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Know all about the 'Dog Temple' in Chhattisgarh!

In a bizarre incident, people in Chhattisgarh worship idol of a dog. The temple is situated in Chhattisgarh's Balod area. It is believed that if a dog bites someone, then the person has to pray in front of the 'kukur dev' in order to get cured.

Dog
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Published : Oct 5, 2019, 11:24 PM IST

Balod (Chhattisgarh): India’s culture and tradition are full of amazing rituals and exciting practices. There are several unexplained bizarre things that are unique to the country and one among this is the Dog Temple in Chhattisgarh's Balod area.

Do you know about the dog temple in Chhattisgarh?
Yes, you read that correctly. There is a temple in Chhattisgarh where ‘dog’ is worshipped as a god.
The story goes that there was once a banjara (gypsy) had a dog. During a famine, he had no money, so he gave up his dog as collateral to a moneylender.

One day, there was a theft in the moneylender's house. The dog saw where the thieves hid all the stolen goods and dragged the moneylender to the place, who retrieved the stolen goods.

The moneylender then wrote a letter to the banjara, expressing his gratitude for the dog, and further stated that he had written off all the debts owed by the banjara. He tied this letter to the dog's neck and sent him as a messenger to the banjara.

However, when the banjara saw his dog coming back from the moneylender's house, he beat the dog so hard with a stick that the dog died.

After the dog died, the banjara saw the letter around the dog's neck and realised what had actually happened.

In sorrow and guilt, he built a temple, in the memory of the dog called the Kukur Samadhi.

Statue of the dog made up stone is installed in the temple. The statue is worshipped in the same way God Nandi is worshipped.

Devotees offer prasad, light earthen lamps and pray for their wellbeing.

It is believed that if a dog bites someone, then the person has to pray in front of the 'kukur dev'.

After this, they do not need to have a dog bite injection and get cured themselves.

Balod (Chhattisgarh): India’s culture and tradition are full of amazing rituals and exciting practices. There are several unexplained bizarre things that are unique to the country and one among this is the Dog Temple in Chhattisgarh's Balod area.

Do you know about the dog temple in Chhattisgarh?
Yes, you read that correctly. There is a temple in Chhattisgarh where ‘dog’ is worshipped as a god.
The story goes that there was once a banjara (gypsy) had a dog. During a famine, he had no money, so he gave up his dog as collateral to a moneylender.

One day, there was a theft in the moneylender's house. The dog saw where the thieves hid all the stolen goods and dragged the moneylender to the place, who retrieved the stolen goods.

The moneylender then wrote a letter to the banjara, expressing his gratitude for the dog, and further stated that he had written off all the debts owed by the banjara. He tied this letter to the dog's neck and sent him as a messenger to the banjara.

However, when the banjara saw his dog coming back from the moneylender's house, he beat the dog so hard with a stick that the dog died.

After the dog died, the banjara saw the letter around the dog's neck and realised what had actually happened.

In sorrow and guilt, he built a temple, in the memory of the dog called the Kukur Samadhi.

Statue of the dog made up stone is installed in the temple. The statue is worshipped in the same way God Nandi is worshipped.

Devotees offer prasad, light earthen lamps and pray for their wellbeing.

It is believed that if a dog bites someone, then the person has to pray in front of the 'kukur dev'.

After this, they do not need to have a dog bite injection and get cured themselves.

Intro:बालोद।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति विभिन्न अनकही कहानियों को अपने अंदर समाए हुए हैं यहां भक्ति से जुड़े कई विभिन्न ना कहानियां पर ऐसी ही एक अनोखी कहानी है कुकुर देव की जी हां बालोद ज़िले के मालीघोरी में एक ऐसा मंदिर है जहां कुत्ते की पूजा होती है दरअसल यह पूजा ईमानदारी और स्वामी भक्ति की है पुरातत्व विभाग द्वारा इसे संजोने का प्रयास किया जा रहा है यह अपने आप मे एक ऐसा मंदिर है जो कि काफी विख्यात है शायद ही इसके जैसा और कोई मंदिर प्रदेश या देश मे हो जहां कुत्ते की पूजा की जाती है यहां प्राचीन विभिन्न पत्थरों पर नक्कासी है और कई मंदिर समूह भी यहां स्थापित है इस मंदिर को लेकर लोगों की इतनी आस्था है कि यहां नवरात्र में मनोकामना दीप भी प्रज्वलित होते हैं जैसे भगवान नंदी की पूजा होती है वैसे ही यहां कुत्ते की भी पूजा की जाती है और भगवान कुकुर देव की महिमा से यहां कुत्ते के कांटे हुए मरीज ठीक होकर जाते हैं।




Body:वीओ - दरअसल इस मंदिर के बारे में कहावत है कि फनी नागवंशी शासनकाल में 13 वी 14 वी शताब्दी में यहां बंजारे नाश करते थे और सेठ साहूकार की प्रक्रिया उस समय चलती थी इसी तरह बालोद के एक साहूकार से एक बंजारे ने कर्ज लिया हुआ था जहां बंजारे ने अपने बेहद प्रिय और इमानदार कुत्ते को उस साहूकार के पास कर्ज ना चुका पाने समय तक गिरवी में रखा हुआ था इसी समय उस साहूकार के यहां चोरी हुई जब चोरी हो रही थी तब कुत्ते ने भोकना छोड़ चोरी करते हुए ध्यान से देखा और चोरी का सामान कहां छुपाया है उसे भी देखा ऐसे ही सुबह हुई तो वक्ता साहूकार को भोंकते भोंकते उस जगह तक ले गया और चोरी का सामान उसे वापस दिलाया जिस जगह कुत्ता ले गया था उसी जगह चोरी का सामान दफन मिला कुत्ते की इमानदारी से साहूकार काफी प्रभावित हुआ और उसने कुत्ते को गले लगा कर कहा कि तुमने अपने मालिक का सहारा कर्ज़ छूट दिया है तुम मेरे लिए बहुत फ्री हो आज से तुम आजाद हो ऐसा कहते हैं उसके गले में कुत्ते के असली मालिक बंजारे के नाम के पत्थर लिखकर उसे वापस भेज दिया।

वीओ - कुत्ता बंजारे के पास वापस जा रहा था और बंजारा साहूकार के पास आ रहा था जहां रास्ते में उसने कुत्ते को देखा और कुत्ते पर गुस्सा हुआ कि ईमानदार नहीं है मैंने तुझे उसके पास गिरवी रखा था उस साहूकार को धोखा देकर मेरे पास भागा चला आ रहा है ऐसा कहते हुए उसने कुत्ते को वहीं पीट-पीटकर मार डाला कुत्ता मर गया उसकी नजर उसके गले में बंद है उस चिट्ठी से हुई जो साहूकार ने बंजारे के लिए लिखा हुआ था छुट्टी पढ़कर बंजारे को बेहद अफसोस हुआ और जाऊंगा को इसकी जानकारी मिली तो वह भी काफी उदास हो गया अनजाने में बंजारे ने एक ईमानदार कुत्ते की जान ले ली इस कुत्ते द्वारा बंजारे व साहूकार दोनों के साथ ईमानदारी दिखाया गया था इस कुत्ते की इमानदारी मिसाल बनी और बंजारे वह साहूकार द्वारा मिलकर ग्राम मालिघोरी में कुत्ते को दफन कर मंदिर की स्थापना की गई तब से आज तक यह लोगों की आस्था बनी हुई है।


Conclusion:इस मंदिर में पत्थरों से बने कुत्ते की मूर्ति स्थापित है जैसे भगवान नंदी की पूजा होती है वैसे ही कुत्ते की भी इसके दत्त ही यहां नवरात्र में ज्योत प्रज्वलित किये गए हैं और अन्य मंदिरों का समूह भी है इसे पर्यटन विभाग द्वारा संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है यह अपने आप मे इकलौता मंदिर है जब इस जैसे मंदिर की खोज की जाती है तो केवल माली घोरी का नाम सामने आता है।

बाइट - महेश राम साहू, केअर टेकर मंदिर

बाइट - गोपाल सिंह भक्त

बाइट - नारायण पटेल, भक्त।
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