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सोनम वांगचुक की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने किया निस्तारित, जानें पूरा मामला - Sonam Wangchuk Demand - SONAM WANGCHUK DEMAND

लेह से करीब 150 लोगों के साथ पदयात्रा पर आ रहे सोनम वांगचुक के काफिले को 30 सितंबर को दिल्ली के सिंधु बार्डर पर रोक कर हिरासत में ले लिया गया था. इसी के खिलाफ दायर याचिका की आज सुनवाई होनी थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनम वांगचुक को रिहा कर दिया है. इसके बाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को निस्तारित कर दिया है.

सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ सुनवाई
सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ सुनवाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 3, 2024, 11:39 AM IST

Updated : Oct 3, 2024, 12:49 PM IST

नई दिल्लीः सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन उससे पहले दिल्ली पुलिस ने सोनम वांगचुक को रिहा कर दिया है. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच को ये सूचित किया. उसके बाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को निस्तारित कर दिया है.

बता दें कि लेह से करीब 150 लोगों के साथ पदयात्रा पर आ रहे सोनम वांगचुक के काफिले को 30 सितंबर को दिल्ली के सिंधु बार्डर पर रोक कर हिरासत में ले लिया गया था. वे दिल्ली में राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर प्रदर्शन के लिए आ रहे थे. सोनम वांगचुक को बाद में 2 अक्टूबर को रिहा कर दिया गया था. सोनम वांगचुक ने 2 अक्टूबर को राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की थी. दिल्ली पुलिस ने छह दिनों के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लागू कर दिया था. इसके तहत किसी भी विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं होगी.

हिरासत में लेने का हुआ विरोध
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर राजनीतिक बवाल मच गया. विपक्षी दलों ने हिरासत में लेने की कार्रवाई का विरोध किया. एक अक्टूबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी सोनम वांगचुक से मिलने पहुंची थीं लेकिन उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी गई. वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख में बंद आयोजित किया गया. वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. वांगचुक ने एक सितंबर से लेह से यात्रा शुरू की थी. ये यात्रा करीब एक हजार किलोमीटर की थी. इस पदयात्रा का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी ने कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर किया गया था.

उधर, वांगचुक और अन्य को हिरासत में लेने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई. मंगलवार को इस मामले का उल्लेख मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ में किया गया. मुख्य पीठ ने मामले को सूचीबद्ध करने से इनकार करते हुए तीन अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की.

क्या हैं मांगें

  • प्रोटेस्ट मार्च का आयोजन लेह एपेक्स बाडी (एलएबी) द्वारा किया गया, जो कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ पिछले चार वर्षों से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहा है.
  • लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग की मांग.
  • लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीट बनाने की मांग.
  • जल्द भर्ती प्रक्रिया और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग

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नई दिल्लीः सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन उससे पहले दिल्ली पुलिस ने सोनम वांगचुक को रिहा कर दिया है. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच को ये सूचित किया. उसके बाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को निस्तारित कर दिया है.

बता दें कि लेह से करीब 150 लोगों के साथ पदयात्रा पर आ रहे सोनम वांगचुक के काफिले को 30 सितंबर को दिल्ली के सिंधु बार्डर पर रोक कर हिरासत में ले लिया गया था. वे दिल्ली में राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर प्रदर्शन के लिए आ रहे थे. सोनम वांगचुक को बाद में 2 अक्टूबर को रिहा कर दिया गया था. सोनम वांगचुक ने 2 अक्टूबर को राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की थी. दिल्ली पुलिस ने छह दिनों के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लागू कर दिया था. इसके तहत किसी भी विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं होगी.

हिरासत में लेने का हुआ विरोध
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर राजनीतिक बवाल मच गया. विपक्षी दलों ने हिरासत में लेने की कार्रवाई का विरोध किया. एक अक्टूबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी सोनम वांगचुक से मिलने पहुंची थीं लेकिन उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी गई. वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख में बंद आयोजित किया गया. वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. वांगचुक ने एक सितंबर से लेह से यात्रा शुरू की थी. ये यात्रा करीब एक हजार किलोमीटर की थी. इस पदयात्रा का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी ने कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर किया गया था.

उधर, वांगचुक और अन्य को हिरासत में लेने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई. मंगलवार को इस मामले का उल्लेख मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ में किया गया. मुख्य पीठ ने मामले को सूचीबद्ध करने से इनकार करते हुए तीन अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की.

क्या हैं मांगें

  • प्रोटेस्ट मार्च का आयोजन लेह एपेक्स बाडी (एलएबी) द्वारा किया गया, जो कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ पिछले चार वर्षों से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहा है.
  • लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग की मांग.
  • लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीट बनाने की मांग.
  • जल्द भर्ती प्रक्रिया और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग

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Last Updated : Oct 3, 2024, 12:49 PM IST
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