नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थितियों की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय राजधानी में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका की मौजूदगी में सुबह 11 बजे बैठक शुरू हुई, जो घंटों तक चली.
गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक, बैठक के दौरान गृह मंत्री शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अंतिम दौर में है. उन्होंने कहा कि हाल की घटनाओं से पता चलता है कि आतंकवादियों को छद्म युद्ध में सिमटने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि हम आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं. गृह मंत्री शाह ने सुरक्षा एजेंसियों के बीच बिना किसी रुकावट के निरंतर समन्वय, कमजोर क्षेत्रों की पहचान और ऐसे क्षेत्रों की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने पर जोर दिया.
आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी सरकार...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दोहराते हुए गृह मंत्री ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. शाह ने कहा कि भारत सरकार के प्रयासों से कश्मीर घाटी में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में भारी कमी के साथ बहुत सकारात्मक परिणाम मिले हैं. उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार कश्मीर घाटी में पर्यटकों की रिकॉर्ड आमद से प्रतिबिंबित होता है.
सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और सेनाध्यक्ष (नामित) लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक, जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव और डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित वरिष्ठ सेना अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए. शाह ने यह बैठक जम्मू-कश्मीर में हाल के आतंकवादी हमलों के मद्देनजर की, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में गृह मंत्री आगामी अमरनाथ यात्रा की तैयारियों का भी जायजा लिया. यह बैठक गृह मंत्री की ओर से गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ इसी तरह की बैठक के दो दिन बाद आयोजित की गई है. जिन्होंने उन्हें जम्मू-कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा स्थिति और ऐसे आतंकवादी हमलों से निपटने की तैयारियों के बारे में जानकारी दी थी. बढ़ी हुई सतर्कता का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के निवासियों के साथ-साथ अमरनाथ यात्रा तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना है.
9 जून से रियासी, कठुआ और डोडा में चार जगहों पर आतंकी हमले हुए हैं, जिसमें नौ तीर्थयात्री मारे गए, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक जवान शहीद हो गया, एक नागरिक घायल हो गया और कम से कम सात सुरक्षाकर्मी घायल हो गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं के बाद सुरक्षा स्थिति पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में एनएसए अजीत डोभाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. बैठक में प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में चल रहे आतंकवाद विरोधी प्रयासों का व्यापक अवलोकन किया.
उन्हें आतंकवादी गतिविधियों से निपटने और क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू की जा रही रणनीतियों और अभियानों के बारे में जानकारी दी गई. प्रधानमंत्री मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की और सुरक्षा बलों की तैनाती तथा आतंकवाद विरोधी अभियानों पर चर्चा की. इसके अतिरिक्त, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी बात की तथा स्थिति की समीक्षा की तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी ली.