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हसदेव अरण्य आंदोलन के धरना स्थल पर आगजनी, प्रदर्शनकारियों ने कहा और तेज होगा मूवमेंट - Hasdeo Aranya Movement

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 25, 2024, 10:42 PM IST

Updated : Mar 26, 2024, 4:02 PM IST

हसदेव में पेड़ों की कटाई के खिलाफ चल रहे आंदोलन स्थल से खबर है कि यहां आंदोलनकारियों के धरना स्थल पर आगजनी की गई है. इस घटना की शिकायत हसदेव अरण्य बचाओ समिति ने पुलिस से की है. पुलिस इस केस में विस्तृत जांच की बात कह रही है.

HASDEO ARANYA MOVEMENT
हसदेव अरण्य आंदोलन

हसदेव अरण्य आंदोलन के धरना स्थल पर आगजनी

सरगुजा: हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के खिलाफ आंदोलन कर रही हसदेव अरण्य समिति ने आगजनी का आरोप लगाया है. समिति की तरफ से ट्वीट कर यह कहा गया है कि आंदोलन स्थल पर बनी झोपड़ी को आग के हवाले कर दिया गया. किसने आग लगाई है इसका खुलासा नहीं हो पाया है. समिति ने इस बाबत सरगुजा के उदयपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई है.

रविवार आधी रात की घटना: यह घटना रविवार आधी रात की बताई जा रही है. सरगुजा के उदयपुर में यह आंदोलन चल रहा है. उदयपुर के हरिहरपुर इलाके में बीते 755 दिनों से हसदेव बचाओ समिति के बैनर तले आदिवासी और पर्यावरण से जुड़े लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. समिति का आरोप है कि रविवार रात को अज्ञात लोगों ने आंदोलन स्थल पर बनाई गई झोपड़ीनुमा पंडाल को आग के हवाले कर दिया. समिति की शिकायत के बाद उदयपुर पुलिस इस पूरे केस की जांच कर रही है.

परसा ईस्ट एवं कांते बेसन में हो रही कटाई: सरगुजा और कोरबा के सरहदी इलाके में हसदेव का जंगल स्थित है. इसे हसदेव अरण्य के नाम से जाना जाता है. परसा ईस्ट एवं कांते बेसन के कोयला खदान और यहां अन्य कोयला खदान की अनुमति देने के बाद से पेड़ों की कटाई हो रही है. इसी पेड़ों की कटाई के विरोध में लोग यहां आंदोलन कर रहे है. आंदोलन से जुड़ी समिति का आरोप है कि उनके आंदोलनकारियों के लिए धरना स्थल पर झोपड़ी बनाई गई थी. जिसे आगे के हवाले कर दिया गया है.

"इस मामले की हमें शिकायत मिली है. सरगुजा पुलिस की तरफ से जांच कराई जा रही है. इस केस में फॉरेंसिक एक्सपर्ट से भी जांच कराई जाएगी": विजय अग्रवाल, एसपी

"आंदोलन स्थल को जलाने से आंदोलन नहीं रुकेगा. हसदेव अरण्य में इंसाफ और अधिकार देने की बजाय आंदोलन स्थल पर आगजनी अनुचित है. हसदेव के केस में फर्जी ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित कर इस क्षेत्र को उजाड़ा जा रहा है. यह लड़ाई उस सोच के खिलाफ है": आलोक शुक्ला, सदस्य, हसदेव बचाओ आंदोलन

हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के खिलाफ बीते दो साल से भी अधिक समय से आंदोलन चल रहा है. इस इलाके के ग्रामीण और पर्यावरण प्रेमी इस आंदोलन से जुड़े हुए हैं. छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी यह मुद्दा लगातार हावी रहा है. बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस मुद्दें पर विधानसभा में भी तीखी बहस हो चुकी है. हसदेव की लड़ाई सड़कों पर भी देखने को मिली थी.

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हसदेव में पेड़ कटाई के आंकड़ों पर छत्तीसगढ़ सरकार और आंदोलनकारी आमने-सामने

हसदेव अरण्य आंदोलन के धरना स्थल पर आगजनी

सरगुजा: हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के खिलाफ आंदोलन कर रही हसदेव अरण्य समिति ने आगजनी का आरोप लगाया है. समिति की तरफ से ट्वीट कर यह कहा गया है कि आंदोलन स्थल पर बनी झोपड़ी को आग के हवाले कर दिया गया. किसने आग लगाई है इसका खुलासा नहीं हो पाया है. समिति ने इस बाबत सरगुजा के उदयपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई है.

रविवार आधी रात की घटना: यह घटना रविवार आधी रात की बताई जा रही है. सरगुजा के उदयपुर में यह आंदोलन चल रहा है. उदयपुर के हरिहरपुर इलाके में बीते 755 दिनों से हसदेव बचाओ समिति के बैनर तले आदिवासी और पर्यावरण से जुड़े लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. समिति का आरोप है कि रविवार रात को अज्ञात लोगों ने आंदोलन स्थल पर बनाई गई झोपड़ीनुमा पंडाल को आग के हवाले कर दिया. समिति की शिकायत के बाद उदयपुर पुलिस इस पूरे केस की जांच कर रही है.

परसा ईस्ट एवं कांते बेसन में हो रही कटाई: सरगुजा और कोरबा के सरहदी इलाके में हसदेव का जंगल स्थित है. इसे हसदेव अरण्य के नाम से जाना जाता है. परसा ईस्ट एवं कांते बेसन के कोयला खदान और यहां अन्य कोयला खदान की अनुमति देने के बाद से पेड़ों की कटाई हो रही है. इसी पेड़ों की कटाई के विरोध में लोग यहां आंदोलन कर रहे है. आंदोलन से जुड़ी समिति का आरोप है कि उनके आंदोलनकारियों के लिए धरना स्थल पर झोपड़ी बनाई गई थी. जिसे आगे के हवाले कर दिया गया है.

"इस मामले की हमें शिकायत मिली है. सरगुजा पुलिस की तरफ से जांच कराई जा रही है. इस केस में फॉरेंसिक एक्सपर्ट से भी जांच कराई जाएगी": विजय अग्रवाल, एसपी

"आंदोलन स्थल को जलाने से आंदोलन नहीं रुकेगा. हसदेव अरण्य में इंसाफ और अधिकार देने की बजाय आंदोलन स्थल पर आगजनी अनुचित है. हसदेव के केस में फर्जी ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित कर इस क्षेत्र को उजाड़ा जा रहा है. यह लड़ाई उस सोच के खिलाफ है": आलोक शुक्ला, सदस्य, हसदेव बचाओ आंदोलन

हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के खिलाफ बीते दो साल से भी अधिक समय से आंदोलन चल रहा है. इस इलाके के ग्रामीण और पर्यावरण प्रेमी इस आंदोलन से जुड़े हुए हैं. छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी यह मुद्दा लगातार हावी रहा है. बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस मुद्दें पर विधानसभा में भी तीखी बहस हो चुकी है. हसदेव की लड़ाई सड़कों पर भी देखने को मिली थी.

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Last Updated : Mar 26, 2024, 4:02 PM IST
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