नई दिल्ली: मनुष्यों को प्रभावित करने वाली 75 प्रतिशत से अधिक बीमारियां जूनोटिक (पशु जनित) हैं. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय 'वन हेल्थ' पहल से मानव-पशु-पौधे के बीच जोखिमों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने गुरुवार को यह बात कही.
उन्होंने कहा कि वन हेल्थ एक बहु-क्षेत्रीय और बहु-हितधारक पहल है; जमीनी स्तर पर इसकी सफलता के लिए सामूहिक और समन्वित कार्रवाई की जरूरत है. प्रधानमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत, राज्यों को जूनोटिक और अन्य बीमारियों की निगरानी, रोकथाम और प्रबंधन में मजबूत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत के वर्तमान विधायी ढांचे में मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए अलग-अलग कानून हैं, लेकिन क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के कारण इसमें कुछ कमियां हैं. वन हेल्थ लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें संबंधित मंत्रालयों और राज्यों से भी समर्थन की आवश्यकता है.
स्वास्थ्य सचिव चंद्रा वन हेल्थ पहल के लिए कानूनी वातावरण आकलन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श में बोल रहे थे. सेंटर फॉर वन हेल्थ, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय बहु-हितधारक परामर्श प्रक्रिया का आयोजन कर रहे हैं. यह परामर्श आईएचआर (अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम), जैव संरक्षण और सुरक्षा, जूनोसिस, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR), खाद्य जनित बीमारी और जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य आदि सहित वन हेल्थ के मुख्य डोमेन पर कानूनी और नीतिगत दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित किया जा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 'वन हेल्थ' पहल में लोगों, जानवरों और पर्यावरण का स्वास्थ्य समाहित है. यह पशु जनित बीमारियों, रोगाणुरोधी प्रतिरोध और खाद्य सुरक्षा जैसी जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद पॉल ने कहा, वन हेल्थ पहल के कार्यान्वयन को समर्थन और सुदृढ़ करने के लिए कानूनी ढांचे का मसौदा तैयार करने में भारत कई देशों से आगे है. यह भारत की उन्नत विचार प्रक्रिया और नेतृत्व को दर्शाता है, और इस क्षेत्र में हमारे दृष्टिकोण को दर्शाता है. बहु-भागीदारों और हितधारकों के साथ राष्ट्रीय परामर्श न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बहुत अच्छे समय पर हो रहा है. कोविड-19 ने हमें जूनोटिक रोगों के महत्व और मानव, पशु और वनस्पति पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच जटिल संबंधों पर अपना ध्यान फिर से केंद्रित करने के लिए मजबूर किया है.
पॉल ने कहा कि जूनोसिस, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों के मुद्दे आपस में जुड़े हुए हैं और मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने के लिए एक व्यापक, बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारत ने वन हेल्थ लक्ष्यों को सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है, जो प्रधानमंत्री के 'वन अर्थ, वन हेल्थ' के दृष्टिकोण के अनुरूप है. हम न केवल अपने देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं.
गौरतलब है कि दो दिवसीय परामर्श का उद्देश्य मौजूदा कानूनी ढांचे का आकलन करना, मौजूदा कानूनों और विनियमों में भरोसा और कमी की पहचान करना है जो वन हेल्थ पहल को प्रभावित करते हैं. यह कानूनी चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए सरकार, शिक्षा, उद्योग और नागरिक समाज के हितधारकों को एक मंच पर लाकर बहु-क्षेत्रीय संवाद को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित करता है.
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