शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में मस्जिद की 3 अवैध मंजिलों की गिराया जाएगा. नगर निगम शिमला के आयुक्त कोर्ट ने इसकी अनुमति से जुड़े आवेदन पर ये फैसला दिया है.
मस्जिद कमेटी संजौली ने खुद आगे बढ़कर अवैध निर्माण को गिराने की अनुमति दिए जाने का आग्रह पत्र निगम आयुक्त को दिया था. शनिवार को चार बजे के बाद दूसरे राउंड की सुनवाई में कमिश्नर भूपेंद्र अत्रि ने कमेटी को अनुमति दे दी. कमिश्नर ने अपने आदेश में कहा कि वक्फ बोर्ड की देखरेख में अवैध निर्माण हटाया जाएगा.
मस्जिद की दूसरी, तीसरी व चौथी मंजिल का निर्माण हटाने का खर्च मस्जिद कमेटी को खुद उठाना होगा. इसके लिए दो महीने का समय दिया गया है. वहीं, मस्जिद के अन्य हिस्सों से जुड़े विवाद पर आगे भी सुनवाई जारी रहेगी. अगली सुनवाई 21 दिसम्बर को तय की गई है. इसके अलावा शनिवार को सुनवाई में आयुक्त की अदालत ने स्थानीय लोगों को मामले में पार्टी बनाये जाने के आवेदन को खारिज कर दिया.
उल्लेखनीय है कि संजौली मस्जिद कमेटी ने 12 सितंबर को खुद निगम कमिश्नर के ऑफिस जाकर अवैध मंजिलों को गिराने की अनुमति देने से जुड़ा आवेदन दिया था. उस आवेदन पर आज की सुनवाई में निगम आयुक्त ने ये फैसला दिया है.
शोएब जमई के आने से भड़का विवाद
संजौली की मस्जिद का विवाद सामने आने के बाद प्रदेशभर में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया. हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों मंडी, कुल्लू व बिलासपुर में मस्जिदों में अवैध निर्माण की शिकायतें की गईं. मंडी के जेल रोड में मस्जिद को सील कर उसका पानी व बिजली का कनेक्शन काटा गया. वहीं, संजौली मस्जिद को जाने वाले तीनों रास्तों में भारी संख्या में सशस्त्र पुलिस के जवान निरंतर तैनात हैं.
इसी दौरान शोएब जमई ने यहां मस्जिद में आकर वीडियो बनाया और उसे एक्स पर डाला. उसके बाद से हिंदू संगठन भड़क गए. दरअसल जमई ने आसपास की इमारतों को अवैध बताया और कहा कि इन पर कार्रवाई क्यों नहीं? उसके बाद जब मुस्लिम पक्ष को लगा कि बात बिगड़ रही है तो उसने तुरंत मीडिया को बुलाकर स्पष्ट किया कि वे शोएब जमई को नहीं जानते और उनके बयान का खंडन करते हैं.
आखिर कैसे सुलगा मस्जिद विवाद
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के मल्याणा इलाके में 30 अगस्त को दो समुदायों के बीच मारपीट की घटना हुई. आरोप है कि हमला करने वाले 6 मुस्लिम युवाओं में से कुछ ने मारपीट के बाद मस्जिद में आकर शरण ली. उसके बाद कांग्रेस के पार्षद नीटू ठाकुर सहित सैकड़ों लोगों ने संजौली की मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया. उसके बाद खुलासा हुआ कि संजौली की मस्जिद में ऊपर की कुछ मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है.
इस दौरान विधानसभा का मानसून सेशन भी चल रहा था और वहां कांग्रेस सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है. कैबिनेट मंत्री ने सदन में खुलासा किया कि 14 साल में मामले में 44 पेशियां हुई हैं, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया. मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग भरे सदन में कर डाली. उसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंज गया.
मस्जिद केस में अब तक क्या हुआ
नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री के अनुसार संजौली की मस्जिद में निर्माण का मामला वर्ष 2010 में सबसे पहले उठा था. मस्जिद कमेटी ने उस समय यहां पिलर का निर्माण किया था. उस पर कमेटी को नोटिस दिया गया. ये मामला वर्ष 2012 तक चलता रहा फिर मस्जिद कमेटी के प्रधान ने वक्फ बोर्ड से निर्माण के संबंध में एनओसी ले लिया. ये एनओसी देते समय वक्फ बोर्ड ने कहा कि स्थानीय कमेटी अपने स्तर पर निर्माण का फैसला कर सकती है, बशर्ते वो निगम प्रशासन से जरूरी अनुमतियां ले कर कंस्ट्रक्शन करें.
मस्जिद कमेटी ने एनओसी निगम में जमा किया. साथ ही मैप भी जमा किया, लेकिन उसमें बहुत सी कमियां थीं. निगम प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को मैप की कमियां दूर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन बाद में न तो मस्जिद कमेटी और न ही वक्फ बोर्ड ने निगम में मैप को लेकर कोई रिप्रेजेंटेशन दी फिर 2015 से 2018 के बीच तीन साल में मस्जिद की अवैध मंजिलों का निर्माण किया गया. साल 2019 में मस्जिद कमेटी को संशोधित नोटिस दिया गया और बाद में गलत निर्माण को लेकर जुलाई 2023 में वक्फ बोर्ड को नोटिस दिया. मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ को भी नोटिस दिया गया था, क्योंकि वक्फ से एनओसी उनके नाम पर जारी हुआ था.
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