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नैनीताल में 1880 में आज ही के दिन आया था विनाशकारी भूस्खलन, 151 लोगों ने गंवाई थी जान, अब चारों ओर से है खतरा - Nainital Landslide of 1880

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 18, 2024, 1:53 PM IST

Updated : Sep 18, 2024, 5:04 PM IST

Black day of Nainital's landslide, Lake City Nainital, Nainital Tourism उत्तराखंड का नैनीताल हमारे देश ही नहीं बल्कि विदेश तक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. नैनी झील इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती है. लेकिन पिछले कुछ समय से नैनीताल चारों ओर से लैंडस्लाइड के खतरे से जूझ रहा है. ऐसा नहीं है कि नैनीताल पर अचानक ही भूस्खलन का खतरा आया है. 144 साल पहले यहां विनाशकारी भूस्खलन आ चुका है. तब के प्राकृतिक आपदा में 151 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.

Black day of Nainital
नैनीताल समाचार (File Photo)

नैनीताल (उत्तराखंड): आज देश और दुनिया में लोग नैनीताल को पर्यटन नगरी के तौर पर जानते हैं. यहां आकर सभी सुकून महसूस करते हैं. लेकिन अतीत में नैनीताल की स्थिति ऐसी नहीं थी. 18 सितंबर 1880 के दिन नैनीताल में एक विनाशकारी भूस्खलन आया था. इस लैंडस्लाइड ने न सिर्फ इस शहर का भूगोल बदल दिया था, बल्कि ब्रिटिश और भारतीयों को मिलाकर करीब 151 लोगों की जान भी ली थी. तभी से नैनीताल में हर साल 18 सितंबर का दिन काले दिवस के रूप में मनाया जाता है.

144 साल पहले नैनीताल ने झेला है विनाशकारी भूस्खलन. (Video- ETV Bharat)

नैनीताल के इतिहास के काला दिवस को 144 साल पूरे: सरोवर नगरी नैनीताल की खोज 1841 में एक ब्रिटिश व्यापारी पीटर बैरन ने की थी. जिसके बाद नैनीताल को ब्रिटिश शासकों ने एक नए रूप में विकसित किया. ब्रिटिश शासकों को नैनीताल इतना पसंद आया था, कि उन्होंने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का फैसला किया था.

Lake City Nainital
नैनीताल में 1880 में भीषण भूस्खलन हुआ था (Photo- कुमाऊं विवि के पूर्व प्रोफेसर अजय रावत द्वारा प्राप्त.)

इसके बाद से नैनीताल ब्रिटिश शासकों का गढ़ बन गया. लेकिन इसी बीच 18 सितंबर 1880 को नैनीताल में एक बड़ा भूस्खलन हुआ. जिसमें करीब 151 लोग जमींदोज हो गए थे. इस हादसे में कई हेक्टेयर क्षेत्र मलबे में तब्दील हो गया. इतना ही नहीं इस भूस्खलन की वजह से नैनीताल का प्रसिद्ध मां नैना देवी मंदिर 500 मीटर दूर खिसक गया.

Lake City Nainital
1880 में आए भूस्खलन में 151 लोग मारे गए थे. (Photo- कुमाऊं विवि के पूर्व प्रोफेसर अजय रावत द्वारा प्राप्त.)

1880 में आया था विनाशकारी भूस्खलन: भूस्खलन के बाद नैनीताल के मल्लीताल क्षेत्र में एक खेल के मैदान का निर्माण भी हुआ. वहां पहले कभी नैनी झील हुआ करती थी. इस भूस्खलन के बाद झील का क्षेत्रफल भी कम हो गया था. हालांकि, इस विनाशकारी भूस्खलन के बाद ब्रिटिश शासकों ने नैनीताल को दोबारा सहेजने की कवायद की थी. नैनीताल की कमजोर पहाड़ियों को भूस्खलन से रोकने के लिए ब्रिटिश शासकों ने करीब 64 छोटे बड़े नालों का निर्माण कराया था, जिनकी कुल लंबाई 6499 फीट है.

Lake City Nainital
आज नैनीताल में आए भूस्खलन की 144वीं बरसी है (Photo- कुमाऊं विवि के पूर्व प्रोफेसर अजय रावत द्वारा प्राप्त.)

1841 में हुई थी नैनीताल की खोज: शहर के जानकार मानते हैं कि इन्हीं नालों की वजह से आज भी सरोवर नगरी नैनीताल का वजूद कायम है. 1841 में जब पीटर बैरन ने नैनीताल की खोज की तब उन्होंने ये नहीं सोचा था, कि जिस स्थान की खोज वो कर रहे हैं, वो एक दिन पर्यटन के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध होगा. यही कारण है कि आज नैनीताल में हर साल लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं, जो यहां आकर नैनीताल के विभिन्न पर्यटन स्थलों के साथ-साथ नैनीताल की ब्रिटिश कालीन इमारतों का दीदार करते हैं.

Black day of Nainital
चाइन पीक भी खतरे की जद में है (Photo- कुमाऊं विवि के पूर्व प्रोफेसर अजय रावत द्वारा प्राप्त.)

नैनीताल में 1867 में हुआ पहला भूस्खलन: नैनीताल के बसने के कुछ वर्षों के बाद साल 1867 में यहां पहला भूस्खलन वर्तमान के चार्टन लॉज की पहाड़ी पर हुआ था. तब कुमाऊं के कमिश्नर रहे सर हेनरी रैमजे ने हिल साइड सेफ्टी कमेटी का गठन किया, जो नैनीताल के संवेदनशील इलाकों के बारे में जानकारी जुटाती थी.

Black day of Nainital
ठंडी सड़क पर हो रहा भूस्खलन (Photo- ETV Bharat)

नैनीताल में लैंडस्लाइड का पुराना इतिहास-

  1. 1866 में आल्मा की पहाड़ी पर हुआ था भारी भूस्खलन.
  2. जुलाई 1867 में नैनीताल क्लब क्षेत्र में हुआ था भारी भूस्खलन.
  3. 21 जून 1888 को सीआरएसटी के ऊपर भूस्खलन से विज्ञान प्रयोगशालाओं को नुकसान हुआ.
  4. 1888 में मंदिर के मध्य में भूस्खलन हुआ था.
  5. 1890 से पहले डीएसबी के समीप राजभवन रोड, ठंडी सड़क पर भूस्खलन.
  6. 1924 अयारपाटा क्षेत्र में भारी भूस्खलन.
  7. 1988 में 28 अगस्त को नैना पीक व चायना पीक चट्टान दरकी.
  8. 1988 व 1987, चायना पीक पर भूस्खलन से 100 पेड़ धराशाई हो गए थे. 61 भवनों को नुकसान हुआ और 470 परिवार प्रभावित हुए.

नैनीताल को भूस्खलन से चौतरफा खतरा: 1880 के बाद से नैनीताल की पहाड़ियों में लगातार बाद भूस्खलन हो रहा है जो 144 साल बाद भी जारी है. अब शहर के बलियानाला, टिफिन टॉप, डोर्थी सीट, अपर माल रोड, चाइना पीक (नैना पीक) राजभवन के पिछले हिस्से में स्थित निहाल नाला, ठंडी सड़क समेत अन्य क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन हो रहा है. इससे नैनीताल में चारों तरफ से भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है.

Black day of Nainital
टिफिन टॉप पर भी होता रहता है भूस्खलन (Photo- ETV Bharat)
Black day of Nainital
बारा पत्थर मार्ग भी गिरा बोल्डर (Photo- ETV Bharat)

हालांकि, बीते कुछ सालों में राज्य सरकार ने बलियानाला क्षेत्र में हो रहे बड़े भूस्खलन को रोकने के लिए 180 करोड़ की योजना से कार्य शुरू किये हैं, ताकि नैनीताल के अस्तित्व को बचाया जा सके.

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नैनीताल (उत्तराखंड): आज देश और दुनिया में लोग नैनीताल को पर्यटन नगरी के तौर पर जानते हैं. यहां आकर सभी सुकून महसूस करते हैं. लेकिन अतीत में नैनीताल की स्थिति ऐसी नहीं थी. 18 सितंबर 1880 के दिन नैनीताल में एक विनाशकारी भूस्खलन आया था. इस लैंडस्लाइड ने न सिर्फ इस शहर का भूगोल बदल दिया था, बल्कि ब्रिटिश और भारतीयों को मिलाकर करीब 151 लोगों की जान भी ली थी. तभी से नैनीताल में हर साल 18 सितंबर का दिन काले दिवस के रूप में मनाया जाता है.

144 साल पहले नैनीताल ने झेला है विनाशकारी भूस्खलन. (Video- ETV Bharat)

नैनीताल के इतिहास के काला दिवस को 144 साल पूरे: सरोवर नगरी नैनीताल की खोज 1841 में एक ब्रिटिश व्यापारी पीटर बैरन ने की थी. जिसके बाद नैनीताल को ब्रिटिश शासकों ने एक नए रूप में विकसित किया. ब्रिटिश शासकों को नैनीताल इतना पसंद आया था, कि उन्होंने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का फैसला किया था.

Lake City Nainital
नैनीताल में 1880 में भीषण भूस्खलन हुआ था (Photo- कुमाऊं विवि के पूर्व प्रोफेसर अजय रावत द्वारा प्राप्त.)

इसके बाद से नैनीताल ब्रिटिश शासकों का गढ़ बन गया. लेकिन इसी बीच 18 सितंबर 1880 को नैनीताल में एक बड़ा भूस्खलन हुआ. जिसमें करीब 151 लोग जमींदोज हो गए थे. इस हादसे में कई हेक्टेयर क्षेत्र मलबे में तब्दील हो गया. इतना ही नहीं इस भूस्खलन की वजह से नैनीताल का प्रसिद्ध मां नैना देवी मंदिर 500 मीटर दूर खिसक गया.

Lake City Nainital
1880 में आए भूस्खलन में 151 लोग मारे गए थे. (Photo- कुमाऊं विवि के पूर्व प्रोफेसर अजय रावत द्वारा प्राप्त.)

1880 में आया था विनाशकारी भूस्खलन: भूस्खलन के बाद नैनीताल के मल्लीताल क्षेत्र में एक खेल के मैदान का निर्माण भी हुआ. वहां पहले कभी नैनी झील हुआ करती थी. इस भूस्खलन के बाद झील का क्षेत्रफल भी कम हो गया था. हालांकि, इस विनाशकारी भूस्खलन के बाद ब्रिटिश शासकों ने नैनीताल को दोबारा सहेजने की कवायद की थी. नैनीताल की कमजोर पहाड़ियों को भूस्खलन से रोकने के लिए ब्रिटिश शासकों ने करीब 64 छोटे बड़े नालों का निर्माण कराया था, जिनकी कुल लंबाई 6499 फीट है.

Lake City Nainital
आज नैनीताल में आए भूस्खलन की 144वीं बरसी है (Photo- कुमाऊं विवि के पूर्व प्रोफेसर अजय रावत द्वारा प्राप्त.)

1841 में हुई थी नैनीताल की खोज: शहर के जानकार मानते हैं कि इन्हीं नालों की वजह से आज भी सरोवर नगरी नैनीताल का वजूद कायम है. 1841 में जब पीटर बैरन ने नैनीताल की खोज की तब उन्होंने ये नहीं सोचा था, कि जिस स्थान की खोज वो कर रहे हैं, वो एक दिन पर्यटन के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध होगा. यही कारण है कि आज नैनीताल में हर साल लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं, जो यहां आकर नैनीताल के विभिन्न पर्यटन स्थलों के साथ-साथ नैनीताल की ब्रिटिश कालीन इमारतों का दीदार करते हैं.

Black day of Nainital
चाइन पीक भी खतरे की जद में है (Photo- कुमाऊं विवि के पूर्व प्रोफेसर अजय रावत द्वारा प्राप्त.)

नैनीताल में 1867 में हुआ पहला भूस्खलन: नैनीताल के बसने के कुछ वर्षों के बाद साल 1867 में यहां पहला भूस्खलन वर्तमान के चार्टन लॉज की पहाड़ी पर हुआ था. तब कुमाऊं के कमिश्नर रहे सर हेनरी रैमजे ने हिल साइड सेफ्टी कमेटी का गठन किया, जो नैनीताल के संवेदनशील इलाकों के बारे में जानकारी जुटाती थी.

Black day of Nainital
ठंडी सड़क पर हो रहा भूस्खलन (Photo- ETV Bharat)

नैनीताल में लैंडस्लाइड का पुराना इतिहास-

  1. 1866 में आल्मा की पहाड़ी पर हुआ था भारी भूस्खलन.
  2. जुलाई 1867 में नैनीताल क्लब क्षेत्र में हुआ था भारी भूस्खलन.
  3. 21 जून 1888 को सीआरएसटी के ऊपर भूस्खलन से विज्ञान प्रयोगशालाओं को नुकसान हुआ.
  4. 1888 में मंदिर के मध्य में भूस्खलन हुआ था.
  5. 1890 से पहले डीएसबी के समीप राजभवन रोड, ठंडी सड़क पर भूस्खलन.
  6. 1924 अयारपाटा क्षेत्र में भारी भूस्खलन.
  7. 1988 में 28 अगस्त को नैना पीक व चायना पीक चट्टान दरकी.
  8. 1988 व 1987, चायना पीक पर भूस्खलन से 100 पेड़ धराशाई हो गए थे. 61 भवनों को नुकसान हुआ और 470 परिवार प्रभावित हुए.

नैनीताल को भूस्खलन से चौतरफा खतरा: 1880 के बाद से नैनीताल की पहाड़ियों में लगातार बाद भूस्खलन हो रहा है जो 144 साल बाद भी जारी है. अब शहर के बलियानाला, टिफिन टॉप, डोर्थी सीट, अपर माल रोड, चाइना पीक (नैना पीक) राजभवन के पिछले हिस्से में स्थित निहाल नाला, ठंडी सड़क समेत अन्य क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन हो रहा है. इससे नैनीताल में चारों तरफ से भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है.

Black day of Nainital
टिफिन टॉप पर भी होता रहता है भूस्खलन (Photo- ETV Bharat)
Black day of Nainital
बारा पत्थर मार्ग भी गिरा बोल्डर (Photo- ETV Bharat)

हालांकि, बीते कुछ सालों में राज्य सरकार ने बलियानाला क्षेत्र में हो रहे बड़े भूस्खलन को रोकने के लिए 180 करोड़ की योजना से कार्य शुरू किये हैं, ताकि नैनीताल के अस्तित्व को बचाया जा सके.

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Last Updated : Sep 18, 2024, 5:04 PM IST
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