नयी दिल्ली : किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बड़े पैमाने पर यातायात बाधित होने का संज्ञान लिया. पीटीआई की खबर के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि अगर वकील यातायात में फंस जाते हैं तो उनके साथ सहयोग किया जाएगा. प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने दिन की कार्यवाही की शुरुआत में वकीलों से कहा कि अगर किसी को यातायात की स्थिति के कारण कोई समस्या होती है, तो हम समायोजन कर लेंगे.
इससे पहले, किसान आंदोलन की दस्तक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने मंगलवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा. पत्र में सीजेआई से कथित रूप से दिल्ली में उपद्रव पैदा करने के लिए जबरन प्रवेश करने वाले किसानों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है. इसके साथ ही किसान आंदोलन के कारण कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने में विफल रहने वाले वकीलों के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश नहीं देने का निर्देश देने की भी मांग की.
वरिष्ठ वकील और एससीबीए अध्यक्ष आदिश सी. अग्रवाल ने सीजेआई को लिखे पत्र में कहा कि ऐसा संदेह है कि किसानों का यह विरोध आगामी संसद चुनाव से पहले राजनीति से प्रेरित है. एससीबीए अध्यक्ष ने कहा कि मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि उपद्रव पैदा करने और नागरिकों के दैनिक जीवन को परेशान करने के लिए जबरन दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले दोषी किसानों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करें.
पत्र में कहा गया है कि भले ही किसानों की वास्तविक मांगें हों, लेकिन उन्हें आम जनता को परेशानी में डालने का अधिकार नहीं है. पत्र में कहा गया है कि यह सही समय है जब सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये किसान कोई उपद्रव न करें और आम जनता को भारी असुविधा न पहुंचाएं.
पत्र में कहा गया है कि किसानों के विरोध के अधिकार को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. पत्र में कहा गया है कि सोमवार रात की वार्ता में सुझाए गए केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार न करके तथाकथित किसान नेताओं ने केवल लोगों के लिए समस्याएं पैदा करने के लिए दिल्ली जाने का फैसला किया है.
अग्रवाल ने कहा कि इन परिस्थितियों में, हमारे वकील, न केवल वे जो सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं, बल्कि वे भी जो दिल्ली उच्च न्यायालय, विभिन्न आयोगों और न्यायाधिकरणों और जिला अदालतों में प्रैक्टिस करते हैं, उन्हें अदालती कार्यवाही में भाग लेने के लिए बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि जब तक किसानों के कारण दिल्ली की सीमाओं पर जनता की मुक्त आवाजाही बहाल ना हो तब तक उपर्युक्त अदालतों के समक्ष सूचीबद्ध किसी भी मामले में गैर-उपस्थिति के कारण प्रतिकूल आदेश पारित न करने के लिए सभी संबंधित लोगों को अपेक्षित निर्देश जारी करें.
पत्र में कहा गया है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, कुछ किसान उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से दिल्ली आ रहे हैं और 13 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार हो रहे हैं. पत्र में कहा गया है कि इससे पहले, 2021 और 2022 में, इसी तरह के विरोध के कारण पड़ोसी राज्यों के साथ दिल्ली की तीन सीमाएं कई महीनों तक अवरुद्ध रहीं, जिससे आम जनता को कठिनाई हुई. पत्र में कहा गया है कि यह भी रिकॉर्ड की बात है कि बेहतर चिकित्सा उपचार के लिए दिल्ली आने की कोशिश के दौरान कई लोगों की मृत्यु हो गई, लेकिन सड़क अवरोध के कारण वे समय पर दिल्ली के अस्पतालों तक नहीं पहुंच सके.
पत्र में कहा गया है कि आज के किसानों के विरोध की पृष्ठभूमि में, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस ने सिंघू, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं पर सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं, प्रदर्शनकारियों को ले जाने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए कीलें और सड़क पर बैरिकेड लगा दिए हैं.
फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने समेत अन्य मांगों को लेकर दो केंद्रीय नेताओं के साथ बैठक बेनतीजा रहने के बाद पंजाब से किसानों ने मंगलवार को सुबह अपना 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू किया. किसानों की अंबाला-शंभू, खनौरी-जींद और डबवाली सीमाओं से दिल्ली की ओर कूच करने की योजना है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के वास्ते 200से अधिक किसान संगठन दिल्ली तक मार्च करेंगे.