गुवाहाटी: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार रामेश्वर तेली और मिशन रंजन दास ने बुधवार को विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. पूर्व केंद्रीय मंत्री तेली और उत्तरी करीमगंज से चार बार विधायक रह चुके दास के साथ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, राज्य भाजपा प्रमुख भाबेश कलिता और सत्तारूढ़ गठबंधन के कई अन्य नेता मौजूद रहे.
इस मौके पर सीएम सरमा ने कहा, "टी जनजाति समुदाय के वरिष्ठ नेता तेली के निर्विरोध जीतने की उम्मीद है. वहीं, दास बराक घाटी क्षेत्र के एक वरिष्ठ भाजपा नेता हैं, जिन्होंने पहली बार 1991 में उत्तरी करीमगंज विधानसभा सीट जीती थी. मुझे लगता है कि दोनों निर्विरोध जीतेंगे."
'दोनों उम्मीदवार चुनाव में विजयी होंगे'
वहीं, सर्बानंद सोनोवाल ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं और उम्मीद जताई कि तेली और दास दोनों उच्च सदन में राज्य का अच्छा प्रतिनिधित्व करेंगे और असम के विकास के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी के दोनों उम्मीदवार चुनाव में विजयी होंगे. विपक्ष कोई खतरा नहीं है और उन्होंने अपना सारा आत्मविश्वास खो दिया है."
बता दें कि तेली और दास दोनों के 3 सितंबर को होने वाले चुनाव जीतने की पूरी उम्मीद है, क्योंकि विपक्षी दलों के किसी भी उम्मीदवार ने बुधवार तक नामांकन दाखिल नहीं किया. बता दें कि आज नामांकन की अंतिम तिथि थी.
चुनाव न लड़ने का फैसला- भूपेन कुमार बोरा
इस संबंध में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा कि पार्टी ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है, क्योंकि उनके पास दोनों में से किसी भी सीट को जीतने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं थी.
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के डिब्रूगढ़ सीट और काजीरंगा सीट से कामाख्या प्रसाद तासा के लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद ये दोनों राज्यसभा सीटें खाली हुई थीं. सोनोवाल ने डिब्रूगढ़ से चुनाव लड़ा था और असम जातीय परिषद (एजेपी) के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई को 279,321 मतों के अंतर से हराया था, जो इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार थे.
तासा जून 2019 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे. लोकसभा चुनाव में उन्होंने काजीरंगा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी रोजलिना तिर्की को 248,947 मतों से हराया.
लोकसभा में भी निर्विरोध जीत
बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के मुकेश दलाल ने सूरत सीट से निर्विरोध जीत हासिल की थी. उस समय कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन तकनीकी आधार पर खारिज हो गया था और बाकी 9 उम्मीदावरों ने अपना पर्चा वापस ले लिया था, जिसके चलते मुकेश दलाल निर्विरोध चुनाव जीत गए थे.
यह भी पढ़ें- राज्यसभा उपचुनाव के लिए BJP ने जारी की लिस्ट, बार काउंसिल के चेयरमैन को बनाया उम्मीदवार