मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के मृतक आरोपी अक्षय शिंदे के पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. याचिका में उन्होंने अपने बेटे के एनकाउंटर की जांच की मांग की है. कोर्ट ने सुनवाई को दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि इसे एनरकाउंटर नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एक आम आदमी गोली नहीं चला सकता. पुलिस आरोपी को गोली मारने के बजाए उसे काबू कर सकती थी. ऐसे में यह घटना पहली नजर में गड़बड़ नजर आती है. कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारी की जानी चाहिए.
अदालत ने कहा, "जिस उसने पहला ट्रिगर दबाया, दूसरे लोग आसानी से उस पर काबू पा सकते थे. वह कोई बहुत बड़ा या मजबूत व्यक्ति नहीं था. इसे स्वीकार करना बहुत मुश्किल है. इसे मुठभेड़ नहीं कहा जा सकता."
बाल सुरक्षा की जांच के लिए गठित समिति की प्रगति पर निराशा
इससे पहले कोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्कूलों में बाल सुरक्षा की जांच के लिए गठित समिति द्वारा प्रगति की कमी पर अपनी निराशा व्यक्त की थी. मुख्य लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर बुधवार को जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ के समक्ष पेश हुए, जहां पीठ ने कहा कि समिति के किसी भी सदस्य को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में कोई विवरण या हाई कोर्ट का आदेश नहीं मिला है.
समिति को आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी- कोर्ट
जस्टिस डेरे ने अधिकारियों की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए कहा, "आज तक समिति को कोई सूचना नहीं मिली है. क्या आप इस बारे में गंभीर हैं? आपने हमें अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. समिति को आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए, लेकिन अब ऐसा कैसे होगा? यह आपकी ईमानदारी को दर्शाता है. आपके कार्य आपके शब्दों के विपरीत हैं. यह केवल कागज पर नहीं हो सकता."
यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे का एनकाउंटर
बता दें कि पुलिस ने हाल ही में बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे को एनकाउंटर में मार गिराया था. 24 वर्षीय अक्षय शिंदे पर ठाणे जिले के बदलापुर शहर के एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था.
एनकाउंटर के बाद अक्षय शिंदे के परिवार ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाय. अक्षय के परिवार ने पुलिस के बयान को चुनौती देते हुए दावा किया है कि उसकी मौत एक फर्जी मुठभेड़ में हुई है. उसके पिता ने कोर्ट से एसआईटी से जांच कराने की मांग की.
दूसरी ओर विपक्ष ने भी अक्षय की हत्या को लेकर दिए पुलिस के बयान में खामियां निकालीं और सरकार पर स्कूल प्रबंधन को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया.