ETV Bharat / bharat

जनसंख्या वृद्धि से पैदा होने वाली चुनौतियों पर गौर करने केंद्र ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाई

interim budget 2024 : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने तेजी से जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों पर गौर करने के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति की स्थापना की है. इस पर पूर्व सांसद और सीपीएम केंद्रीय समिति के सदस्य हन्नान मोल्ला ने कहा कि अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना हमेशा भाजपा-आरएसएस सरकार का एजेंडा रहा है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

Union FM Nirmala Sitharaman
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 1, 2024, 8:13 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट पेश किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि तेजी से जनसंख्या वृद्धि से पैदा होने वाली चुनौतियों पर विचार करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा. समिति को विकसित भारत के लक्ष्य के संबंध में इन चुनौतियों से व्यापक रूप से निपटने के लिए सिफारिशें करने का काम सौंपा जाएगा. इसी क्रम में बाद में पत्रकारों से बात करते हुए आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने कहा कि समिति के नियम और संदर्भ जल्द ही तैयार किए जाएंगे.

सेठ ने कहा कि समिति जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव पर विस्तृत रूप से गौर करेगी. उन्होंने कहा कि यह घोषणा लोकसभा में अंतरिम बजट की प्रस्तुति के दौरान सामाजिक परिवर्तन टैगलाइन के तहत की गई. हालांकि, विपक्ष ने इस घोषणा को भाजपा-आरएसएस सरकार की एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने की रणनीति करार दिया. इस संबंध में पूर्व सांसद और सीपीएम केंद्रीय समिति के सदस्य हन्नान मोल्ला ने कहा कि अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना हमेशा भाजपा-आरएसएस सरकार का एजेंडा रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरिम बजट का उपयोग करके केंद्र सरकार अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रही है.

मोल्ला ने कहा कि सरकार हमेशा जनसंख्या नियंत्रण विधेयक को पारित करने की कोशिश कर रही है. हालांकि, अपने कुछ सहयोगियों की स्पष्ट आपत्ति के कारण वे विधेयक को पारित नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई मौकों पर कई भाजपा सांसदों ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक अधिनियम की मांग करते हुए लोकसभा और राज्यसभा दोनों में निजी सदस्यों के बिल पेश किए. यहां तक कि कुछ भाजपा शासित राज्यों ने भी जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है. वहीं जनसंख्या वृद्धि के खिलाफ हमेशा मुखर रहने वाले असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण नीति अपनानी शुरू कर दी है.

दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए असम सरकार की एक नई वित्तीय सहायता योजना कुछ शर्तों के साथ शुरू की गई है, जिसमें उनके बच्चों की संख्या की सीमा भी शामिल है. जबकि सामान्य और ओबीसी श्रेणियों की महिलाएं यदि योजना का लाभ उठाना चाहती हैं तो उनके तीन से अधिक बच्चे नहीं हो सकते हैं. वहीं अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं के लिए यह सीमा चार बच्चों की है. मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता अभियान (MMUA) नामक योजना की घोषणा जनवरी के दूसरे सप्ताह में की गई थी. मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि धीरे-धीरे, राज्य सरकार की सभी लाभार्थी योजनाओं को ऐसे जनसंख्या मानदंडों से बांध दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें- चुनावी साल के बजट में सरकार ने किसानों, महिलाओं, युवाओं और गरीबों पर किया फोकस

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट पेश किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि तेजी से जनसंख्या वृद्धि से पैदा होने वाली चुनौतियों पर विचार करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा. समिति को विकसित भारत के लक्ष्य के संबंध में इन चुनौतियों से व्यापक रूप से निपटने के लिए सिफारिशें करने का काम सौंपा जाएगा. इसी क्रम में बाद में पत्रकारों से बात करते हुए आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने कहा कि समिति के नियम और संदर्भ जल्द ही तैयार किए जाएंगे.

सेठ ने कहा कि समिति जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव पर विस्तृत रूप से गौर करेगी. उन्होंने कहा कि यह घोषणा लोकसभा में अंतरिम बजट की प्रस्तुति के दौरान सामाजिक परिवर्तन टैगलाइन के तहत की गई. हालांकि, विपक्ष ने इस घोषणा को भाजपा-आरएसएस सरकार की एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने की रणनीति करार दिया. इस संबंध में पूर्व सांसद और सीपीएम केंद्रीय समिति के सदस्य हन्नान मोल्ला ने कहा कि अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना हमेशा भाजपा-आरएसएस सरकार का एजेंडा रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरिम बजट का उपयोग करके केंद्र सरकार अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रही है.

मोल्ला ने कहा कि सरकार हमेशा जनसंख्या नियंत्रण विधेयक को पारित करने की कोशिश कर रही है. हालांकि, अपने कुछ सहयोगियों की स्पष्ट आपत्ति के कारण वे विधेयक को पारित नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई मौकों पर कई भाजपा सांसदों ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक अधिनियम की मांग करते हुए लोकसभा और राज्यसभा दोनों में निजी सदस्यों के बिल पेश किए. यहां तक कि कुछ भाजपा शासित राज्यों ने भी जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है. वहीं जनसंख्या वृद्धि के खिलाफ हमेशा मुखर रहने वाले असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण नीति अपनानी शुरू कर दी है.

दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए असम सरकार की एक नई वित्तीय सहायता योजना कुछ शर्तों के साथ शुरू की गई है, जिसमें उनके बच्चों की संख्या की सीमा भी शामिल है. जबकि सामान्य और ओबीसी श्रेणियों की महिलाएं यदि योजना का लाभ उठाना चाहती हैं तो उनके तीन से अधिक बच्चे नहीं हो सकते हैं. वहीं अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं के लिए यह सीमा चार बच्चों की है. मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता अभियान (MMUA) नामक योजना की घोषणा जनवरी के दूसरे सप्ताह में की गई थी. मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि धीरे-धीरे, राज्य सरकार की सभी लाभार्थी योजनाओं को ऐसे जनसंख्या मानदंडों से बांध दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें- चुनावी साल के बजट में सरकार ने किसानों, महिलाओं, युवाओं और गरीबों पर किया फोकस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.