रुद्रप्रयाग(उत्तराखंड): केदारनाथ आपदा को 11 साल पूरे हो गए हैं. 16-17 जून को आई तबाही ने कई शहरों और गांवों को तबाह कर दिया था. इस बाढ़ में हजारों की संख्या में लोग बह गए, जिनमें से कई लोगों के शव आज तक नहीं मिले हैं. केदारनाथ आपदा में हजारों मौतें हुई थीं, इस दौरान केदारनाथ धाम भी पूरी तरह से बर्बाद हो गया था. धाम की व्यवस्थाएं पूरी तरह से पटरी से उतर गई थी. इन 11 सालों में केदारपुरी में जोरों शोरों से काम हुआ है. केदारपुरी भव्य हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास लगाव व विजन के बाद केदारपुरी का नजारा बदला हुआ नजर आ रहा है. जिसके कारण केदारनाथ धाम में दर्शन करने वालों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है.
केदारनाथ में चौराबाड़ी झील में बादल फटने से बहकर आया भारी मलबा, विशाल बोल्डर तबाही लेकर आये. उस समय किसी ने सोचा नहीं था कि धाम में शांत बहने वाली मंदाकिनी नदी विकराल रूप लेकर तबाही मचा देगी. उस रात सैलाब के रास्ते में आए सैकड़ों घर, रेस्टोरेंट और हजारों लोग बह गए. जब इस जल प्रलय के बारे में पता लगा तो पूरा देश शोक में डूब गया. आपदा में 4700 तीर्थ यात्रियों के शव बरामद हुए, जबकि पांच हजार से अधिक लापता हो गए. इतना ही नहीं आपदा के कई वर्षों बाद भी लापता यात्रियों के कंकाल मिलते रहे. इस त्रासदी में मृतकों की सही संख्या को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए गए, लेकिन अब धाम में पहले के मुकाबले काफी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. केदारनाथ धाम भव्य हो गया है. चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार बनाई गई है. मंदाकिनी व सरस्वती नदी में बाढ़ सुरक्षा कार्य किए गए हैं.
वर्ष 2013 से पहले जहां सीमित संख्या में तीर्थयात्री केदारनाथ दर्शन को पहुंचते थे, वहीं अब केदारपुरी के संवरने के बाद यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. आपदा में केदारनाथ पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया है. केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से लेकर धाम तक की पैदल दूरी अब 19 किलोमीटर हो गई है, लेकिन यह मार्ग तीन से चार मीटर चैड़ा किया गया है. वर्ष 2022 के बाद से केदारनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है. इन दिनों 20 हजार से अधिक तीर्थयात्री दर्शन को पहुंच रहे हैं.
केदारनाथ धाम में कुछ कार्य हुए, कुछ प्रगति पर: - 16/ 17 जून को आई जलवृष्टि, जलप्रलय, अतिवृष्टि एवं बाढ़ के कारण मन्दिर परिसर से जनपद के मुख्यालय तक भारी तबाही एवं जनहानि हुई. इस महा जलप्रलय एवं भीषण बाढ़ के कारण सम्पूर्ण केदारघाटी में भीषण नुकसान पहुंचा. इसके बाद राज्य सरकार की ओर से तत्काल राहत व बचाव कार्य किये. आपदाग्रस्त क्षेत्र में पुनर्निर्माण एवं नुकसान की मरम्मत की गई. साथ ही साथ पीड़ितों का पुनर्वास एवं क्षतिपूर्ति का समुचित उपाय व प्रबंधन किया गया. अभी तक केदारनाथ में कई पुनर्निर्माण संपन्न हो गये हैं, जबकि कई का कार्य प्रगति पर है.
20 अक्टूबर 2017 को पीएम मोदी पहुंचे केदारनाथ: साल 2017 में पीएम मोदी केदारनाथ पहुंचे. उन्होंने केदारनाथ के दर्शन किये. उनके दिये गये संबोधन में केदारनाथ धाम का पुनः विकास एवं बिखरे हुए स्वरूप का सौन्दर्गीकरण किये जाने का नये सिरे तथा नये मॉडल के रूप में विकसित किये जाने का संकल्प लिये जाने की घोषणा की गयी. इस घोषणा के तहत अब वर्तमान में पूरे धाम परिसर का सौंदर्यीकरण किये जाने के साथ-साथ मंदिर के पूरे मार्ग को एक पौराणिक व भव्य स्वरूप दिया जाना शामिल है. ताकि यात्री, आम आदमी, भक्तगण एवं तीर्थयात्री मंदिर व मंदिर के प्रवेश द्वार को काफी दूरी से पहली नजर में भव्य रूप में देख सके. केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ परिसर क्षेत्र के विकास के लिए मास्टर प्लान के तहत समस्त क्षेत्र को कुल 6 जोनों में विकसित किया गया है. विभाजित जोनों में से जोन-2 के अन्तर्गत मंदिर मार्ग को भव्य व पौराणिक स्वरूप देने लिये इस कार्य को सेन्ट्रल एक्सिस एवं एप्रोच जोन के रूप में एक प्रतिष्ठित व अनुभवी आर्किटेक्ट की सलाह व मॉडल तथा डिजाइन लेते हुए पूरा किया गया है.
केदारनाथ में तेजी से हो रहे पुनर्निर्माण कार्य: केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण एवं सौन्दर्गीकरण के लिए प्रस्तावित समस्त जोनों में से जोन 2 के अन्तर्गत मन्दिर के सेन्ट्रल एक्सिस एवं एप्रोच रोड का निर्माण कार्य हो रहा है. पत्थरों की आपूर्ति, बिछान तथा सर्कुलर प्लाजा का निर्माण कार्य पूरा किया गया है.केदारनाथ धाम के अन्तर्गत मन्दिर के सेन्ट्रल एक्सिस एवं एप्रोच मार्ग के दोनों ओर भवनों की सुरक्षात्मक प्रतिधारक दीवार एवं यूटिलिटी डक्ट का कार्य भी हो गया है. केदारपुरी के पुनर्निर्माण के अन्तर्गत 50 फीट चौड़े गलियारे का कार्य पूर्ण पूरा हो चुका है.
केदारनाथ सौंदर्यीकरण पर दिया जा रहा जोर: केदारनाथ धाम में संगम घाट के पुनर्विकास एवं पुनर्निर्माण का कार्य प्रगति पर है, जबकि प्राथमिक चिकित्सा, पर्यटक सुविधा केन्द्र का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. मंदाकिनी नदी की ओर वाटर एटीएम लगाने का कार्य हो चुका है. आस्थापथ में पंक्ति प्रबंधन, रेन शेल्टर, भार वाहक दीवार व सीढ़ियों का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है. इसके अलावा सिविक सेंटर का निर्माण, इंटरप्रिटेशन सेंटर एवं संग्रहालय का कार्य भी प्रगति पर है. गौरीकुंड में सुरक्षा गेट व सोनप्रयाग में रेन शेल्टर शेड का निर्माण किया जा चुका है.
भव्य हुई केदारपुरी, बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या: केदारनाथ धाम में प्रशासनिक कार्यालय व अस्पताल भवन निर्माण कार्य इन दिनों तेजी से किया जा रहा है, जबकि सरस्वती नदी की ओर वाटर एटीएम निर्माण हो चुका है. मंदाकिनी नदी आस्थापथ रेन शेल्टर का कार्य भी चल रहा है. सरस्वती प्लाजा एवं सिविक एमिनिटीज बिल्डिंग का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है. केदारनाथ धाम में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य भी चल रहा है. प्रवचन हाॅल के पीछे रेन शेल्टर का निर्माण कार्य जारी है. इसके अलावा केदारनाथ धाम में 54 मीटर स्पान सेतु का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है.ईशानेश्वर मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भक्त दर्शन कर रहे हैं. देवास्थानम भवन निर्माण कार्य, क्यू 2आई, क्यू 2जे व क्यू3 एल के तहत भवन निर्माण का कार्य भी प्रगति पर चल रहा है. इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों के आवास भी बन रहे हैं. ये सभी कार्य पूरा होने के बाद केदारपुरी का नजारा भव्य और दिव्य नजर आयेगा.
शंकराचार्य समाधि स्थल का पीएम ने किया लोकार्पण: केदारनाथ मंदिर के पीछे आपदा की भेंट चढ़ी आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल के पुनर्निर्माण का काम पूरा हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पर खुद आकर इस मूर्ति का लोकार्पण करके गए थे. इतना ही नहीं केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को आदि गुरु शंकराचार्य की यह मूर्ति बेहद अपनी और आकर्षित करती है. काले रंग के महत्वपूर्ण पत्थर से बनी यह मूर्ति केदारनाथ की भव्यता को और भव्य बना रही है.
केदारघाटी में बनी तीन ध्यान गुफा: आपदा के बाद से केदार घाटी में तीन ध्यान गुफा चर्चा में है. इसके साथ ही संगम स्थल पर श्रद्धालु स्नान और पूजा-अर्चना कर सकें, इसकी व्यवस्था भी राज्य सरकार की तरफ से की गई है. मंदाकिनी नदी के तट पर देश-विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए सुविधा का इंतजाम किया पूरा हो चुका है. ताकि बारिश और बर्फबारी के दौरान श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना न करना पड़े. इसके साथ ही मंदाकिनी तट के पास दुकानदारों के लिए भी व्यवस्था भी की गई है. ताकि मुख्य मार्ग पर दुकानों की वजह से भीड़ न जमा हो सके और पूजा-पाठ के बाद श्रद्धालु मंदाकिनी नदी के तट पर दुकानों का लुत्फ भी उठा रहे हैं.
इन निर्माण से और भव्य हुआ केदारनाथ
1- केदारनाथ की सुरक्षा के लिए तीन लेयर वाली सुरक्षा दीवार का निर्माण.
2- केदारनाथ में दो हेलीपैड बनाए गए हैं.
3- सरस्वती और अलकनंदा नदी में संगम घाट निर्माण.
4- रामबाड़ा से केदारनाथ के लिए नए रास्ते का निर्माण.
5- केदारनाथ मंदिर परिसर का विस्तार किया गया.
6- संगम से मंदिर मार्ग को 50 फीट चौड़ा किया गया.
7- लिनचौली को नए पड़ाव के रूप में विकसित किया गया.
8- यात्रियों को बारिश और बर्फबारी से बचाने के लिए टिन शेड का निर्माण.
रुह कंपा देने वाली थी केदारनाथ की तबाही: केदारनाथ आपदा का सिलसिला करीब 17 जून की सुबह तक जारी रहा. 16 जून की शाम को भैरवनाथ की ओर से इशारा मिलना शुरू हो गया था. भैरवनाथ की पहाड़ियों में भूस्खलन होने लगा था. ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे भैरवनाथ कोई बड़ा संकेत दे रहे हैं. आरती खत्म होने के बाद मंदिर के पीछे भारी मात्रा में मलबे के साथ पानी आया. फिर मंदिर के पीछे मंदिर शंकराचार्य समाधि स्थल और कई भवन मलबे में दब गए. पूरी रात-भर अफरा तफरी का माहौल रहा. तीर्थयात्री और स्थानीय व्यापारी सभी आस-पास रह रहे लोग केदारनाथ मंदिर के भीतर बचने के लिए चले गए. केदारनाथ बाजार की दुकानों में पानी भरना शुरू हो गया. पूरी रात भर बारिश जारी रही. 17 जून की सुबह 5 से 6 बजे के आस-पास इधर-उधर का रास्ता और पुलिया बही. गौरीकुंड जाने वाला पैदल मार्ग भी पूरी तरह ध्वस्त होने के साथ हेलीपैड भी ध्वस्त हो गया. चौराबाड़ी ताल में आवाजें आने लगी. चौराबाड़ी ताल से पानी की बौंछार इतनी तेजी से आई कि मंदिर के आस-पास दुकानों में पानी भर गया. आठ बजे के करीब पानी कम हुआ. जिसके बाद चारों ओर सिर्फ और सिर्फ शव ही शव नजर आ रहे थे. मंदिर के पीछे विशालकाय पत्थर आ गया था. जिसने बाबा केदार के मंदिर को इस तबाही से बचाया. इस विशालकाय पत्थर को भीमशिला का नाम दिया गया है.
केदारनाथ आपदा के वो गहरे जख्म
- केदारनाथ आपदा में 4400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए.
- 4200 से अधिक गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया.
- 2141 भवन पूरी तरह से नष्ट हो गए.
- जलप्रलय में 1309 हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई.
- सेना व अर्द्ध सैनिक बलों ने 90 हजार लोगों को रेस्क्यू किया.
- 30 हजार लोगों को पुलिस ने बचाए.
- 55 नरकंकाल सर्च ऑपरेशन में खोजे गए.
- 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगहों पर मारे गए.
- 11,000 से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए.
- 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई.
- 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया.
- 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए.
- 90 हजार यात्रियों को यात्रा मार्गों से सेना ने निकाला.
- 30 हजार स्थानीय लोगों को पुलिस ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया.
- 9 राष्ट्रीय व 35 स्टेट हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए.
- 2385 सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा.
- 86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल बह गए.
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