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Father stabs daughter for wanting to study

A daughter was stabbed by her father for expressing her desire to continue her studies. The police have taken the statement of the girl and are investigating into the matter.

Father stabs daughter for wanting to study
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Published : Jun 16, 2019, 11:46 AM IST

Shahjahanpur: In a shocking incident, a man from Shahjahanpur district in Uttar Pradesh allegedly stabbed his 15-year-old daughter with a knife and pushed her into a canal when she insisted that she wanted to continue her studies.

"My father took me to a desolate place near the canal. My brother joined him. While my brother restrained me with a cloth on the neck, my father repeatedly slashed at me from behind with a knife. I begged him to stop but he did not. He wanted me to stop my studies and get married instead," the girl told reporters.

The girl managed to swim away and escaped. The girl's brother-in-law told cops that she had been living with his family because her parents wanted to marry her off.

The police have taken the statement of the girl and are investigating into the matter.

No arrests have been made yet.

Read: Meet the famous mask artist from Assam

Shahjahanpur: In a shocking incident, a man from Shahjahanpur district in Uttar Pradesh allegedly stabbed his 15-year-old daughter with a knife and pushed her into a canal when she insisted that she wanted to continue her studies.

"My father took me to a desolate place near the canal. My brother joined him. While my brother restrained me with a cloth on the neck, my father repeatedly slashed at me from behind with a knife. I begged him to stop but he did not. He wanted me to stop my studies and get married instead," the girl told reporters.

The girl managed to swim away and escaped. The girl's brother-in-law told cops that she had been living with his family because her parents wanted to marry her off.

The police have taken the statement of the girl and are investigating into the matter.

No arrests have been made yet.

Read: Meet the famous mask artist from Assam

Intro:
संवाददाता नूंह मेवात।

स्टोरी ;- अरावली पर्वत की चोटी पर करीब 1300 ईसवीं में बना कोटला किला बदहाल।

जिले के कोटला गांव में अरावली पर्वत की चोटी पर करीब 1300 ईसवीं में नवाब नाहर खान ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए हजारों फुट ऊंचाई पर किले का निर्माण कराया। किले के चारों तरफ निगरानी के लिए मचाने बनवाई गई। सुरंग से लेकर घुड़साल और तालाब भी बनवाया गया था। घोड़ों को तिजारा राजस्थान की तरफ से किले तक पहुँचाया जाता था। कोटला गांव के चारों तरफ बड़ी चौड़ी और ऊँची दीवार थी। दुश्मनों से हिफाजत के लिए शाम ढलते ही दो दरवाजे थे, जिन्हें बंद कर दिया जाता था । किले के ठीक समीप से सदियों से पानी झरने बहते हैं। झरने के पानी से महिलाएं कपडे धोती हैं ,साथ ही पशुओं को भी लोग पानी पिलाते हैं। कई सौ फुट ऊंचाई से झरने का पानी गिरता है ,जो कुदरत का बेजोड़ नमूना है। इस मुकाम और ऊंचाई पर बने कोटला किले का जायजा लेने के लिए हमारी टीम ने जान जोखिम में डाल कर उबड़ -खाबड़ पहाड़ के रास्ते को पार करते हुए किले तक का सफर तय किया। बताया जाता है की कोटला की राजधानी को तहस -नहस करने के लिए राजाओं हमले , शायद उसी का नतीजा है की अरावली की चोटी पर इस किले का निर्माण नवाब नाहर खान ने किया। नाहर खान वंशज शहीद राजा हसन खान मेवाती थे ,जिनके नाम पर आज मेडिकल कालेज का नामकरण सूबे की सरकार कर चुकी है। हसन खान मेवाती ने राणा सांघा और बाबर के बीच जो युद्ध हुआ था ,उसमें हसन खान मेवाती ने बाबर का नहीं बल्कि राणा सांघा का साथ दिया था। उस वीर शहीद को आज भी लोग मेवात में याद करते हुए सीना चौड़ा कर लेते हैं। वतनपरस्ती के साथ -साथ हिन्दू -मुस्लिम भाई चारे को उस समय भी हसन खान मेवाती ने बढ़ाया था। इसके अलावा 1300 ईसवीं में ही फिरोजशाह तुगलक के वंशज ने बड़े विशालकाय पत्थरों से मस्जिद का निर्माण कराया। इस मस्जिद के निर्माण में गारे -मसाले का कम ही इस्तेमाल हुआ। हैरत इस बात की है की मेवात की इन ऐतिहासिक इमारतों की पुरात्तव विभाग लेकर केंद्र व सूबे सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया। किले का बदहाल होता जा रहा है। किले में एक गुफा है ,जिसकी गहराई आज तक कोई नहीं माप पाया। लोग बताते हैं की गुफा फिरोजपुर झिरका में जाकर निकली थी ,ऐसा भी तब हुआ जब गाय को ढूढ़ने के लिए लोग इस गुफा में उतरे थे। दिए के लिए सवा मन सरसों का तेल लेकर गए थे ,लेकिन गाय नहीं मिली। तक़रीबन 30 किलोमीटर दूर गाय ढूँढने वाले लोग फिरोजपुर झिरका में जाकर निकले। आज इस किले को जीर्णोद्धार की जरुरत है। ताकि इतिहास को जीवित रखने वाली इमारतों को आने वाली पीढ़ियां नजदीक से देख सकें।

बाइट ;- जाकिर कोटला ग्रमीण।
बाइट ;- शौकीन कोटला ग्रामीण।

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Body:
संवाददाता नूंह मेवात।

स्टोरी ;- अरावली पर्वत की चोटी पर करीब 1300 ईसवीं में बना कोटला किला बदहाल।

जिले के कोटला गांव में अरावली पर्वत की चोटी पर करीब 1300 ईसवीं में नवाब नाहर खान ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए हजारों फुट ऊंचाई पर किले का निर्माण कराया। किले के चारों तरफ निगरानी के लिए मचाने बनवाई गई। सुरंग से लेकर घुड़साल और तालाब भी बनवाया गया था। घोड़ों को तिजारा राजस्थान की तरफ से किले तक पहुँचाया जाता था। कोटला गांव के चारों तरफ बड़ी चौड़ी और ऊँची दीवार थी। दुश्मनों से हिफाजत के लिए शाम ढलते ही दो दरवाजे थे, जिन्हें बंद कर दिया जाता था । किले के ठीक समीप से सदियों से पानी झरने बहते हैं। झरने के पानी से महिलाएं कपडे धोती हैं ,साथ ही पशुओं को भी लोग पानी पिलाते हैं। कई सौ फुट ऊंचाई से झरने का पानी गिरता है ,जो कुदरत का बेजोड़ नमूना है। इस मुकाम और ऊंचाई पर बने कोटला किले का जायजा लेने के लिए हमारी टीम ने जान जोखिम में डाल कर उबड़ -खाबड़ पहाड़ के रास्ते को पार करते हुए किले तक का सफर तय किया। बताया जाता है की कोटला की राजधानी को तहस -नहस करने के लिए राजाओं हमले , शायद उसी का नतीजा है की अरावली की चोटी पर इस किले का निर्माण नवाब नाहर खान ने किया। नाहर खान वंशज शहीद राजा हसन खान मेवाती थे ,जिनके नाम पर आज मेडिकल कालेज का नामकरण सूबे की सरकार कर चुकी है। हसन खान मेवाती ने राणा सांघा और बाबर के बीच जो युद्ध हुआ था ,उसमें हसन खान मेवाती ने बाबर का नहीं बल्कि राणा सांघा का साथ दिया था। उस वीर शहीद को आज भी लोग मेवात में याद करते हुए सीना चौड़ा कर लेते हैं। वतनपरस्ती के साथ -साथ हिन्दू -मुस्लिम भाई चारे को उस समय भी हसन खान मेवाती ने बढ़ाया था। इसके अलावा 1300 ईसवीं में ही फिरोजशाह तुगलक के वंशज ने बड़े विशालकाय पत्थरों से मस्जिद का निर्माण कराया। इस मस्जिद के निर्माण में गारे -मसाले का कम ही इस्तेमाल हुआ। हैरत इस बात की है की मेवात की इन ऐतिहासिक इमारतों की पुरात्तव विभाग लेकर केंद्र व सूबे सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया। किले का बदहाल होता जा रहा है। किले में एक गुफा है ,जिसकी गहराई आज तक कोई नहीं माप पाया। लोग बताते हैं की गुफा फिरोजपुर झिरका में जाकर निकली थी ,ऐसा भी तब हुआ जब गाय को ढूढ़ने के लिए लोग इस गुफा में उतरे थे। दिए के लिए सवा मन सरसों का तेल लेकर गए थे ,लेकिन गाय नहीं मिली। तक़रीबन 30 किलोमीटर दूर गाय ढूँढने वाले लोग फिरोजपुर झिरका में जाकर निकले। आज इस किले को जीर्णोद्धार की जरुरत है। ताकि इतिहास को जीवित रखने वाली इमारतों को आने वाली पीढ़ियां नजदीक से देख सकें।

बाइट ;- जाकिर कोटला ग्रमीण।
बाइट ;- शौकीन कोटला ग्रामीण।

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Conclusion:
संवाददाता नूंह मेवात।

स्टोरी ;- अरावली पर्वत की चोटी पर करीब 1300 ईसवीं में बना कोटला किला बदहाल।

जिले के कोटला गांव में अरावली पर्वत की चोटी पर करीब 1300 ईसवीं में नवाब नाहर खान ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए हजारों फुट ऊंचाई पर किले का निर्माण कराया। किले के चारों तरफ निगरानी के लिए मचाने बनवाई गई। सुरंग से लेकर घुड़साल और तालाब भी बनवाया गया था। घोड़ों को तिजारा राजस्थान की तरफ से किले तक पहुँचाया जाता था। कोटला गांव के चारों तरफ बड़ी चौड़ी और ऊँची दीवार थी। दुश्मनों से हिफाजत के लिए शाम ढलते ही दो दरवाजे थे, जिन्हें बंद कर दिया जाता था । किले के ठीक समीप से सदियों से पानी झरने बहते हैं। झरने के पानी से महिलाएं कपडे धोती हैं ,साथ ही पशुओं को भी लोग पानी पिलाते हैं। कई सौ फुट ऊंचाई से झरने का पानी गिरता है ,जो कुदरत का बेजोड़ नमूना है। इस मुकाम और ऊंचाई पर बने कोटला किले का जायजा लेने के लिए हमारी टीम ने जान जोखिम में डाल कर उबड़ -खाबड़ पहाड़ के रास्ते को पार करते हुए किले तक का सफर तय किया। बताया जाता है की कोटला की राजधानी को तहस -नहस करने के लिए राजाओं हमले , शायद उसी का नतीजा है की अरावली की चोटी पर इस किले का निर्माण नवाब नाहर खान ने किया। नाहर खान वंशज शहीद राजा हसन खान मेवाती थे ,जिनके नाम पर आज मेडिकल कालेज का नामकरण सूबे की सरकार कर चुकी है। हसन खान मेवाती ने राणा सांघा और बाबर के बीच जो युद्ध हुआ था ,उसमें हसन खान मेवाती ने बाबर का नहीं बल्कि राणा सांघा का साथ दिया था। उस वीर शहीद को आज भी लोग मेवात में याद करते हुए सीना चौड़ा कर लेते हैं। वतनपरस्ती के साथ -साथ हिन्दू -मुस्लिम भाई चारे को उस समय भी हसन खान मेवाती ने बढ़ाया था। इसके अलावा 1300 ईसवीं में ही फिरोजशाह तुगलक के वंशज ने बड़े विशालकाय पत्थरों से मस्जिद का निर्माण कराया। इस मस्जिद के निर्माण में गारे -मसाले का कम ही इस्तेमाल हुआ। हैरत इस बात की है की मेवात की इन ऐतिहासिक इमारतों की पुरात्तव विभाग लेकर केंद्र व सूबे सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया। किले का बदहाल होता जा रहा है। किले में एक गुफा है ,जिसकी गहराई आज तक कोई नहीं माप पाया। लोग बताते हैं की गुफा फिरोजपुर झिरका में जाकर निकली थी ,ऐसा भी तब हुआ जब गाय को ढूढ़ने के लिए लोग इस गुफा में उतरे थे। दिए के लिए सवा मन सरसों का तेल लेकर गए थे ,लेकिन गाय नहीं मिली। तक़रीबन 30 किलोमीटर दूर गाय ढूँढने वाले लोग फिरोजपुर झिरका में जाकर निकले। आज इस किले को जीर्णोद्धार की जरुरत है। ताकि इतिहास को जीवित रखने वाली इमारतों को आने वाली पीढ़ियां नजदीक से देख सकें।

बाइट ;- जाकिर कोटला ग्रमीण।
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संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात।

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