ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड के इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय के बाल्य रूप के करें दर्शन, तमिलनाडु से आए शिवाचार्यों ने की आराधना - Kartik Swami Temple Rudraprayag

Kartik Swami Temple Rudraprayag रुद्रप्रयाग में भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख पूजा और हवन कार्यक्रम आयोजित किया गया. तमिलनाडु के प्रसिद्ध 6 मंदिरों के शिवाचार्यों ने मंत्र-उच्चारण के साथ भगवान कार्तिकेय की दिव्य पूजा-अर्चना की. कार्तिक स्वामी मंदिर में भगवान कार्तिकेय बाल्य रूप में विराजमान हैं.

Kartik Swami Temple Rudraprayag
कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख पूजा आयोजित (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 16, 2024, 9:59 AM IST

Updated : May 16, 2024, 3:25 PM IST

भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में तमिलनाडु से आए शिवाचार्यों ने की पूजा (ETV Bharat)

रुद्रप्रयाग: क्रौंच पर्वत पर स्थित भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख पूजा और हवन, पर्यटन विकास परिषद उत्तराखंड, जिला प्रशासन और मंदिर समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया. कार्यक्रम में तमिलनाडु से आए मुख्य पुजारी माईलम एथेनम, कूनमपट्टी एथेनम, कौमारा मुत्त एथेनम और श्रृंगेरी मुत्तू सहित तमिलनाडु के प्रसिद्ध 6 मंदिरों के शिवाचार्यों ने दिव्य पूजा-अर्चना की और देश को आगे बढ़ाने की दुआ मांगी.

भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर का इतिहास: कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने गणेश और कार्तिकेय की परीक्षा ली और कहा कि जो पूरे ब्रह्मांड की सबसे पहले परिक्रमा करके वापस आएगा, उसकी पूजा सभी देवी-देवाओं में की जाएगी. अपने पिता की आज्ञा के बाद कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाने निकल गए, लेकिन भगवान गणेश ने मां पार्वती और पिता शिव के चक्कर लगाकर कहा कि आप ही मेरे लिए पूरा ब्रह्मांड हैं. वहीं, जब कार्तिकेय ब्रह्मांड की परिक्रमा करके वापस आए, तो देखा कि उनसे पहले गणेश वहां खड़े हैं. सभी बातों का पता चलने के बाद भगवान गणेश को श्रेष्ठ पद दिया गया. जिससे कार्तिकेय ने अपनी मां पार्वती से नाराज होकर यहां पर तपस्या की थी. इसके बाद वो दक्षिण भारत चले गए. दक्षिण भारत में कार्तिकेय की मुरुगन के रूप में पूजा की जाती है.

कार्तिक स्वामी मंदिर में भगवान कार्तिकेय बाल्य रूप में विराजमान : अपर सचिव यूकाडा (Uttarakhand Civil Aviation Development Authority) सी रविशंकर ने कहा कि भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर है, जहां पर भगवान कार्तिकेय बाल्य रूप में विराजमान हैं. उन्होंने कहा कि कार्तिकेय भगवान की दक्षिण भारत में मुरुगन स्वामी के नाम से विशेष रूप से आराधना की जाती है, यहां पर उनके बहुत अनुयायी हैं. वहीं, पर्यटन विभाग उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) भाष्कर खुल्बे ने कहा कि कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख से पूजा, हवन और दक्षिणा वर्त से स्वामी कार्तिकेय का भव्य जलाभिषेक किया गया है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के 6 मठों से मुरुगन (भगवान कार्तिकेय) की पूजा करने वाले लोग कार्तिकेय को प्रणाम करने यहां आए हैं.

पर्यटन को बढ़ावा देना उद्देश्य: जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने कहा कि कार्तिकेय स्वामी मंदिर में आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा कि कार्तिकेय मंदिर पर्यटन के मानचित्र पर उभरकर आए, इसके लिए पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित किया जा रहा है.

जिलाधिकारी ने शिवाचार्यों का किया स्वागत: बता दें कि तमिलनाडु से पुजारियों का जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने भव्य स्वागत किया और ड्रोन कैमरे के माध्यम से श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई. इसी बीच पद्मश्री शिवमणि और उनके साथियों ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी. गुरुजनों और अतिथियों को भी सम्मानित किया गया.

ये भी पढ़ें-

भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में तमिलनाडु से आए शिवाचार्यों ने की पूजा (ETV Bharat)

रुद्रप्रयाग: क्रौंच पर्वत पर स्थित भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख पूजा और हवन, पर्यटन विकास परिषद उत्तराखंड, जिला प्रशासन और मंदिर समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया. कार्यक्रम में तमिलनाडु से आए मुख्य पुजारी माईलम एथेनम, कूनमपट्टी एथेनम, कौमारा मुत्त एथेनम और श्रृंगेरी मुत्तू सहित तमिलनाडु के प्रसिद्ध 6 मंदिरों के शिवाचार्यों ने दिव्य पूजा-अर्चना की और देश को आगे बढ़ाने की दुआ मांगी.

भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर का इतिहास: कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने गणेश और कार्तिकेय की परीक्षा ली और कहा कि जो पूरे ब्रह्मांड की सबसे पहले परिक्रमा करके वापस आएगा, उसकी पूजा सभी देवी-देवाओं में की जाएगी. अपने पिता की आज्ञा के बाद कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाने निकल गए, लेकिन भगवान गणेश ने मां पार्वती और पिता शिव के चक्कर लगाकर कहा कि आप ही मेरे लिए पूरा ब्रह्मांड हैं. वहीं, जब कार्तिकेय ब्रह्मांड की परिक्रमा करके वापस आए, तो देखा कि उनसे पहले गणेश वहां खड़े हैं. सभी बातों का पता चलने के बाद भगवान गणेश को श्रेष्ठ पद दिया गया. जिससे कार्तिकेय ने अपनी मां पार्वती से नाराज होकर यहां पर तपस्या की थी. इसके बाद वो दक्षिण भारत चले गए. दक्षिण भारत में कार्तिकेय की मुरुगन के रूप में पूजा की जाती है.

कार्तिक स्वामी मंदिर में भगवान कार्तिकेय बाल्य रूप में विराजमान : अपर सचिव यूकाडा (Uttarakhand Civil Aviation Development Authority) सी रविशंकर ने कहा कि भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर है, जहां पर भगवान कार्तिकेय बाल्य रूप में विराजमान हैं. उन्होंने कहा कि कार्तिकेय भगवान की दक्षिण भारत में मुरुगन स्वामी के नाम से विशेष रूप से आराधना की जाती है, यहां पर उनके बहुत अनुयायी हैं. वहीं, पर्यटन विभाग उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) भाष्कर खुल्बे ने कहा कि कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख से पूजा, हवन और दक्षिणा वर्त से स्वामी कार्तिकेय का भव्य जलाभिषेक किया गया है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के 6 मठों से मुरुगन (भगवान कार्तिकेय) की पूजा करने वाले लोग कार्तिकेय को प्रणाम करने यहां आए हैं.

पर्यटन को बढ़ावा देना उद्देश्य: जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने कहा कि कार्तिकेय स्वामी मंदिर में आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा कि कार्तिकेय मंदिर पर्यटन के मानचित्र पर उभरकर आए, इसके लिए पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित किया जा रहा है.

जिलाधिकारी ने शिवाचार्यों का किया स्वागत: बता दें कि तमिलनाडु से पुजारियों का जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने भव्य स्वागत किया और ड्रोन कैमरे के माध्यम से श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई. इसी बीच पद्मश्री शिवमणि और उनके साथियों ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी. गुरुजनों और अतिथियों को भी सम्मानित किया गया.

ये भी पढ़ें-

Last Updated : May 16, 2024, 3:25 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.