मुंबई : लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों को बाद नई सरकार का गठन हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार पीएम पद की शपथ ले चुके हैं. मंत्रिमंडल का भी विस्तार हो चुका है. इसके बाद भी एक विषय पर लगातार चर्चा हो रही है जो अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही है. वो विषय है इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी का पिछली बार की तुलना में खराब प्रदर्शन.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम में अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा नेताओं पर इसे लेकर तगड़ा वार किया. हालांकि, मोहन भागवत के बयान को बीजेपी के लिए नसीहत के रूप में बताया जा रहा है. वहीं, अब संघ के ही मुखपत्र ऑर्गनाइजर में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के चुनावी प्रदर्शन को लेकर एक लेख प्रकाशित हुआ है. इस लेख में कहा गया है कि बीजेपी के खराब प्रदर्शन का कारण अतिआत्मविश्वास रहा. साप्ताहिक 'ऑर्गनाइजर', के इस लेख से भाजपा को करारा झटका लगा है.
दरअसल, भाजपा और उसके वैचारिक मूल संगठन के बीच बिगड़ते संबंधों की ओर इशारा करते हुए, आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि 'अति आत्मविश्वास' और 'झूठे अहंकार' के कारण अंततः लोकसभा चुनावों में भाजपा की हार हुई. लेख में कहा गया है कि परिणाम भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए 'वास्तविकता की जांच' थे, जिन्होंने आरएसएस से मदद नहीं मांगी थी.
आरएसएस सदस्य रतन शारदा द्वारा लिखे गए एक लेख में कहा गया है कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के नतीजे, जिसमें भाजपा ने 240 सीटें जीती हैं, भाजपा के लिए वास्तविकता की परीक्षा के रूप में काम करेंगे. शारदा ने लेख में लिखा कि 2024 के आम चुनावों के नतीजे अति आत्मविश्वासी भाजपा कार्यकर्ताओं और कई नेताओं के लिए वास्तविकता की परीक्षा के रूप में आए हैं. उन्हें यह एहसास नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का 400 से अधिक (सीटों) का आह्वान उनके लिए एक लक्ष्य और विपक्ष के लिए एक चुनौती थी.
हालांकि भाजपा बहुमत से चूक गई है, लेकिन एनडीए सहयोगियों, खासकर चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली तेलुगु देशम पार्टी और नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) की मदद से भाजपा ने लगातार तीसरी बार सत्ता की शपथ ली. भाजपा के पास वर्तमान में 240 सीटें हैं, जबकि एनडीए गठबंधन के पास सामूहिक रूप से निचले सदन में 293 सांसद हैं. वहीं, तीन स्वतंत्र सांसदों द्वारा कांग्रेस को अपना समर्थन देने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पास 237 सीटें हैं.
साथ ही कहा गया है कि लक्ष्यों को मैदान में कड़ी मेहनत करके हासिल किया जाता है, न कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करके. चूंकि वे अपने बुलबुले में खुश थे, मोदीजी के आभामंडल से झलकती चमक का आनंद ले रहे थे, इसलिए वे जमीन पर आवाज नहीं सुन रहे थे.
यह लेख आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणियों के साथ आया है, जिन्होंने सोमवार को एक समारोह में कहा था कि चुनाव एक आम सहमति बनाने वाली प्रक्रिया होनी चाहिए और विपक्ष को प्रतिपक्ष के रूप में पहचाना जाना चाहिए. अपने लेख में, शारदा ने यह भी शिकायत की कि किसी भी भाजपा या आरएसएस कार्यकर्ता और आम नागरिक की सबसे बड़ी शिकायत वर्षों से स्थानीय सांसद या विधायक से मिलने में कठिनाई या असंभवता रही है. उनकी समस्याओं के प्रति असंवेदनशीलता एक और आयाम है. भाजपा के चुने हुए सांसद और मंत्री हमेशा ‘व्यस्त’ क्यों रहते हैं? वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कभी दिखाई क्यों नहीं देते? इसका जवाब देना इतना मुश्किल क्यों है.
उन्होंने मोदी के नाम पर 543 सीटों में से हर सीट पर चुनाव लड़ने की रणनीति पर भी सवाल उठाए. शारदा ने लिखा कि यह विचार कि मोदीजी सभी 543 सीटों पर लड़ रहे हैं, सीमित महत्व रखता है. यह विचार तब आत्मघाती साबित हुआ जब उम्मीदवारों को बदल दिया गया, स्थानीय नेताओं की कीमत पर थोपा गया और दलबदलुओं को अधिक महत्व दिया गया. देर से आने वालों को समायोजित करने के लिए अच्छे प्रदर्शन करने वाले सांसदों की बलि देना दुखद है .
भाजपा समर्थकों को दुख हुआ क्योंकि उन्होंने वर्षों तक कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और उन्हें सताया गया था. एक ही झटके में भाजपा ने अपनी ब्रांड वैल्यू कम कर दी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में नंबर एक बनने के लिए वर्षों के संघर्ष के बाद, यह बिना किसी अंतर के एक और राजनीतिक पार्टी बन गई.
महाराष्ट्र में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा और वह 2019 में कुल 48 में से 23 निर्वाचन क्षेत्रों की तुलना में केवल नौ सीटें जीत सकी. शिंदे गुट के नेतृत्व वाली शिवसेना को सात सीटें और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को सिर्फ एक सीट मिली. किसी नेता का नाम लिए बगैर शारदा ने कहा कि कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल करना, जिन्होंने भगवा आतंकवाद के हौवे को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया और हिंदुओं को सताया, साथ ही 26/11 को 'आरएसएस की साजिश' कहा और आरएसएस को आतंकवादी संगठन करार दिया. इतना ही नहीं उसने भाजपा की 'खराब छवि' पेश की और आरएसएस समर्थकों को बहुत ठेस पहुंचाई है.
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