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Varanasi to face acute water shortage due to heat, pollution

Holy river Ganga in Uttar Pradesh's Varanasi is losing its purity with rise in temperature and pollution across the nation. In the near future people are expected to face severe water shortage as the water level of river Ganga is dipping rapidly. The water quality is also degrading due to regular inappropriate disposal of sewage.

Varanasi to face acute water shortage due to heat, pollution
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Published : Jun 20, 2019, 9:53 PM IST

Updated : Jun 21, 2019, 12:18 AM IST

Varanasi: With rising temperature and pollution, the water level in river Ganga in Uttar Pradesh's Varanasi has witnessed a major dip which might lead to acute water shortage in the city.

Water supply department is expected to issue a red alert in the area in view of the shrinking river. The river bed is turning into barren land due to extensive exploitation of water resources.

People in Varanasi are forced to use the polluted water. They are facing a huge shortage of potable water as many drains and sewers are flowing down into the river without proper treatment.

Varanasi to face acute water shortage due to heat, pollution

Even the water pumps are getting defunct in the area as the water table in gradually going down.

In the past seven days, the water level of river Ganga has dipped from 58.29% to 57.99%.

During the inspection of Ganga in Varanasi, Union Cabinet Minister in Ministry of Jal Shakti Gajendra Singh Shekhawat also came across the deteriorating condition of the river water. At least three sewers are directly opened into the river without treatment.

On one hand, the water of the river is rapidly evaporating due to extensive heat and on the other hand, inappropriate disposal of sewage is polluting the river.

As much as 98% of Ganga river water is barred in dams in Uttrakhand and only 2% of water is provided in the plains for daily consumption, including irrigation.

Currently, more than 8400 MPN units, which is 10 times greater than the prescribed standard, is present in Ganga water.

Talking about the preventive measures, Water Works Department GM Neeraj Gaur stated that the people should conserve river water and also utilise the techniques of rain water harvesting and underground water discharging.

With suitable rainfall and not releasing sewage without proper treatment could help in maintaining appropriate water level in the river.
Efforts are being made to channelise the water in Ganga from Uttarakhand to equalize the water level across the river.

The administration is also working towards maintenance of water pumps and sewage treatment plants for effective relief from severe water shortage in the region.

Read:| Chardham Yatra 2019: Roads to heavenly abode lead to danger

Varanasi: With rising temperature and pollution, the water level in river Ganga in Uttar Pradesh's Varanasi has witnessed a major dip which might lead to acute water shortage in the city.

Water supply department is expected to issue a red alert in the area in view of the shrinking river. The river bed is turning into barren land due to extensive exploitation of water resources.

People in Varanasi are forced to use the polluted water. They are facing a huge shortage of potable water as many drains and sewers are flowing down into the river without proper treatment.

Varanasi to face acute water shortage due to heat, pollution

Even the water pumps are getting defunct in the area as the water table in gradually going down.

In the past seven days, the water level of river Ganga has dipped from 58.29% to 57.99%.

During the inspection of Ganga in Varanasi, Union Cabinet Minister in Ministry of Jal Shakti Gajendra Singh Shekhawat also came across the deteriorating condition of the river water. At least three sewers are directly opened into the river without treatment.

On one hand, the water of the river is rapidly evaporating due to extensive heat and on the other hand, inappropriate disposal of sewage is polluting the river.

As much as 98% of Ganga river water is barred in dams in Uttrakhand and only 2% of water is provided in the plains for daily consumption, including irrigation.

Currently, more than 8400 MPN units, which is 10 times greater than the prescribed standard, is present in Ganga water.

Talking about the preventive measures, Water Works Department GM Neeraj Gaur stated that the people should conserve river water and also utilise the techniques of rain water harvesting and underground water discharging.

With suitable rainfall and not releasing sewage without proper treatment could help in maintaining appropriate water level in the river.
Efforts are being made to channelise the water in Ganga from Uttarakhand to equalize the water level across the river.

The administration is also working towards maintenance of water pumps and sewage treatment plants for effective relief from severe water shortage in the region.

Read:| Chardham Yatra 2019: Roads to heavenly abode lead to danger

Intro:summary: गंगा में अभी तीन नाले सीधे जाकर मिल रहे हैं और गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं खुद मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी वाराणसी में अपने निरीक्षण के दौरान इस बात को माना है कि नालों को रोकने के लिए बनाए गए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से अब तक तीन नाले बनारस में नहीं जुड़ सके हैं जिसके बाद गंगा स्वच्छ निर्मल और अविरल कैसे होगी यह सवाल फिर से खड़ा हो रहा है.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी जिसको बाबा विश्वनाथ मा गंगा की वजह से जाना जाता है विश्व के सबसे पुराने शहर में लंबे वक्त से मां गंगा बह रही हैं और आज भी लोगों के पापों को धो कर उन्हें मुक्ति देने का काम कर रही हैं लेकिन इन सबके बीच यह बेहद कष्टदायक है कि जो गंगा मुक्ति दायिनी है मोक्ष प्रदायिनी है उस गंगा की हालत आज बद से बदतर होती जा रही है एक तरफ जहां गंगा में तेजी से पानी कम हो रहा है वही तेजी से गिर रहे नाले सरकारी दावों की हकीकत की पोल खोल रहे हैं. जिनके लिए सरकार अब तक हजारों करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार में मां गंगा के नाम पर राजनीति की और गंगा को स्वच्छ निर्मल करने के लिए एक मंत्रालय भी बना डाला लेकिन इन दावों की हकीकत वाराणसी में आज भी सरकार की कलई खोल रही है. हालात ये हैं कि गंगा में अभी तीन नाले सीधे जाकर मिल रहे हैं और गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं खुद मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी वाराणसी में अपने निरीक्षण के दौरान इस बात को माना है कि नालों को रोकने के लिए बनाए गए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से अब तक तीन नाले बनारस में नहीं जुड़ सके हैं जिसके बाद गंगा स्वच्छ निर्मल और अविरल कैसे होगी यह सवाल फिर से खड़ा हो रहा है.

ओपनिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र


Body:वीओ-01 केंद्र की मोदी सरकार ने बीते 5 सालों में गंगा के लिए क्या किया क्या नहीं किया यह तो अब पुराना हो चुका है लेकिन एक बार फिर से जब सत्ता में मोदी सरकार आई है तो उन्होंने गंगा मंत्रालय को खत्म कर जल शक्ति मंत्रालय का गठन कर दिया है इस मंत्रालय के अधीन ही गंगा के सारे प्रोजेक्ट अब संचालित किए जा रहे हैं और गंगा की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए मंत्री को 2 साल का वक्त मांग रहे हैं. बनारस दौरे पर पहुंचे जनशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 साल के अंदर गंगा को पूरी तरह से स्वच्छ और निर्मल किए जाने की बात कही है लेकिन इन सबके बीच उन्होंने बनारस में अब तक तीन नालों के गंगा में सीधे गिराए जाने की बात भी जिसके बाद जब ईटीवी भारत की टीम ने भी गंगा की वर्तमान स्थिति और निर्मलता की हकीकत जानी तो सच्चाई सामने आ गई आज भी नगवा इलाके में तेजी से एक नाला सीधे गंगा में आकर मिल रहा है जिसके बाद गंगा निर्मली करण की सच्चाई यहीं पर खत्म होती दिख रही है यही वजह है कि मोदी के मंत्री नवंबर तक बनारस में इन तीन नालों के गंगा में गिराए जाने से रोके जाने की बात कर रहे हैं लेकिन इन सबके बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नदी वैज्ञानिक और गंगा बेसिन अथॉरिटी के सदस्य रह चुके प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी का कहना है गंगा की निर्मलता उसकी अविरल ता पर निर्भर है लेकिन गंगा में पानी ही नहीं है जिस वजह से गंगा की स्थिति और बिगड़ रही है और गंगा में पानी कम होने की वजह से प्रदूषण की मात्रा भी गंगा में तेजी से बढ़ रही है. वहीं गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है सरकार के मंत्री और अधिकारी झूठ ना बोले यदि गंगा में नाले गिरना बंद हो गए होते तो सच में गंगा में वर्तमान स्थिति और भी दयनीय होती क्योंकि गंगा के 98% पानी को उत्तराखंड में ही बांधों में रोक लिया जा रहा है 2% पानी जो यहां आ रहा है वह सप्लाई और सिंचाई के लिए दूसरे राज्यों को दिया जा रहा है गंगा में गंगा का पानी है ही नहीं इन नालों की बदौलत ही गंगा की यह स्थिति काशी में देखने को मिल रही है. इसलिए मोदी सरकार के मंत्री झूठ बोलकर मोदी का नाम ना खराब करें.

बाईट- गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री
बाईट- प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी, नदी वैज्ञानिक
बाईट- आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती, महामंत्री गंगा महासभा


Conclusion:वीओ-02 फिलहाल सच तो यह है कि गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही कमी के बाद गंगा में बढ़ रहा प्रदूषण का स्तर सरकार के दावों की हकीकत बताने के लिए काफी है बनारस में लगातार गंगा के जलस्तर में कमी दर्ज हुई है केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो 1 सप्ताह पहले जहां वाराणसी में गंगा का जलस्तर 58.29 रिकॉर्ड हुआ था, वहीं अब यह घटकर 57.97 के लगभग पहुंच चुका है. वही गंगा में अब जलना ही नहाने योग्य और ना ही आचमन योग्य रह गया है खुद मोदी सरकार के मंत्री भी कह रहे हैं कि हमारा पहला लक्ष्य गंगा के जल को आचमन योग्य बनाना है वाराणसी में गंगा के जल में पॉल्यूशन लेवल की अगर बात की जाए तो वर्तमान में गंगा में टोटल कॉलीफॉर्म की मात्रा 8400 एमपीएन से ज्यादा है जो निर्धारित मानक से लगभग 10 गुना से भी ज्यादा है. किसी भी नदी में कॉलीफॉर्म की मात्रा से ही उस नदी के जल का नहाने योग्य होना या ना होना माना जाता है वही गंगा पर लगातार रिसर्च करने वाली अलग-अलग एजेंसियों के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो अपस्ट्रीम के अलावा डाउनस्ट्रीम खिड़कियां नाला और वरुणा के आसपास कोई भी जलचर गंगा में अब जिंदा रहने की स्थिति में है ही नहीं इसकी बड़ी वजह यह है कि d.o.b. प्रति लीटर 1, 2 व 0 है. जबकि सामान्य तौर पर या मानक के अनुसार 5 या उससे अधिक होना चाहिए कि कल कॉलीफॉर्म की बात करें तो इसके आंकड़े भी काफी ज्यादा है जिसका नतीजा यह है कि गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है और गंगा में गिरने वाले 33 सालों में से अधिकांश के बंद होने का दावा सरकार कर रही है. और 20 नालों के सीधे अलग-अलग स्टीव से कनेक्ट कर इसका पानी फिल्टर कर गंगा में छोड़े जाने का दावा हो रहा है लेकिन तीन नालों का पानी अभी भी सीधे गंगा में गिर रहा है जो गंगा के प्रदूषण के स्तर को बढ़ाते हुए सरकार के दावों को हवा हवाई बताने के लिए काफी है.

क्लोजिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र

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Last Updated : Jun 21, 2019, 12:18 AM IST
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