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देश में पहली बार आंध्र प्रदेश में होगी कौशल जनगणना, जानिए कैसे जुटाई जाएगी जानकारी - skill census in Andhra Pradesh

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 21, 2024, 12:13 PM IST

Skill Census In Andhra Pradesh, आंध्र प्रदेश सरकार के द्वारा राज्य में कौशल जनगणना कराई जाएगी. देश में पहली बार हो रही इस जनगणना के तहत सरकार विभिन्न क्षेत्रों में रुचि रखने वाले युवाओं की पहचान करेगी. इसके अलावा सरकार उन्हें विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ ही प्रतिष्ठित संगठनों के सहयोग से प्रमाणपत्र जारी करेगी.

For the first time in the country, skill census will be conducted in Andhra Pradesh
देश में पहली बार आंध्र प्रदेश में होगी कौशल जनगणना (प्रतीकात्मक फोटो-ETV Bharat)

अमरावती (आंध्र प्रदेश): राज्य सरकार ने देश में पहली बार आंध्र प्रदेश में कौशल जनगणना कराने का फैसला किया है. यह कौशल गणना सर्वेक्षण प्रायोगिक तौर पर 3 सितंबर को मंगलगिरी विधानसभा क्षेत्र के नागार्जुन विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाएगा. सर्वेक्षण के लिए विशेष रूप से एक ऐप तैयार किया गया है. इस बारे में अधिकारियों ने बताया कि सर्वेक्षण पूरा होने के बाद यदि वेबसाइट उपलब्ध करा दी जाती है तो बाजार में आने वाले नए लोगों को अपना विवरण दर्ज कराने का मौका मिलेगा.

कौन करेगा यह सर्वे?

इस सर्वे के लिए हर गांव और वार्ड सचिवालय से छह कर्मचारियों को लगाया जाएगा. उन्हें इस महीने की 23, 24, 30 और 31 तारीख को दो किस्तों में प्रशिक्षित किया जाएगा. प्रशिक्षण के बाद वे घर-घर जाकर टैब में जानकारी एकत्र करेंगे.

कौन-कौन से विवरण एकत्रित किए जाएंगे?

साक्षर? निरक्षर? कर्मचारी? जिन्हें पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिली? क्या नौकरी संगठित क्षेत्र की है? असंगठित क्षेत्र की? बेरोजगारों की शैक्षणिक योग्यता? पीएचडी, एमएस, डिग्री, इंटरमीडिएट, 10वीं, 8वीं? अगर आपने बीटेक की पढ़ाई की है तो क्या आपको डोमेन नॉलेज है? 25 तरह के सवालों के जरिए जानकारी एकत्रित की जाती है. इसके अलावा संगठित क्षेत्र में काम करने वालों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के पीएफ अकाउंट का हिसाब ई-श्रम के जरिए लिया जाएगा.

इसमें कितना समय लगेगा?

इसे मंगलगिरी में प्रायोगिक तौर पर चलाया जाएगा. कौशल विकास संगठन का अनुमान है कि राज्यव्यापी सर्वेक्षण के ज़रिए डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने में लगभग 8 महीने लगेंगे.

लाभ क्या है?

इस सर्वेक्षण के पूरा होने के बाद कितने लोग बेरोजगार हैं? कितने लोगों को रोजगार मिला हुआ है? रोजगार पाने वालों में से कितने लोग अभी भी बेहतर नौकरी चाहते हैं? कितने लोग निरक्षर हैं? उन्हें जो भी जानकारी चाहिए, वह उपलब्ध कराई जाएगी. अधिकारियों का अनुमान है कि यह जानकारी कौशल प्रशिक्षण और रोजगार सृजन के लिए करीब 20 साल तक उपयोगी रहेगी.

सर्वे के बाद क्या किया जाएगा?

किसको किस डोमेन में कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता है, इसकी पहचान करने के बाद नए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कौशल कॉलेज, हब, केंद्र स्थापित किए जाएंगे और प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण के बाद उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे. किस तरह के कौशल की आवश्यकता है, इसका विवरण भी कंपनियों से लिया जाता है. उन्हें उसी के अनुसार प्रशिक्षित किया जाता है और संबंधित कंपनियों से जोड़ा जाता है. प्रशिक्षण के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और केन्द्रीय सरकारी क्षेत्र कौशल परिषदों की सेवाओं का भी उपयोग किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- जाति जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस आक्रामक, अब संसद के बाहर भी करेगी घेराव, रणनीति पर हुई चर्चा

अमरावती (आंध्र प्रदेश): राज्य सरकार ने देश में पहली बार आंध्र प्रदेश में कौशल जनगणना कराने का फैसला किया है. यह कौशल गणना सर्वेक्षण प्रायोगिक तौर पर 3 सितंबर को मंगलगिरी विधानसभा क्षेत्र के नागार्जुन विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाएगा. सर्वेक्षण के लिए विशेष रूप से एक ऐप तैयार किया गया है. इस बारे में अधिकारियों ने बताया कि सर्वेक्षण पूरा होने के बाद यदि वेबसाइट उपलब्ध करा दी जाती है तो बाजार में आने वाले नए लोगों को अपना विवरण दर्ज कराने का मौका मिलेगा.

कौन करेगा यह सर्वे?

इस सर्वे के लिए हर गांव और वार्ड सचिवालय से छह कर्मचारियों को लगाया जाएगा. उन्हें इस महीने की 23, 24, 30 और 31 तारीख को दो किस्तों में प्रशिक्षित किया जाएगा. प्रशिक्षण के बाद वे घर-घर जाकर टैब में जानकारी एकत्र करेंगे.

कौन-कौन से विवरण एकत्रित किए जाएंगे?

साक्षर? निरक्षर? कर्मचारी? जिन्हें पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिली? क्या नौकरी संगठित क्षेत्र की है? असंगठित क्षेत्र की? बेरोजगारों की शैक्षणिक योग्यता? पीएचडी, एमएस, डिग्री, इंटरमीडिएट, 10वीं, 8वीं? अगर आपने बीटेक की पढ़ाई की है तो क्या आपको डोमेन नॉलेज है? 25 तरह के सवालों के जरिए जानकारी एकत्रित की जाती है. इसके अलावा संगठित क्षेत्र में काम करने वालों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के पीएफ अकाउंट का हिसाब ई-श्रम के जरिए लिया जाएगा.

इसमें कितना समय लगेगा?

इसे मंगलगिरी में प्रायोगिक तौर पर चलाया जाएगा. कौशल विकास संगठन का अनुमान है कि राज्यव्यापी सर्वेक्षण के ज़रिए डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने में लगभग 8 महीने लगेंगे.

लाभ क्या है?

इस सर्वेक्षण के पूरा होने के बाद कितने लोग बेरोजगार हैं? कितने लोगों को रोजगार मिला हुआ है? रोजगार पाने वालों में से कितने लोग अभी भी बेहतर नौकरी चाहते हैं? कितने लोग निरक्षर हैं? उन्हें जो भी जानकारी चाहिए, वह उपलब्ध कराई जाएगी. अधिकारियों का अनुमान है कि यह जानकारी कौशल प्रशिक्षण और रोजगार सृजन के लिए करीब 20 साल तक उपयोगी रहेगी.

सर्वे के बाद क्या किया जाएगा?

किसको किस डोमेन में कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता है, इसकी पहचान करने के बाद नए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कौशल कॉलेज, हब, केंद्र स्थापित किए जाएंगे और प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण के बाद उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे. किस तरह के कौशल की आवश्यकता है, इसका विवरण भी कंपनियों से लिया जाता है. उन्हें उसी के अनुसार प्रशिक्षित किया जाता है और संबंधित कंपनियों से जोड़ा जाता है. प्रशिक्षण के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और केन्द्रीय सरकारी क्षेत्र कौशल परिषदों की सेवाओं का भी उपयोग किया जाएगा.

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