नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी में नए अध्यक्ष को लेकर सरगर्मी शुरू हो गई है. वैसे तो पार्टी का अध्यक्ष संगठन चुनाव की प्रक्रिया के बाद ही चुना जाता है. लेकिन यदि देखा जाए तो हाल के एग्जिट पोल के नतीजे और चुनाव परिणाम आने के बाद से ही ये बात गाहे बगाहे देखी जा रही की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) लगातार भाजपा पर कई मुद्दों में तल्ख टिप्पणी कर चुका है. यही वजह है की लगातार चुनाव कैंपेन के दौरान भी संघ के मुद्दे पर तनातनी देखने को मिली. हमेशा से यही देखा जाता रहा है कि, भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर ज्यादातर वही व्यक्ति बैठते हैं, जिनके नाम पर संघ की भी सहमति होती है. लेकिन संघ प्रमुख के हाल ही में दिए दो बयान ने संघ और भाजपा की तल्खियां सामने ला दी हैं, जिसने पार्टी की काफी हद तक चुनौतियां भी बढ़ा दी हैं.
सूत्रों की माने तो संघ 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति और संघ की पृष्ठभूमि वाले नेता को बनाने पर जोर दे रहा है, जिसके बाद 53 वर्षीय देवेंद्र फडणवीस और 54 वर्षीय सुनील बंसल का नाम भी चर्चाओं में है. मगर इसी के साथ सूत्रों की माने तो एक फॉर्मूला किसी महिला नेता को कमान देने पर भी चर्चा जोर-शोर से चल रही है. वह इसलिए, क्योंकि भाजपा की कोर वोटर महिलाएं हो चुकी हैं. मगर वहीं दूसरी तरफ युवाओं ने जिस तरह से ज्यादा वोट पार्टी को नहीं दिया उसे देखते हुए युवा चेहरे के नाम पर भी अटकलें हैं. बहरहाल ,के लक्ष्मण,ओम माथुर से लेकर महिल नेता वनीथी श्रीनिवासन और सरोज पांडेय के नाम पर भी चर्चा है.
कुल मिलाकर अटकलें बहुत सारे नाम पर हैं लेकिन अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान और संघ की सहमति से संसदीय बोर्ड ही लेगा. चुनाव प्रचार के बीच में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का यह कहना कि पार्टी अब आरएसएस से स्वतंत्र हो गई है और उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है. मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा और आरएसएस के बीच कई स्थानों पर विरोध को दर्शाता है. इन सबके बीच ऐसी बात सामने आई कि, बीजेपी और आरएसएस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. लेकिन अब ऐसा लगता है की चुनाव परिणाम के बाद भाजपा ने भी संघ के रिश्तों को तरजीह देनी शुरू कर दी है. क्योंकि परिणाम उम्मीद से कम आए हैं, जिसका असर अध्यक्ष के चुनाव में भी देखने को मिल सकता है.
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