मुंबई : बीजेपी, राष्ट्रीय महिला आयोग और कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली हिंसा मुद्दे पर टीएमसी सरकार को आड़े हाथों लिया. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि संदेशखली के चलते बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस का 'पतन' होगा. सीएम सरमा ने बंगाल में पत्रकारों के साथ व्यवहार की आलोचना करते हुए कहा कि मामलों की सही स्थिति का खुलासा करने का प्रयास करने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है.
भाजपा द्वारा तृणमूल नेताओं पर यौन हिंसा का आरोप और संदेशखाली में महिलाओं के साथ उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद असम के सीएम कहा, 'बंगाल की स्थिति बहुत खराब है. वहां जो पत्रकार वास्तविकता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें भी गिरफ्तार किया जा रहा है.' संदेशखाली में जो घटना घटी, उसके बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता.
उन्होंने कानूनी प्रणाली में विश्वास जताया और कहा कि कानून अपना काम करेगा. महिलाओं पर ऐसा अत्याचार. यह सब राज्य सरकार की जानकारी में थी. वहां एक सिंडिकेट चल रहा था. यह देश के सामने आ गया है. मुझे विश्वास है कि कानून अपना काम करेगा. असम के सीएम ने आगे चेतावनी दी कि इस तरह के अत्याचार करने वाली सरकार लंबे समय तक सत्ता में नहीं रहेगी.
टीएमसी चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन लोग चुप नहीं रहेंगे. जो सरकार इस तरह अत्याचार करती है वह लंबे समय तक नहीं टिकेगी. इससे पहले सोमवार को पश्चिम बंगाल पुलिस ने एक न्यूज चैनल से जुड़े एक पत्रकार को संदेशखाली में गिरफ्तार किया था. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक नोटिस जारी कर उस मामले में दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.
एनएचआरसी ने कहा कि शिकायतकर्ता संबंधित पत्रकार की पत्नी हैं. पत्नी ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी के बाद से पति से संपर्क टूट गया है. उनकी भलाई के बारे में चिंतित हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह मीडिया का गला घोंटने का एक प्रयास है. इस बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी पश्चिम बंगाल में पत्रकार की गिरफ्तारी पर एक बयान जारी किया. संदेशखाली क्षेत्र में 10 दिनों से अधिक समय से अशांति देखी जा रही है क्योंकि महिला प्रदर्शनकारी टीएमसी नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए कथित अत्याचारों के खिलाफ न्याय की मांग कर रही हैं.