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वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर रामनाथ कोविंद से आप नेताओं ने की मुलाकात, कहा- निष्पक्ष चुनाव के लिए गंभीर खतरा

One nation one election: वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर आप नेताओं ने उच्च स्तरीय समिति से मुलाकात कर इसे निष्पक्ष चुनाव के लिए गंभीर खतरा बताया है. उन्होंने यह भी कहा है कि यह चुनाव, सरकारों को हर पांच साल में केवल एक बार काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.

AAP leaders met Ramnath Kovind
AAP leaders met Ramnath Kovind
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 9, 2024, 7:09 AM IST

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर 'वन नेशन वन इलेक्शन' (ओएनओई) का विरोध किया है. गुरुवार को इसपर गठित उच्च स्तरीय समिति से आप नेताओं ने कहा कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव का यह सुझाव कैसे देश के लोकतंत्र, संवैधानिक सिद्धांतों, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए गंभीर खतरा है. इस संबंध में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता और प्रवक्ता जैस्मीन शाह के एक प्रतिनिधि मंडल ने पूर्व राष्ट्रपति और इस समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद से मुलाकात की.

इस मौके पर पंकज गुप्ता ने कहा कि पूरे देश में एक साथ मतदान कराना, मतदाता के प्रति लोकतांत्रिक जवाबदेही को कमजोर करता है और सरकारों को चुनाव से पहले हर पांच साल में केवल एक बार काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव का मौजूदा स्वरूप रोजमर्रा के शासन में कोई बाधा पैदा नहीं करता है. किसी भी चुनाव से पहले लगाई गई आदर्श आचार संहिता केवल किसी नई योजनाओं की घोषणा करने से रोकती है.

उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता की किसी भी कठिनाई का सामना चुनाव आयोग के स्तर पर किया जा सकता है. इससे आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों को स्पष्ट करके और राज्यों में होने वाले चुनावों के चरणों की संख्या को कम करके भी हासिल किया जा सकता है. पंकज गुप्ता ने कहा कि चुनाव लोगों को केंद्र और राज्य सरकारों को जवाबदेह ठहराने का एक अवसर देता है, लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन नागरिकों को इस अवसर से वंचित कर देगा. वहीं इसके वित्तीय पहलू को लेकर उन्होंने कहा कि मौजूदा स्वरूप में चुनावों पर कुल खर्च बहुत कम है, जो केंद्र सरकार के वार्षिक बजट का केवल 0.1 फीसदी है. इसलिए वन नेशन वन इलेक्शन के जरिए मामूली खर्च को कम करने के लिए संवैधानिक सिंद्धांतों की कुर्बानी सही नहीं है.

वहीं आप नेता जैस्मीन शाह ने उच्च स्तरीय समिति को बताया कि वन नेशन-वन इलेक्शन संसदीय प्रणाली, संघीय ढांचे, लोकतंत्र और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का उल्लंघन करता है. साथ ही इस तरह के चुनाव के त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में या सरकार के विश्वास खोने की स्थिति में कोई समाधान नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन त्रिशंकु विधानसभाओं के लिए प्रस्तावित समाधान के लिए दल-बदल विरोधी कानूनों को कमजोर करने के साथ बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त और सबसे बड़ी पार्टी द्वारा धन-बाहुबल के दुरुपयोग को प्रोत्साहित करेगा.

यह भी पढ़ें- नए और युवा वकीलों को मानदेय देने की नीति पर जल्द फैसला करे बार काउंसिल - दिल्ली हाई कोर्ट

दूसरा, अगर कोई सरकार विधानसभा का विश्वास खो देती है तो भी यह बिना बहुमत साबित किए सरकार को काम करने की अनुमति देता है. इसके अलावा उन्होंने उच्च स्तरीय समिति को सचेत किया कि वन नेशन-वन इलेक्शन, राज्य के चुनाव एजेंडे को राष्ट्रीय चुनाव एजेंडे से आगे ले जाएगा. संविधान और लोकतंत्र के सिद्धांतों को कुछ वित्तीय लाभ और प्रशासनिक सुविधा के लिए बलिदान नहीं किया जा सकता है. उन्होंने समिति से यह भी अनुरोध किया कि यदि समिति इसकी सिफारिश करती है, तो भविष्य में एक साथ चुनाव कराने के लिए एक ठोस मसौदा योजना के साथ एक और परामर्श बैठक आयोजित किया जाए.

यह भी पढ़ें-हंगामे के बीच दिल्ली नगर निगम का बजट पास, मेयर शैली ओबराय ने बताया ऐतिहासिक

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर 'वन नेशन वन इलेक्शन' (ओएनओई) का विरोध किया है. गुरुवार को इसपर गठित उच्च स्तरीय समिति से आप नेताओं ने कहा कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव का यह सुझाव कैसे देश के लोकतंत्र, संवैधानिक सिद्धांतों, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए गंभीर खतरा है. इस संबंध में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता और प्रवक्ता जैस्मीन शाह के एक प्रतिनिधि मंडल ने पूर्व राष्ट्रपति और इस समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद से मुलाकात की.

इस मौके पर पंकज गुप्ता ने कहा कि पूरे देश में एक साथ मतदान कराना, मतदाता के प्रति लोकतांत्रिक जवाबदेही को कमजोर करता है और सरकारों को चुनाव से पहले हर पांच साल में केवल एक बार काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव का मौजूदा स्वरूप रोजमर्रा के शासन में कोई बाधा पैदा नहीं करता है. किसी भी चुनाव से पहले लगाई गई आदर्श आचार संहिता केवल किसी नई योजनाओं की घोषणा करने से रोकती है.

उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता की किसी भी कठिनाई का सामना चुनाव आयोग के स्तर पर किया जा सकता है. इससे आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों को स्पष्ट करके और राज्यों में होने वाले चुनावों के चरणों की संख्या को कम करके भी हासिल किया जा सकता है. पंकज गुप्ता ने कहा कि चुनाव लोगों को केंद्र और राज्य सरकारों को जवाबदेह ठहराने का एक अवसर देता है, लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन नागरिकों को इस अवसर से वंचित कर देगा. वहीं इसके वित्तीय पहलू को लेकर उन्होंने कहा कि मौजूदा स्वरूप में चुनावों पर कुल खर्च बहुत कम है, जो केंद्र सरकार के वार्षिक बजट का केवल 0.1 फीसदी है. इसलिए वन नेशन वन इलेक्शन के जरिए मामूली खर्च को कम करने के लिए संवैधानिक सिंद्धांतों की कुर्बानी सही नहीं है.

वहीं आप नेता जैस्मीन शाह ने उच्च स्तरीय समिति को बताया कि वन नेशन-वन इलेक्शन संसदीय प्रणाली, संघीय ढांचे, लोकतंत्र और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का उल्लंघन करता है. साथ ही इस तरह के चुनाव के त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में या सरकार के विश्वास खोने की स्थिति में कोई समाधान नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन त्रिशंकु विधानसभाओं के लिए प्रस्तावित समाधान के लिए दल-बदल विरोधी कानूनों को कमजोर करने के साथ बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त और सबसे बड़ी पार्टी द्वारा धन-बाहुबल के दुरुपयोग को प्रोत्साहित करेगा.

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दूसरा, अगर कोई सरकार विधानसभा का विश्वास खो देती है तो भी यह बिना बहुमत साबित किए सरकार को काम करने की अनुमति देता है. इसके अलावा उन्होंने उच्च स्तरीय समिति को सचेत किया कि वन नेशन-वन इलेक्शन, राज्य के चुनाव एजेंडे को राष्ट्रीय चुनाव एजेंडे से आगे ले जाएगा. संविधान और लोकतंत्र के सिद्धांतों को कुछ वित्तीय लाभ और प्रशासनिक सुविधा के लिए बलिदान नहीं किया जा सकता है. उन्होंने समिति से यह भी अनुरोध किया कि यदि समिति इसकी सिफारिश करती है, तो भविष्य में एक साथ चुनाव कराने के लिए एक ठोस मसौदा योजना के साथ एक और परामर्श बैठक आयोजित किया जाए.

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