कर सकती. मालदा से लोकसभा में ईशा खान चौधरी सांसद हैं.

खड़गे के निर्देश पर संगठन के प्रभारी एआईसीसी केसी वेणुगोपाल ने 29 जुलाई को चार घंटे तक 24 राज्य नेताओं से एक-एक करके मुलाकात की ताकि राष्ट्रीय चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके. 29 जुलाई की बैठक के दौरान वेणुगोपाल ने आगे के रास्ते और उन नेताओं के नामों पर भी चर्चा की जो राज्य इकाई का नेतृत्व कर सकते हैं.

अधीर रंजन चौधरी पर पार्टी की उपेक्षा करने का आरोप
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार राज्य के अधिकांश नेताओं ने राज्य के संगठन में व्यापक बदलाव का सुझाव दिया और पूर्व राज्य यूनिट प्रमुख अधीर रंजन चौधरी पर पार्टी की उपेक्षा करने का आरोप लगाया, क्योंकि वे पिछले कुछ साल में टीएमसी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाना बनाने में व्यस्त थे.

राज्य के नेताओं ने यह भी सुझाव दिया कि कांग्रेस को अब पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्ष के रूप में भाजपा को हटाने का प्रयास करना चाहिए. बता दें कि ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे से इनकार कर दिया था, लेकिन उनके सांसदों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एनडीए का मुकाबला किया.

पार्टी में सुधार के लिए चर्चा शुरू
पश्चिम बंगाल के प्रभारी एआईसीसी सचिव बीपी सिंह ने ईटीवी भारत से कहा, "हमने पार्टी में सुधार के लिए राज्य के नेताओं के साथ चर्चा शुरू कर दी है. इसके लिए अधिक परामर्श की आवश्यकता हो सकती है. इस पर आखिरी फैसला आलाकमान लेगा. राज्य में भाजपा हमारी मुख्य प्रतिद्वंद्वी है और हमें वहां फिर से संगठित होने की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि राज्य में नेतृत्व का एक नया सेट लाने का समय आ गया है. वहीं, चौधरी अपनी पारंपरिक लोकसभा सीट बेहरामपुर हारने के बाद लाइमलाइट से दूर रहना चाहते हैं. बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान खड़गे ने चौधरी को उस समय फटकार लगाई थी, जब जिन्होंने कहा था कि पार्टी प्रमुख के रूप में वह ममता बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई की रेखा तय करेंगे, जो भाजपा से लड़ने की कांग्रेस की क्षमता पर संदेह कर रही थीं.

इन नामों पर हो रहा विचार
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार एक तरह से अधीर गलत नहीं थे, क्योंकि उन्हें कांग्रेस को राज्य की राजनीति में एक मजबूत चेहरा के रूप में पेश करना था. सूत्रों ने बताया कि नए पीसीसी प्रमुख के संभावित नामों में शंकर मालाकार, नेपाल महतो, डीपी रे और ईशा खान चौधरी शामिल हैं.

इस बीच शंकर मालाकार ने ईटीवी भारत से कहा, "हमें किसी भी कीमत पर भाजपा को हराना है. आने वाले दिनों में हम मतदाताओं से जुड़ने के लिए कई कार्यक्रम शुरू करेंगे." पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, एक बार जब कांग्रेस राज्य में खोई हुई जमीन हासिल कर लेती है, तो वह यह फैसला कर सकती है कि सहयोगी वाम दलों को साथ रखना है या नहीं.

यह भी पढ़ें- पवन खेड़ा ने खोला राज, बताया नीति आयोग की बैठक में कांग्रेस क्यों नहीं हुई शामिल, ममता पर ये कहा

नई दिल्ली: कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने पश्चिम बंगाल यूनिट में फेरबदल की दिशा में काम शुरू कर दिया है. उन्होंने राज्य में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद यह कदम उठाया है. पश्चिम बंगाल में फिलहाल इंडिया ब्लॉक में शामिल ममता बनर्जी की सरकार है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की कुल 42 संसदीय सीटों में से 14 पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह केवल मालदा में जीत हासिल कर सकती. मालदा से लोकसभा में ईशा खान चौधरी सांसद हैं.

खड़गे के निर्देश पर संगठन के प्रभारी एआईसीसी केसी वेणुगोपाल ने 29 जुलाई को चार घंटे तक 24 राज्य नेताओं से एक-एक करके मुलाकात की ताकि राष्ट्रीय चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके. 29 जुलाई की बैठक के दौरान वेणुगोपाल ने आगे के रास्ते और उन नेताओं के नामों पर भी चर्चा की जो राज्य इकाई का नेतृत्व कर सकते हैं.

अधीर रंजन चौधरी पर पार्टी की उपेक्षा करने का आरोप
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार राज्य के अधिकांश नेताओं ने राज्य के संगठन में व्यापक बदलाव का सुझाव दिया और पूर्व राज्य यूनिट प्रमुख अधीर रंजन चौधरी पर पार्टी की उपेक्षा करने का आरोप लगाया, क्योंकि वे पिछले कुछ साल में टीएमसी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाना बनाने में व्यस्त थे.

राज्य के नेताओं ने यह भी सुझाव दिया कि कांग्रेस को अब पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्ष के रूप में भाजपा को हटाने का प्रयास करना चाहिए. बता दें कि ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे से इनकार कर दिया था, लेकिन उनके सांसदों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एनडीए का मुकाबला किया.

पार्टी में सुधार के लिए चर्चा शुरू
पश्चिम बंगाल के प्रभारी एआईसीसी सचिव बीपी सिंह ने ईटीवी भारत से कहा, "हमने पार्टी में सुधार के लिए राज्य के नेताओं के साथ चर्चा शुरू कर दी है. इसके लिए अधिक परामर्श की आवश्यकता हो सकती है. इस पर आखिरी फैसला आलाकमान लेगा. राज्य में भाजपा हमारी मुख्य प्रतिद्वंद्वी है और हमें वहां फिर से संगठित होने की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि राज्य में नेतृत्व का एक नया सेट लाने का समय आ गया है. वहीं, चौधरी अपनी पारंपरिक लोकसभा सीट बेहरामपुर हारने के बाद लाइमलाइट से दूर रहना चाहते हैं. बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान खड़गे ने चौधरी को उस समय फटकार लगाई थी, जब जिन्होंने कहा था कि पार्टी प्रमुख के रूप में वह ममता बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई की रेखा तय करेंगे, जो भाजपा से लड़ने की कांग्रेस की क्षमता पर संदेह कर रही थीं.

इन नामों पर हो रहा विचार
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार एक तरह से अधीर गलत नहीं थे, क्योंकि उन्हें कांग्रेस को राज्य की राजनीति में एक मजबूत चेहरा के रूप में पेश करना था. सूत्रों ने बताया कि नए पीसीसी प्रमुख के संभावित नामों में शंकर मालाकार, नेपाल महतो, डीपी रे और ईशा खान चौधरी शामिल हैं.

इस बीच शंकर मालाकार ने ईटीवी भारत से कहा, "हमें किसी भी कीमत पर भाजपा को हराना है. आने वाले दिनों में हम मतदाताओं से जुड़ने के लिए कई कार्यक्रम शुरू करेंगे." पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, एक बार जब कांग्रेस राज्य में खोई हुई जमीन हासिल कर लेती है, तो वह यह फैसला कर सकती है कि सहयोगी वाम दलों को साथ रखना है या नहीं.

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