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प्रदूषण के खिलाफ अभियान में लगाए जाएंगे बस मार्शल, दिल्ली सरकार का फैसला - BUS MARSHALS WILL GET EMPLOYMENT

बस मार्शल से हटाए गए सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स की चार महीने तक सेवा लेगी सरकार. प्रदूषण के खिलाफ अभियान में देंगे सहयोग.

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सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स की चार महीने तक सेवा लेगी सरकार. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 24, 2024, 3:00 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शहर में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ एक नई पहल शुरू की है, जिसमें बस मार्शल जिनकी ड्यूटी को हटा दिया गया है. अब प्रदूषण नियंत्रण गतिविधियों में सहयोग देंगे. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी को सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को 1 नवम्बर से चार महीने तक प्रदूषण नियंत्रण कार्यों के लिए तैनात करने का निर्देश दिया है. साथ ही उन्होंने सरकार को भविष्य के लिए एक ठोस योजना तैयार करने की सलाह दी है.

मंत्री सौरभ भारद्वाज का वादा: दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि सरकार बर्खास्त किए गए बस मार्शलों की ड्यूटी को बहाल करने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने कहा, "फौरी राहत के तौर पर इन सभी लोगों को प्रदूषण के खिलाफ जारी अभियान में तुरंत ड्यूटी दी जाएगी." मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि चार महीने की अवधि के बाद बस मार्शल को उनकी पूर्व ड्यूटी पर वापस लाया जाएगा.

DTC बस मार्सलों के लिए अच्छी खबर, सरकार देगी रोजगार (ETV Bharat)

हाल में दिल्ली सचिवालय और राजनिवास के बीच बस मार्शलों की बहाली को लेकर शोरगुल हुआ था. आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री आतिशी ने इस संदर्भ में उपराज्यपाल से मुलाकात भी की थी. हालांकि, इस साल अक्टूबर में लगभग 10,000 सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं. उपराज्यपाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने प्रदर्शन शुरू कर दिया.

सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई जगह धरना प्रदर्शन किया है और वे अपनी नौकरी को लेकर चिंतित हैं. उनकी दलील है कि जब उनकी नियुक्ति की गई थी, तब सरकार ने इसे रोजगार देने की एक पहल बताया था, लेकिन अब उनका भविष्य अंधकार में चला गया है. वे सुरक्षा के उपायों में कमी को लेकर भी चिंतित हैं और कह रहे हैं कि जब वे प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस द्वारा उन्हें बलपूर्वक उठाया जाता है.

यह भी पढ़ें- Delhi: DTC कर्मचारियों को नियमित करने का मुद्दा गरमाया, भीम आर्मी चीफ ने CM आतिशी को पत्र लिखकर की ये मांग

इसलिए बस मार्शल के तौर पर की गई थी नियुक्तिः 2015 में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक बसों में बस मार्शल योजना शुरू की गई थी. योजना के तहत सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स और होमगार्ड, जिन्हें बस मार्शल कहा जाता है, डीटीसी और कलेक्टर बसों में नियुक्त किया गया था. राजस्व विभाग और होमगार्ड निदेशालय द्वारा उनकी भर्ती की गई थी. आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद महिला सुरक्षा के मद्देनजर बसों में मार्शलों की तैनाती की बात आई थी. तब जाकर केजरीवाल सरकार ने सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को नियुक्ति कर उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी दी. इनमें से अधिकांश सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स बस मार्शल के रूप में अभी तक अपनी सेवा बसों में दे रहे थे. बस मार्शल और सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स अपने वेतन भुगतान की मांग को लेकर समय-समय पर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं.

यह भी पढ़ें- डीटीसी कर्मचारियों का प्रदर्शन, कहा- कम वेतन में नहीं चला पा रहे परिवार, नौकरी छोड़ने को मजबूर

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शहर में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ एक नई पहल शुरू की है, जिसमें बस मार्शल जिनकी ड्यूटी को हटा दिया गया है. अब प्रदूषण नियंत्रण गतिविधियों में सहयोग देंगे. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी को सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को 1 नवम्बर से चार महीने तक प्रदूषण नियंत्रण कार्यों के लिए तैनात करने का निर्देश दिया है. साथ ही उन्होंने सरकार को भविष्य के लिए एक ठोस योजना तैयार करने की सलाह दी है.

मंत्री सौरभ भारद्वाज का वादा: दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि सरकार बर्खास्त किए गए बस मार्शलों की ड्यूटी को बहाल करने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने कहा, "फौरी राहत के तौर पर इन सभी लोगों को प्रदूषण के खिलाफ जारी अभियान में तुरंत ड्यूटी दी जाएगी." मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि चार महीने की अवधि के बाद बस मार्शल को उनकी पूर्व ड्यूटी पर वापस लाया जाएगा.

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हाल में दिल्ली सचिवालय और राजनिवास के बीच बस मार्शलों की बहाली को लेकर शोरगुल हुआ था. आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री आतिशी ने इस संदर्भ में उपराज्यपाल से मुलाकात भी की थी. हालांकि, इस साल अक्टूबर में लगभग 10,000 सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं. उपराज्यपाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने प्रदर्शन शुरू कर दिया.

सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई जगह धरना प्रदर्शन किया है और वे अपनी नौकरी को लेकर चिंतित हैं. उनकी दलील है कि जब उनकी नियुक्ति की गई थी, तब सरकार ने इसे रोजगार देने की एक पहल बताया था, लेकिन अब उनका भविष्य अंधकार में चला गया है. वे सुरक्षा के उपायों में कमी को लेकर भी चिंतित हैं और कह रहे हैं कि जब वे प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस द्वारा उन्हें बलपूर्वक उठाया जाता है.

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इसलिए बस मार्शल के तौर पर की गई थी नियुक्तिः 2015 में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक बसों में बस मार्शल योजना शुरू की गई थी. योजना के तहत सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स और होमगार्ड, जिन्हें बस मार्शल कहा जाता है, डीटीसी और कलेक्टर बसों में नियुक्त किया गया था. राजस्व विभाग और होमगार्ड निदेशालय द्वारा उनकी भर्ती की गई थी. आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद महिला सुरक्षा के मद्देनजर बसों में मार्शलों की तैनाती की बात आई थी. तब जाकर केजरीवाल सरकार ने सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को नियुक्ति कर उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी दी. इनमें से अधिकांश सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स बस मार्शल के रूप में अभी तक अपनी सेवा बसों में दे रहे थे. बस मार्शल और सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स अपने वेतन भुगतान की मांग को लेकर समय-समय पर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं.

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