जयपुर. कारगिल विजय दिवस आजाद भारत के लिए एक खास दिन है. हर साल 26 जुलाई को मनाये जाने वाले इस दिन के पीछे करीब 60 दिनों तक चली लड़ाई भी है, जो आज के दिन ही खत्म हुई थी. आज इस युद्ध की याद में मुख्य कार्यक्रम जम्मू-कश्मीर में LoC के करीब मौजूद द्रास सेक्टर में 'कारगिल वार मेमोरियल' पर मनाया जा रहा है.
यूं शुरू हुई थी जंग : दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते के तहत तय हुआ था कि ठंड के मौसम में दोनों देशों की सेनाएं जम्मू-कश्मीर में बेहद बर्फीले स्थानों पर मौजूद LoC को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली जाएंगी, क्योंकि सर्दियों में ऐसी जगहों का तापमान माइनस डिग्री में चले जाने के कारण दोनों देशों की सेनाओं को काफी मुश्किलें होती थीं. 1998 की सर्दियों में जब भारतीय सेना LoC को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली गईं, तो पाकिस्तानी सेना ने अपने करीब 5 हजार जवानों के साथ धोखे से भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया. इस दौरान घुसपैठियों के रूप में आई पाक सेना ने टोलोलिंग, तोलोलिंग टॉप, टाइगर हिल और राइनो होन समेत इंडिया गेट, हेलमेट टॉप, शिवलिंग पोस्ट, रॉकीनोब और 4875 बत्रा टॉप जैसी सैकड़ों पोस्टों पर कब्जा कर लिया था.
1999 की गर्मियों के दौरान जब भारतीय सेना दोबारा अपनी पोस्टों पर गई, तो पता चला कि पाकिस्तान सेना की तीन इंफेंट्री ब्रिगेड कारगिल की करीब 400 चोटियों पर कब्जा जमाए बैठी है. पाकिस्तान ने डुमरी से लेकर साउथ ग्लेशियर तक करीब 150 किलोमीटर तक कब्जा कर रखा था. भारतीय सेना को 4 मई 1999 को पाकिस्तान की हरकत के बारे में पता चला था, जिसके बाद जब 5 जवानों का गश्ती दल वहां पहुंचा तो घुसपैठियों ने उन्हें भयंकर यातनाएं देकर निर्ममता से उनकी हत्या कर दी थी और भारत को उनके क्षत-विक्षत शव सौंपे थे. इसके बाद भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों से अपने इलाके को खाली कराने के लिए एक अभियान शुरू किया जिसे 'ऑपरेशन विजय' के नाम से जाना गया.
मुश्किल थी ऑपरेशन विजय की राह : भारतीय सेना और वायुसेना ने ऑपरेशन विजय के तहत एक जॉइंट ऑपरेशन शुरू किया और मुश्किल हालात में कारगिल की चोटियों पर फतेह हासिल की. यह जंग इस लिहाज से मुश्किल थी कि भारत की सेना नीचे की ओर थी और पहाड़ की चोटी पर बैठकर पाकिस्तानी दुश्मन उन पर निशाना साथ रहे थे. इस जंग में भारत की तरफ से करीब 2 लाख जाबाजों ने शरीक होकर जीत को मुकम्मल किया था. जंग के बाद हालात कुछ यूं थे कि पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ. दुश्मन की फौज के 3000 सैनिक मारे गए, 1500 जख्मी हुए और 750 अपनी जान बचाकर भाग खड़े हुए. बताया जाता है कि शिकस्त से परेशान पाकिस्तान ने अपने सैनिकों के शव लेने से भी इंकार कर दिया था. इस मुश्किल जंग में भारतीय वायु सेना के मिग-27 और मिग-29 ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, तो पहाड़ियों पर होने वाली गोलीबारी के लिए पहली बार किसी जंग में बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल किया गया.
#25YearsofKargilVijay
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) July 25, 2024
On the occasion of Rajat Jayanti Samaroh #KargilVijayDiwas 2024, Hon’ble Prime Minister Shri Narendra Modi will lay a wreath at #KargilWarMemorial & pay homage to the #Bravehearts who displayed unparalleled bravery during ‘Operation Vijay’.
He will also… pic.twitter.com/lp9YpSsWG3
राजस्थान के वीर बांकुरों ने निभाई भूमिका : कारगिल में भारतीय सैनिकों के बीच राजस्थान के वीर सपूतों ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस लड़ाई में राजस्थान के करीब 60 सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी. इन सैनिकों में अकेले झुंझुनू जिले से 22 सैनिक शामिल थे. वहीं शेखावाटी के चूरू, झुंझुनू और सीकर को मिलाकर 36 वीर जवानों ने अपनी शहादत दी थी. सैनिक कल्याण बोर्ड के अनुसार राजस्थान के 60 शहीदों, इनमें 38 सिपाही, 15 नॉन कमिश्नड अफसर, 6 जूनियर कमिश्नड अफसर और एक अफसर शामिल थे.
महावीर चक्र विजेता दिगेंद्र का जुनून रहा हावी : कारगिल की लड़ाई में कोबरा हवलदार दिगेंद्र कुमार ने अकेले ही पाकिस्तान के 48 दुश्मनों को मार गिराया. दुश्मन के मेजर का गला काटकर उन्होंने टोलोलिंग चोटी पर तिरंगा ध्वज फहराया. इस युद्ध की यादों को साझा करते हुए दिगेंद्र सिंह बताते हैं कि उनके पास 18 ग्रेनेड थे, जिन्हें उन्होंने 11 बंकरों में डालकर पाकिस्तानी फौजियों को उड़ा दिया. इस हमले में पूरी यूनिट ने 70 से ज्यादा पाकिस्तानियों का खात्मा किया था. इस लड़ाई में खुद दिगेंद्र को भी पांच गोलियां लगी थी. टोलोलिंग की जीत कारगिल युद्ध में टर्निंग पॉइंट मानी जाती है. दिगेंद्र सिंह उर्फ कोबरा बताते हैं कि देश सेवा का जुनून उनके रगों में था. वे कुल 6 भाई हैं, जिसमें से चार भाई देश सेवा के लिए सेना में भर्ती हुए. जब कारगिल का युद्ध चल रहा था, तब उनके दो भाई भी अलग कंपनी के साथ करगिल युद्ध में दुश्मनों से मुकाबला कर रहे थे.