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बजट 2024: आंध्र प्रदेश की राजधानी का सपना होगा साकार, जल्द शुरू होगा अमरावती का विकास - Amaravati Capital Works

Financial Assistance for Construction of Amaravati Capital works: केंद्र सरकार ने बजट 2024 में आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के विकास और निर्माण कार्यों के लिए 15,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है. उम्मीद की जा रही है कि पिछले पांच वर्षों से ठप पड़े अमरावती के निर्माण कार्य फिर से शुरू हो सकते हैं.

Financial Assistance for Construction of Amaravati Capital works
अमरावती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 24, 2024, 5:44 PM IST

हैदराबाद: केंद्रीय बजट 2024 में आंध्र प्रदेश को विशेष तरजीह दी गई है. केंद्र सरकार ने बजट में राज्य की राजधानी अमरावती के तेजी से विकास के लिए चालू वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है. इससे अमरावती का निर्माण कार्य तेजी से शुरू होगा. केंद्र की यह घोषणा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले पांच सालों में जगन मोहन रेड्डी सरकार के विनाशकारी कदमों से राजधानी का विकास पूरी तरह ठप हो गया था. नई सरकार के लिए निर्माण कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए संसाधनों का जुटाना सबसे बड़ी चुनौती है.

केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय सहायक मिलने से अगले चार से पांच महीनों में राजधानी के विकास कार्य फिर से पूरी तरह से शुरू हो सकेंगे. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि विश्व बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं अमरावती के निर्माण के लिए एक साल में 15,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएंगी और जरूरत के हिसाब से अन्य संस्थाओं से और अधिक धन जुटाया जाएगा. अब राज्य सरकार पर युद्धस्तर पर कार्य शुरू करने की जिम्मेदारी है. अगर राज्य सरकार केंद्र और संबंधित बैंकों से जल्दी से जल्दी सलाह-मशविरा करके 15 हजार करोड़ रुपये हासिल कर ले और जल्द ही विकास कार्य शुरू कर दिए जाएं...तो एक साल के भीतर राजधानी आकार ले लेगी. अगर राज्य सरकार केंद्र को मना सके और आने वाले दिनों में और अधिक धनराशि प्राप्त कर सके, तो आंध्र प्रदेश के लोगों के सपनों की राजधानी साकार हो जाएगी.

आंध्र प्रदेश की सत्ता में आने के बाद एनडीए की सरकार ने अमरावती के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है. अनुमान है कि पूरे राजधानी क्षेत्र में झाड़ियों को हटाने में 36 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इसके लिए निविदाएं भी आमंत्रित की गई हैं. राज्य सरकार सड़कों, अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचे और मंत्रियों, विधायकों, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों के लिए आवासीय भवनों के निर्माण को पूरा करने के लिए जरूरी धन जुटाने के तरीके तलाश रही है, जिनका निर्माण कार्य ठप पड़ा है. केंद्र की ओर से 15,000 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता से राजधानी के निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाने की पहल की जा सकती है.

चार से पांच महीने में काम शुरू किया जा सकता है...
उस समय टीडीपी सरकार ने अनुमान लगाया था कि एलपीएस लेआउट क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे, यहां राजधानी के मुख्य बुनियादी ढांचे का निर्माण होना है. 41 हजार करोड़ रुपये के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए हैं. 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक के काम पूरे हो चुके हैं. पिछले दिनों किए गए कार्यों के लिए ठेकेदारों को 1,300 करोड़ रुपये के बिल का भुगतान किया जाना है. कंपनियां (Monopolists) कार्य फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं. अगर उन्हें लंबित बकाये का भुगतान किया जाता है, तो वे अधिक उत्साह से काम करेंगी.

नगर प्रशासन मंत्री पी. नारायण का कहना है कि राजधानी क्षेत्र में सभी कांटेदार पेड़ों (झाड़ियों) को हटाने में दो महीने लगेंगे और रुके हुए कामों के लिए फिर से डीपीआर और लागत अनुमान तैयार करने में चार महीने लगेंगे. उन्होंने कहा कि हम चार से पांच महीने में फिर से निर्माण कार्य शुरू कर सकते हैं. केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए फंड तब तक उपलब्ध हो जाएंगे. उस समय हमने अनुमान लगाया था कि इसमें 41 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. अब लागत में भारी वृद्धि हो सकती है. उन्होंने कहा कि हम राजधानी में रुके हुए सभी काम शुरू करेंगे.

प्रमुख बुनियादी ढांचे के कार्यों की मौजूदा स्थिति
उस समय अनुमान लगाया गया था कि राजधानी में मुख्य सड़कें, पुल, बाढ़ का पानी, सीवेज सिंचाई प्रणाली, संचार नेटवर्क का विकास, फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, कृष्णा नदी पर पुल का निर्माण, बिजली की सुविधा और विश्व स्तरीय मानकों के साथ जलापूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे पर 17,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इनमें से करीब 3,500 करोड़ रुपये के काम पूरे हो चुके हैं.

राजधानी प्रशासनिक शहर में उच्च न्यायालय, सचिवालय, विभागाध्यक्षों, न्यायाधीशों के कार्यालय टावर, मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के आवासीय भवनों के निर्माण पर 8,700 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. जिसमें से 1,505 करोड़ रुपये के काम पूरे हो चुके हैं. अनुमान है कि एलपीएस लेआउट में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर 20 हजार करोड़ रुपये और खर्च होंगे. अब वे सभी उम्मीदें बढ़ेंगी.

केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए 15 हजार करोड़ रुपये के फंड से राजधानी में प्रमुख बुनियादी ढांचे के काम और प्रशासनिक शहर में इमारतों का निर्माण कार्य पूरा किया जा सकेगा. जब प्रमुख बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू होगा, तो राजधानी में जमीन लेने वाले विभिन्न सरकारी और निजी संगठन भी निर्माण कार्य के लिए आगे आएंगे.

यह भी पढ़ें- बजट 2024: सरकार को पैसा कहां से आता है और कहां खर्च होता है, 1 रुपया के उदाहरण से समझें

हैदराबाद: केंद्रीय बजट 2024 में आंध्र प्रदेश को विशेष तरजीह दी गई है. केंद्र सरकार ने बजट में राज्य की राजधानी अमरावती के तेजी से विकास के लिए चालू वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है. इससे अमरावती का निर्माण कार्य तेजी से शुरू होगा. केंद्र की यह घोषणा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले पांच सालों में जगन मोहन रेड्डी सरकार के विनाशकारी कदमों से राजधानी का विकास पूरी तरह ठप हो गया था. नई सरकार के लिए निर्माण कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए संसाधनों का जुटाना सबसे बड़ी चुनौती है.

केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय सहायक मिलने से अगले चार से पांच महीनों में राजधानी के विकास कार्य फिर से पूरी तरह से शुरू हो सकेंगे. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि विश्व बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं अमरावती के निर्माण के लिए एक साल में 15,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएंगी और जरूरत के हिसाब से अन्य संस्थाओं से और अधिक धन जुटाया जाएगा. अब राज्य सरकार पर युद्धस्तर पर कार्य शुरू करने की जिम्मेदारी है. अगर राज्य सरकार केंद्र और संबंधित बैंकों से जल्दी से जल्दी सलाह-मशविरा करके 15 हजार करोड़ रुपये हासिल कर ले और जल्द ही विकास कार्य शुरू कर दिए जाएं...तो एक साल के भीतर राजधानी आकार ले लेगी. अगर राज्य सरकार केंद्र को मना सके और आने वाले दिनों में और अधिक धनराशि प्राप्त कर सके, तो आंध्र प्रदेश के लोगों के सपनों की राजधानी साकार हो जाएगी.

आंध्र प्रदेश की सत्ता में आने के बाद एनडीए की सरकार ने अमरावती के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है. अनुमान है कि पूरे राजधानी क्षेत्र में झाड़ियों को हटाने में 36 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इसके लिए निविदाएं भी आमंत्रित की गई हैं. राज्य सरकार सड़कों, अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचे और मंत्रियों, विधायकों, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों के लिए आवासीय भवनों के निर्माण को पूरा करने के लिए जरूरी धन जुटाने के तरीके तलाश रही है, जिनका निर्माण कार्य ठप पड़ा है. केंद्र की ओर से 15,000 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता से राजधानी के निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाने की पहल की जा सकती है.

चार से पांच महीने में काम शुरू किया जा सकता है...
उस समय टीडीपी सरकार ने अनुमान लगाया था कि एलपीएस लेआउट क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे, यहां राजधानी के मुख्य बुनियादी ढांचे का निर्माण होना है. 41 हजार करोड़ रुपये के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए हैं. 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक के काम पूरे हो चुके हैं. पिछले दिनों किए गए कार्यों के लिए ठेकेदारों को 1,300 करोड़ रुपये के बिल का भुगतान किया जाना है. कंपनियां (Monopolists) कार्य फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं. अगर उन्हें लंबित बकाये का भुगतान किया जाता है, तो वे अधिक उत्साह से काम करेंगी.

नगर प्रशासन मंत्री पी. नारायण का कहना है कि राजधानी क्षेत्र में सभी कांटेदार पेड़ों (झाड़ियों) को हटाने में दो महीने लगेंगे और रुके हुए कामों के लिए फिर से डीपीआर और लागत अनुमान तैयार करने में चार महीने लगेंगे. उन्होंने कहा कि हम चार से पांच महीने में फिर से निर्माण कार्य शुरू कर सकते हैं. केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए फंड तब तक उपलब्ध हो जाएंगे. उस समय हमने अनुमान लगाया था कि इसमें 41 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. अब लागत में भारी वृद्धि हो सकती है. उन्होंने कहा कि हम राजधानी में रुके हुए सभी काम शुरू करेंगे.

प्रमुख बुनियादी ढांचे के कार्यों की मौजूदा स्थिति
उस समय अनुमान लगाया गया था कि राजधानी में मुख्य सड़कें, पुल, बाढ़ का पानी, सीवेज सिंचाई प्रणाली, संचार नेटवर्क का विकास, फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, कृष्णा नदी पर पुल का निर्माण, बिजली की सुविधा और विश्व स्तरीय मानकों के साथ जलापूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे पर 17,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इनमें से करीब 3,500 करोड़ रुपये के काम पूरे हो चुके हैं.

राजधानी प्रशासनिक शहर में उच्च न्यायालय, सचिवालय, विभागाध्यक्षों, न्यायाधीशों के कार्यालय टावर, मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के आवासीय भवनों के निर्माण पर 8,700 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. जिसमें से 1,505 करोड़ रुपये के काम पूरे हो चुके हैं. अनुमान है कि एलपीएस लेआउट में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर 20 हजार करोड़ रुपये और खर्च होंगे. अब वे सभी उम्मीदें बढ़ेंगी.

केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए 15 हजार करोड़ रुपये के फंड से राजधानी में प्रमुख बुनियादी ढांचे के काम और प्रशासनिक शहर में इमारतों का निर्माण कार्य पूरा किया जा सकेगा. जब प्रमुख बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू होगा, तो राजधानी में जमीन लेने वाले विभिन्न सरकारी और निजी संगठन भी निर्माण कार्य के लिए आगे आएंगे.

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