नई दिल्ली: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच साल के दौरान भारत में प्राकृतिक ,अवैध शिकार और अन्य कारणों से कुल 628 बाघों की मौत हुई है. इस अवधि के दौरान बाघों के हमलों में 349 लोग मारे गए, जिनमें से अकेले महाराष्ट्र में 200 मौतें दर्ज की गईं.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुसार 2019 में 96 बाघों की मौत हुई, 2020 में 106, 2021 में 127, 2022 में 121 और 2023 में 178 बाघों की मौत हुई. आंकड़ों से पता चला है कि 2023 में बाघों की मौत की संख्या 2012 के बाद से सबसे अधिक है.
2023 में 82 लोग बने बाघों का शिकार
राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने गुरुवार को बताया कि 2019 और 2020 में बाघों के हमलों में 49-49 लोग मारे गए, जबकि 2021 में 59, 2022 में 110 और 2023 में 82 लोग मारे गए.
2022 में भारत में बाघों की संख्या 3 हजार से ज्यादा
उत्तर प्रदेश में बाघों के हमलों में कुल 59 लोगों की मौत हुई, जबकि मध्य प्रदेश में 27 लोग मारे गए. ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2022 में भारत में बाघों की संख्या 3,682 थी - जो दुनियाभर के वाइल्ड टाइगर्स की आबादी का लगभग 75 प्रतिशत है.
बता दें कि भारत ने बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी. शुरुआत में इसमें 18,278 वर्ग किलोमीटर में फैले नौ बाघ अभयारण्य शामिल थे. वर्तमान में भारत में 55 बाघ अभयारण्य हैं जो बाघों के आवास के 78,735 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करते हैं.
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