नई दिल्ली: भारतीय सेना को 35 हजार AK-203 कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल दी गई है. बता दें कि, 8 -9 जुलाई को भारत-रूस शिखर सम्मेलन होने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए मॉस्को जा रहे हैं. 8 से 10 जुलाई तक पीएम मोदी दो देशों की आधिकारिक यात्रा करेंगे. रूस जाने के बाद वह ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना भी जाएंगे. वहीं, इस शिखर सम्मेलन से पहले रूसी पक्ष ने घोषणा की है कि इंडो-रूसी राइफल प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) जो कि, भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है, ने 35 हजार 'मेड इन इंडिया' कलाश्निकोव एके-203 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन कर भारतीय सेना को सौंप दिया है. बता दें कि, यह ट्रांसफर रूस और भारत दोनों पक्षों के बीच चल रहे बड़े रक्षा सहयोग का एक हिस्सा है.
भारतीय सेना को मिली AK-203 कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल
इस विकास को मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के रूप में देखा जाता है और यह आत्मनिर्भर भारत पहल का जीता जागता प्रमाण है. जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में स्थानीय उत्पादन और आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है. रूस की यह घोषणा 8-9 जुलाई को होने वाले भारत-रूस शिखर सम्मेलन से पहले आया है. बता दें कि, यूक्रेन और रूस के बीच जंग छिड़ने के बाद पीएम मोदी की यह पहली रूस की यात्रा होगी.
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग
गौरतलब है कि भारत को कलाश्निकोव AK-203 असॉल्ट राइफल सौंपना दोनों देशों के बीच चल रहे रक्षा सहयोग का हिस्सा है. यह राइफल, AK-200 श्रृंखला का आधुनिक संस्करण है, जो रक्षा क्षेत्र में भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल का हिस्सा है. रूस-भारत संयुक्त उद्यम, आईआरआरपीएल में भारत की आयुध फैक्ट्री बोर्ड और रूसी कंपनियां रोसोबोरोनएक्सपोर्ट जेएससी और कलाश्निकोव ग्रुप, रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन की सहायक कंपनियां शामिल हैं. यह भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान कार्यक्रम के अनुरूप है, जो रक्षा उत्पादन स्थानीयकरण पर केंद्रित है. समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए राइफलों का निर्माण उत्तर प्रदेश की कोरवा आयुध फैक्ट्री में किया जाता है.
भारत-रूस रक्षा संबंध
बता दें कि, भारत और रूस के बीच लंबे समय से रक्षा सहयोग संबंध हैं जो शीत युद्ध के युग से चले आ रहे हैं. इस साझेदारी में हथियारों की बिक्री, संयुक्त उत्पादन, सैन्य प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है. रूस भारत को सैन्य उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है. उल्लेखनीय सौदों में S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली, सुखोई Su-30MKI लड़ाकू जेट, T-90 टैंक और विभिन्न नौसैनिक जहाजों का अधिग्रहण शामिल है.
भारत की रूस से दोस्ती है पुरानी
दोनों देश ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल सहित सैन्य हार्डवेयर के संयुक्त उत्पादन और विकास में लगे हुए हैं, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। उन्होंने Ka-226T बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टरों के विकास और उत्पादन पर भी सहयोग किया है. भारत और रूस नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं, जैसे 'इंद्र' श्रृंखला के अभ्यास, जिसमें सेना, नौसेना और वायु सेना अभ्यास शामिल हैं.
रक्षा सहयोग भारत और रूस के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा
इन अभ्यासों का उद्देश्य दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच अंतरसंचालनीयता और सहयोग को बढ़ाना है. विशेष रूप से, रूस भारत को सैन्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने में एक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है. इसमें भारत के भीतर विभिन्न रक्षा प्रणालियों के उत्पादन और रखरखाव के लिए ब्लूप्रिंट और तकनीकी जानकारी प्रदान करना शामिल है. रक्षा सहयोग भारत और रूस के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा है, जिसमें परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष अन्वेषण और आतंकवाद-निरोध जैसे क्षेत्रों में सहयोग भी शामिल है.
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