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बस्तर में माओवादियों की बंदूक पर बच्चों का बस्ता पड़ा भारी, बोले रोक सको तो रोक लो - Two dozen schools opened in Bijapur

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 27, 2024, 3:42 PM IST

दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर के बच्चे पहले स्कूल जाने के नाम से सहम जाते थे. अब हालात बदल चुके हैं. बच्चे स्कूल का बस्ता सजाए जंगलों की राह पकड़ अब स्कूलों तक पहुंच रहे हैं. बच्चे और उनके माता पिता भी समझ गए हैं शिक्षा है तो कल उनका बेहतर बनेगा. बस्तर के नक्सली भी अब ये जान चुके हैं कि बहुत दिन तक इनकी आंखों पर डर और झूठ की पट्टी नहीं बांधी जा सकती है.

TWO DOZEN SCHOOLS OPENED IN BIJAPUR
रोक सको तो रोक लो (ETV Bharat)

बीजापुर: बस्तर के नक्सलगढ़ कहे जाने वाले बीजापुर में सालों पहले बंद हो चुके 23 स्कूलों को प्रशासन ने फिर से शुरु किया है. पहले दिन स्कूल की घंटी खुद कलेक्टर अनुराग पांडेय ने बजाकर बच्चों की क्लास लगवाई. लंबे वक्त के बाद खुले स्कूलों को पहले से तैयार कर रखा गया था. बच्चे जैसे ही स्कूल पहुंचे सबसे पहले बच्चों का मुंह मिठाई से मीठा कराया गया. कलेक्टर अनुराग पांडेय ने बच्चों को न्योता भोज भी दिया. सालों बाद खुले स्कूल और सालों बाद पहुंचे स्कूली बच्चे जब पहुंचे तो स्कूल का माहौल देखते ही बना.

रोक सको तो रोक लो (ETV Bharat)

नक्सलगढ़ में बंदूक पर भारी पड़ा बच्चों का बस्ता: नक्सलियों के खौफ और आतंक के चलते सालों पहले बीजापुर के दर्जनों स्कूल बंद हो चुके थे. कई स्कूलों में टीचर आते थे बच्चे नदारद रहते थे. कभी नक्सली स्कूल भवनों को बम और डायनामाइट से उड़ा दिया करते थे. नक्सली कभी नहीं चाहते थे कि बस्तर के बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़ें, अच्छे और बुरे का फर्क सीखें. वक्त बदला और बस्तर में जवानों के बूटों की धमक बढ़ी तो नक्सली भी खौफ में आ गए. हालत इस तेजी से बदले कि अब नक्सली जंगलों में जिंदगी की भीख मांगते फिर रहे हैं.

दर्जनों गांव में खुले स्कूल: बीजापुर के नक्सल प्रभावित गांवों कांवड़गांव, मुतवेंडी, डुमरीपालनार सहित कई गांवों में 23 स्कूलों को फिर से शुरु किया गया है. कई स्कूल तो ऐसे थे जो साल 2005 से ही बंद पड़े थे. जिला प्रशासन ने स्कूलों गर्मी की छुट्टियों में ठीक ठाक कराकर तैयार किया. कई नए स्कूल भी खोले गए जो संवेदनशील इलाकों में हैं. बच्चों और उनके पालकों को उम्मीद है कि नक्सली उनके बेहतर कल को अब अंधेरे में नहीं धकेलेंगे. बच्चों की ये किलकारी और बच्चों की मस्ती. बच्चों का स्कूली बस्ता जरूर आतंक और बारूद पर भारी पड़ रहा है.

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रोक सको तो रोक लो (ETV Bharat)

नक्सलगढ़ में बंदूक पर भारी पड़ा बच्चों का बस्ता: नक्सलियों के खौफ और आतंक के चलते सालों पहले बीजापुर के दर्जनों स्कूल बंद हो चुके थे. कई स्कूलों में टीचर आते थे बच्चे नदारद रहते थे. कभी नक्सली स्कूल भवनों को बम और डायनामाइट से उड़ा दिया करते थे. नक्सली कभी नहीं चाहते थे कि बस्तर के बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़ें, अच्छे और बुरे का फर्क सीखें. वक्त बदला और बस्तर में जवानों के बूटों की धमक बढ़ी तो नक्सली भी खौफ में आ गए. हालत इस तेजी से बदले कि अब नक्सली जंगलों में जिंदगी की भीख मांगते फिर रहे हैं.

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