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अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा : कोर्ट ने स्वीकार की याचिका, प्रतिवादियों को जारी किया नोटिस - AJMER SHARIF DARGAH CASE

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दवा. कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए प्रतिवादियों को नोटिस किए जारी. 20 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई.

Ajmer Sharif Dargah Case
अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 27, 2024, 6:40 PM IST

अजमेर: विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा मामले में अजमेर पश्चिम की सिविल कोर्ट ने परिवादी के दस्तावेज जमा करवाने के बाद बुधवार को प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर दिए हैं. परिवादी ने अपने वाद में दरगाह कमेटी, नई दिल्ली में केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग और केंद्रीय पुरात्तव विभाग को प्रतिवादी बनाया था. कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को रखी है. अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने संबंधी वाद को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने प्रतिवादियों को कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिए हैं.

कोर्ट में हुई सुनवाई में बुधवार को परिवादी पक्ष की ओर से वाद के संबंध में दलील रखी गई कि परिवादी शिव भक्त है और भगवान शिव में उसकी गहरी आस्था है. परिवादी का दावा है कि दरगाह में शिव मंदिर है और इस संबंध में उसके पास पर्याप्त साक्ष्य हैं. परिवादी पक्ष की ओर से कोर्ट में वर्षों पहले लिखी गई अजमेर के निवासी हरविलास शारदा की पुस्तक का भी हवाला दिया गया है. परिवादी पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने वाद में परिवादी की ओर से बनाए गए तीन प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं.

परिवादी पक्ष ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Ajmer)

परिवादी पक्ष के वकील रामस्वरूप बिश्नोई ने बताया कि इन प्रतिवादियों में अजमेर दरगाह कमेटी, भारतीय पुरातत्व विभाग और केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग शामिल हैं. वकील बिश्नोई ने बताया कि कोर्ट ने वाद स्वीकार कर लिया है और प्रतिवादियों को उनका पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजे जाएंगे. 20 दिसंबर तक का उन्हें अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने वाद में अगली सुनवाई 20 नवंबर रखी है. परिवादी पक्ष की ओर से कोर्ट में वकील योगेश सुरोलिया, रामस्वरूप बिश्नोई और विजय शर्मा ने पैरवी की है.

इसलिए हुआ विलंब : 25 सितंबर 2024 को परिवादी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने गलती से सीजेएम कोर्ट में दरगाह में शिव मंदिर होने का बाद पेश कर दिया था. सीजेएम कोर्ट ने परिवादी को संबंधित कोर्ट में वाद पेश करने के लिए कहा था, लेकिन परिवादी विष्णु गुप्ता ने सेशन कोर्ट में क्षेत्राधिकार तय करने के लिए याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट ने सीजेएम कोर्ट के फैसले को कायम रखा और परिवादी को संबंधित कोर्ट में वाद पेश करने के लिए स्वतंत्र होना बताया. इसके बाद परिवादी विष्णु गुप्ता ने संबंधित अजमेर पश्चिम की सिविल कोर्ट में वाद पेश किया, लेकिन दस्तावेज पूर्ण नहीं होने और वाद में खामियां पूर्ण करने के लिए परिवादी को समय दिया.

पढ़ें : ज्ञानवापी की तरह अजमेर दरगाह में भी शिव मंदिर का दावा, याचिका पेश, ASI सर्वे की मांग - Petition on Ajmer Dargah

पढ़ें : अजमेर दरगाह को लेकर किरण रिजिजू से ओवैसी का सवाल, कांग्रेस नेता खाचरियावास भाजपा पर हुए तल्ख - Ajmer sharif controversy

पढ़ें : दरगाह में शिव मंदिर के दावे की याचिका पर बोले दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी, कहा- यह विषैली मानसिकता - Petition on Ajmer Dargah

बीते मंगलवार को परिवादी ने कोर्ट में सभी दस्तावेज और खामियों को पूरा करते हुए वाद पेश कर दिया. वहीं, बुधवार को इस मामले में कोर्ट ने परिवादी पक्ष की दलीलों को सुनकर वाद को स्वीकार करते हुए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए हैं. वाद की अगली सुनवाई 20 दिसंबर रखी है. रामस्वरूप बिश्नोई ने बताया कि परिवादी पक्ष की ओर से अगली सुनवाई की तारीख बढ़ाने का भी आग्रह किया है. बता दें कि कोर्ट ने इससे पहले 5 दिसंबर को अगली सुनवाई तय की थी.

परिवादी का यह है कहना : हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए परिवाद पेश किया था. परिवादी विष्णु गुप्ता का कहना है कि अजमेर पश्चिम की सिविल कोर्ट में लगातार 2 दिन से वाद को लेकर सुनवाई चली है. कोर्ट में पेश किए गए वाद में सभी कमियों को पूरा कर दिया गया है. कोर्ट ने वाद से संबंधित जो भी साक्ष्य मांगे है वो भी कोर्ट को दिए गए है. कोर्ट ने वाद को सुनने योग्य पाया और सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक याचिका में सुनवाई हो और इस याचिका को लेकर किसी तरह का बाहर तनाव नहीं हो, इसके लिए वाद में अगली सुनवाई के लिए लंबी तारीख के लिए कोर्ट को आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि याचिका का आधार है कि दरगाह बनने से यहां संकट मोचन महादेव का मंदिर था. इसका भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से सर्वे होना चाहिए. अजमेर में जन्मे हरविलास शारदा म्युनिसिपालिटी में कमिश्नर और जिला जज भी रहे हैं. शारदा की लिखी पुस्तक को भी आधार बनाया गया है. निश्चित तौर पर शोध के बाद ही उन्होंने पुस्तक लिखी थी.

अजमेर: विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा मामले में अजमेर पश्चिम की सिविल कोर्ट ने परिवादी के दस्तावेज जमा करवाने के बाद बुधवार को प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर दिए हैं. परिवादी ने अपने वाद में दरगाह कमेटी, नई दिल्ली में केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग और केंद्रीय पुरात्तव विभाग को प्रतिवादी बनाया था. कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को रखी है. अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने संबंधी वाद को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने प्रतिवादियों को कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिए हैं.

कोर्ट में हुई सुनवाई में बुधवार को परिवादी पक्ष की ओर से वाद के संबंध में दलील रखी गई कि परिवादी शिव भक्त है और भगवान शिव में उसकी गहरी आस्था है. परिवादी का दावा है कि दरगाह में शिव मंदिर है और इस संबंध में उसके पास पर्याप्त साक्ष्य हैं. परिवादी पक्ष की ओर से कोर्ट में वर्षों पहले लिखी गई अजमेर के निवासी हरविलास शारदा की पुस्तक का भी हवाला दिया गया है. परिवादी पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने वाद में परिवादी की ओर से बनाए गए तीन प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं.

परिवादी पक्ष ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Ajmer)

परिवादी पक्ष के वकील रामस्वरूप बिश्नोई ने बताया कि इन प्रतिवादियों में अजमेर दरगाह कमेटी, भारतीय पुरातत्व विभाग और केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग शामिल हैं. वकील बिश्नोई ने बताया कि कोर्ट ने वाद स्वीकार कर लिया है और प्रतिवादियों को उनका पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजे जाएंगे. 20 दिसंबर तक का उन्हें अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने वाद में अगली सुनवाई 20 नवंबर रखी है. परिवादी पक्ष की ओर से कोर्ट में वकील योगेश सुरोलिया, रामस्वरूप बिश्नोई और विजय शर्मा ने पैरवी की है.

इसलिए हुआ विलंब : 25 सितंबर 2024 को परिवादी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने गलती से सीजेएम कोर्ट में दरगाह में शिव मंदिर होने का बाद पेश कर दिया था. सीजेएम कोर्ट ने परिवादी को संबंधित कोर्ट में वाद पेश करने के लिए कहा था, लेकिन परिवादी विष्णु गुप्ता ने सेशन कोर्ट में क्षेत्राधिकार तय करने के लिए याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट ने सीजेएम कोर्ट के फैसले को कायम रखा और परिवादी को संबंधित कोर्ट में वाद पेश करने के लिए स्वतंत्र होना बताया. इसके बाद परिवादी विष्णु गुप्ता ने संबंधित अजमेर पश्चिम की सिविल कोर्ट में वाद पेश किया, लेकिन दस्तावेज पूर्ण नहीं होने और वाद में खामियां पूर्ण करने के लिए परिवादी को समय दिया.

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बीते मंगलवार को परिवादी ने कोर्ट में सभी दस्तावेज और खामियों को पूरा करते हुए वाद पेश कर दिया. वहीं, बुधवार को इस मामले में कोर्ट ने परिवादी पक्ष की दलीलों को सुनकर वाद को स्वीकार करते हुए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए हैं. वाद की अगली सुनवाई 20 दिसंबर रखी है. रामस्वरूप बिश्नोई ने बताया कि परिवादी पक्ष की ओर से अगली सुनवाई की तारीख बढ़ाने का भी आग्रह किया है. बता दें कि कोर्ट ने इससे पहले 5 दिसंबर को अगली सुनवाई तय की थी.

परिवादी का यह है कहना : हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए परिवाद पेश किया था. परिवादी विष्णु गुप्ता का कहना है कि अजमेर पश्चिम की सिविल कोर्ट में लगातार 2 दिन से वाद को लेकर सुनवाई चली है. कोर्ट में पेश किए गए वाद में सभी कमियों को पूरा कर दिया गया है. कोर्ट ने वाद से संबंधित जो भी साक्ष्य मांगे है वो भी कोर्ट को दिए गए है. कोर्ट ने वाद को सुनने योग्य पाया और सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक याचिका में सुनवाई हो और इस याचिका को लेकर किसी तरह का बाहर तनाव नहीं हो, इसके लिए वाद में अगली सुनवाई के लिए लंबी तारीख के लिए कोर्ट को आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि याचिका का आधार है कि दरगाह बनने से यहां संकट मोचन महादेव का मंदिर था. इसका भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से सर्वे होना चाहिए. अजमेर में जन्मे हरविलास शारदा म्युनिसिपालिटी में कमिश्नर और जिला जज भी रहे हैं. शारदा की लिखी पुस्तक को भी आधार बनाया गया है. निश्चित तौर पर शोध के बाद ही उन्होंने पुस्तक लिखी थी.

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