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आंध्र प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी, सीएम नायडू ने कहा- कर्ज के बोझ तले दबा है राज्य - CM Chandrababu Naidu

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 26, 2024, 6:07 PM IST

Updated : Jul 26, 2024, 6:20 PM IST

CM Chandrababu Naidu: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने राज्य को कर्ज के बोझ तले दबा दिया है.

CM Chandrababu Naidu
सीएम चंद्रबाबू नायडू (ANI)

अमरावती: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को राज्य में व्याप्त गहरे कर्ज संकट के लिए पिछली YSRCP सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि YSRCP के पांच साल के शासन के दौरान कर्ज का बोझ 9.74 लाख करोड़ से अधिक बढ़ गया है. सीएम नायडू ने विधानसभा में एक श्वेत पत्र भी पेश किया.

इस अवसर पर उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी संपत्तियों को गिरवी रखा गया और स्थानीय निकायों के धन को डायवर्ट किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले शासकों के गलत निर्ण यों के कारण राज्य की आय कम हुई है और कर्ज भी बढ़ा है. श्वेत पत्र में पिछली सरकार की वित्तीय अनियमितताओं का ब्यौरा गया है.

लोगों की प्रति व्यक्ति आय कम हुई
इस वाइट पेपर के मुताबिक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच विभाजन के मुद्दे हल नहीं हुए. कई बार ऐसी परिस्थितियां बनीं कि लोगों को पेंशन भी नहीं दी गई. इसके अलावा पुनर्गठन अधिनियम की अनुसूची 9 और 10 का समाधान नहीं हुआ. वर्ष 2014-15 में संयुक्त आंध्र प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 95,000 रुपये थी, जो विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश घटकर 93,903 रुपये रह गई. वहीं, विभाजन के बाद तेलंगाना की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,24,104 रुपये हो गई.

इसमें कहा गया है कि 2014-15 में, आंध्र प्रदेश में कृषि का हिस्सा 33 प्रतिशत और तेलंगाना में 19 प्रतिशत था, लेकिन अब राज्य पिछड़ गया है. हालांकि, अगर पोलावरम पूरा हो जाए तो हर एकड़ में सिंचाई होगी. वहीं, अगर विकास हो जाए तो आंध्र प्रदेश भी तेलंगाना के बराबर तरक्की करेगा.

श्वेत पत्र में कहा गया है कि जल संकट पैदा करने का क्रेडिट भी पिछली सरकार को जाता है. अगर टीडीपी सत्ता में होती तो पोलावरम 2021 तक पूरा हो जाता. वहीं, भारी बाढ़ आने पर गोदावरी नदी को 57 लाख क्यूसेक पानी मिलेगा. गोदावरी में चीन के बाद सबसे ज्यादा बाढ़ आती है. गोदावरी में संकट आने पर बहुत खतरा है.

कई परियोजनाओं को टाल दिया गया
इसके मुताबिक राज्य में 990 करोड़ रुपये की लागत से नई डायाफ्राम दीवार बनाई जानी है. 2021 तक पूरी होने वाली परियोजना को 2027-28 तक टाल दिया गया है और अमरावती का विकास पीछे छूट गया है. अगर विकास जारी रहता तो 7 लाख नौकरियां पैदा होतीं. अमरावती का विकास हुआ होता तो यह 3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति बन जाती.

अमरावती को गौरव वापस दिलाएंगे

मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि वह अमरावती को उसका पुराना गौरव वापस दिलाएंगे. इससे पहले उन्होंने उद्योगों में 7.72 लाख नौकरियां पैदा कीं और वह सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों में दूसरे स्थान पर रहे. उन्होंने कहा कि वह प्रति व्यक्ति आय को 13.2 प्रतिशत तक लाने में सफल रहे. उन्होंने दावा किया कि पिछले पांच सालों में कृषि क्षेत्र की विकास दर में 5.7 प्रतिशत की कमी आई है और सरविस सेक्टर की विकास दर भी 2 प्रतिशत कम हुई है. इसके साथ ही विकास दर 13.5 प्रतिशत से घटकर 10.5 प्रतिशत हो गई है.

सीएम नायडू ने कहा कि विकास दर में कमी के कारण जीएसडीपी में 6.94 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है. इतना ही नहीं राज्य के राजस्व में 76,195 करोड़ रुपये की कमी भी हुई है. रेत अनियमितताओं के कारण राज्य को 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. खदानों के दोहन के कारण राज्य को 9,750 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. इन अनियमितताओं के कारण हम पर 1.29 लाख करोड़ रुपये का बिजली बकाया है.

यह भी पढ़ें- सीएम चंद्रबाबू नायडू ने अमित शाह से की भेंट, उन्हें आंध्र के वित्तीय संकट से कराया अवगत

अमरावती: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को राज्य में व्याप्त गहरे कर्ज संकट के लिए पिछली YSRCP सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि YSRCP के पांच साल के शासन के दौरान कर्ज का बोझ 9.74 लाख करोड़ से अधिक बढ़ गया है. सीएम नायडू ने विधानसभा में एक श्वेत पत्र भी पेश किया.

इस अवसर पर उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी संपत्तियों को गिरवी रखा गया और स्थानीय निकायों के धन को डायवर्ट किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले शासकों के गलत निर्ण यों के कारण राज्य की आय कम हुई है और कर्ज भी बढ़ा है. श्वेत पत्र में पिछली सरकार की वित्तीय अनियमितताओं का ब्यौरा गया है.

लोगों की प्रति व्यक्ति आय कम हुई
इस वाइट पेपर के मुताबिक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच विभाजन के मुद्दे हल नहीं हुए. कई बार ऐसी परिस्थितियां बनीं कि लोगों को पेंशन भी नहीं दी गई. इसके अलावा पुनर्गठन अधिनियम की अनुसूची 9 और 10 का समाधान नहीं हुआ. वर्ष 2014-15 में संयुक्त आंध्र प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 95,000 रुपये थी, जो विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश घटकर 93,903 रुपये रह गई. वहीं, विभाजन के बाद तेलंगाना की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,24,104 रुपये हो गई.

इसमें कहा गया है कि 2014-15 में, आंध्र प्रदेश में कृषि का हिस्सा 33 प्रतिशत और तेलंगाना में 19 प्रतिशत था, लेकिन अब राज्य पिछड़ गया है. हालांकि, अगर पोलावरम पूरा हो जाए तो हर एकड़ में सिंचाई होगी. वहीं, अगर विकास हो जाए तो आंध्र प्रदेश भी तेलंगाना के बराबर तरक्की करेगा.

श्वेत पत्र में कहा गया है कि जल संकट पैदा करने का क्रेडिट भी पिछली सरकार को जाता है. अगर टीडीपी सत्ता में होती तो पोलावरम 2021 तक पूरा हो जाता. वहीं, भारी बाढ़ आने पर गोदावरी नदी को 57 लाख क्यूसेक पानी मिलेगा. गोदावरी में चीन के बाद सबसे ज्यादा बाढ़ आती है. गोदावरी में संकट आने पर बहुत खतरा है.

कई परियोजनाओं को टाल दिया गया
इसके मुताबिक राज्य में 990 करोड़ रुपये की लागत से नई डायाफ्राम दीवार बनाई जानी है. 2021 तक पूरी होने वाली परियोजना को 2027-28 तक टाल दिया गया है और अमरावती का विकास पीछे छूट गया है. अगर विकास जारी रहता तो 7 लाख नौकरियां पैदा होतीं. अमरावती का विकास हुआ होता तो यह 3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति बन जाती.

अमरावती को गौरव वापस दिलाएंगे

मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि वह अमरावती को उसका पुराना गौरव वापस दिलाएंगे. इससे पहले उन्होंने उद्योगों में 7.72 लाख नौकरियां पैदा कीं और वह सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों में दूसरे स्थान पर रहे. उन्होंने कहा कि वह प्रति व्यक्ति आय को 13.2 प्रतिशत तक लाने में सफल रहे. उन्होंने दावा किया कि पिछले पांच सालों में कृषि क्षेत्र की विकास दर में 5.7 प्रतिशत की कमी आई है और सरविस सेक्टर की विकास दर भी 2 प्रतिशत कम हुई है. इसके साथ ही विकास दर 13.5 प्रतिशत से घटकर 10.5 प्रतिशत हो गई है.

सीएम नायडू ने कहा कि विकास दर में कमी के कारण जीएसडीपी में 6.94 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है. इतना ही नहीं राज्य के राजस्व में 76,195 करोड़ रुपये की कमी भी हुई है. रेत अनियमितताओं के कारण राज्य को 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. खदानों के दोहन के कारण राज्य को 9,750 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. इन अनियमितताओं के कारण हम पर 1.29 लाख करोड़ रुपये का बिजली बकाया है.

यह भी पढ़ें- सीएम चंद्रबाबू नायडू ने अमित शाह से की भेंट, उन्हें आंध्र के वित्तीय संकट से कराया अवगत

Last Updated : Jul 26, 2024, 6:20 PM IST
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