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This special wedding is sending out all the right messages

This marriage in the Dalit-dominated Karoli village in Rajasthan challenged traditional social taboos and sent a strong message on gender equality, eco-friendliness and social justice to the society.

This special wedding is sending out all the right messages
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Published : Oct 18, 2019, 2:37 PM IST

Alwar: The city of Alwar in Rajasthan witnessed a unique wedding on October 14 that sent out several important messages to the society.

In this wedding, the bride rode a chariot to the groom's house as an initiative to send out the message of gender equality.

The duo- Ajay Jatav and Babita, got married in Karol village of the Alwar district, keeping the ceremony entirely plastic-free.

Another notable element in their wedding was that it was solemnised by the Indian Constitution and not by any priest.

The couple also donated books worth ₹30,000 to set up a free public library in the village to promote literacy.

This special wedding is sending out all the right messages

Ajay Jatav, who works in a private company in Hyderabad, said, "I didn't take any dowry and the invitation cards were sent digitally and printed on clothes for environmental protection."

Moreover, every guest at the wedding were gifted a copy of the Indian Constitution and a sapling.

Also read: Nobel winner Abhijit Banerjee supporting two poor students to get education

Alwar: The city of Alwar in Rajasthan witnessed a unique wedding on October 14 that sent out several important messages to the society.

In this wedding, the bride rode a chariot to the groom's house as an initiative to send out the message of gender equality.

The duo- Ajay Jatav and Babita, got married in Karol village of the Alwar district, keeping the ceremony entirely plastic-free.

Another notable element in their wedding was that it was solemnised by the Indian Constitution and not by any priest.

The couple also donated books worth ₹30,000 to set up a free public library in the village to promote literacy.

This special wedding is sending out all the right messages

Ajay Jatav, who works in a private company in Hyderabad, said, "I didn't take any dowry and the invitation cards were sent digitally and printed on clothes for environmental protection."

Moreover, every guest at the wedding were gifted a copy of the Indian Constitution and a sapling.

Also read: Nobel winner Abhijit Banerjee supporting two poor students to get education

Intro:एंकर इंट्रो....अलवर जिले के ग्रामीण क्षेत्र की एक दलित दूल्हे ओर दुल्हन ने अपनी शादी में मिशाल पेश की है। शादी में दुल्हन खुद बग्घी में सवार होकर दूल्हे के गांव में शादी स्थल पर पहुँची जहाँ दुल्हन का स्वागत किया गया। शादी में प्लास्टिक पृरी तरह से प्रतिबंधित था और शादी में आये रिस्तेदारो को गिफ्ट में पौधे देकर पर्यवारण को बचाने का संदेश दिया गया।

Body:अलवर जिले में दलित समाज के परिवार ने अनूठी शादी कर समाज के लोगो मे मिशाल पेश की है। एकोर जहाँ दहेज की खातिर बेटियो की मौत में मुंह मे धकेल दिया जाता है। वही दूसरी ओर कारोली गांव निवासी अजय सिंह ने अपनी खुद की बारात दुल्हन के घर ले जाने के बजाय दुल्हन को बग्घी पर बैठकर अपने यहाँ गांव में बारात लेकर बुलाया और उसका खुद ओर उंसके परिजनों ने स्वागत किया।
सामाजिक परम्पराओं और रूढिय़ों का हो तो यह और भी मुश्किल हो जाता है। पर अब बदलाव की बयार नजर आ रही है। अलवर जिले के तूलेड़ा गांव की अनुसूचित जाति की बेटी ने शादी में अपने वर को गांव नहीं बुलाया। बारात दुल्हन के तुलेड़ा गांव से उसके ससुराल कारोली गई। सोमवार को तुलेड़ा गांव की बबीता और कारोली गांव के अजय विवाह के बंधन में बंध गए। दोनों परिवारों की ओर से महिला समानता का संदेश देने के लिए यह पहल की गई।
सोमवार को हुई इस शादी में बकायदा बबीता की सुसराल के गांव में घुड़चढ़ी की तर्ज पर बग्घी में सवारी निकाली गई। इससे भी बढकऱ इस पूरी शादी में इको फ्रेंडली पर्यावरण का संदेश दिया गया। शादी में आए मेहमानों को पौधे दिए गए। दहेज के बहिष्कार वाली इस शादी में प्लास्टिक का भी उपयोग नहीं किया गया। डिस्पोजल की जगह खाने के लिए भी स्टील के बर्तन और प्लास्टिक के गिलास की जगह कुल्हड़ों का इस्तेमाल किया गया। शादी-विवाह में आमतौर पर प्लास्टिक के डिस्पोजल का उपयोग किया जाता है, लेकिन कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की गई पहल को ध्यान में रखते हुए दूल्हे ओर दुल्हन ने शादी में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण के लिए कपड़े पर निमंत्रण पत्र छपवाया ओर रिस्तेदारो को वितरण किया गया। डिजिटल इंडिया का उपयोग करते हुए रिश्तेदारों व मेहमानों को सोशल मीडिया के माध्यम से संदेश ओर कार्ड भेजे गए । विवाह में शामिल होने आए सभी मेहमानों को संविधान की पुस्तक और पौधे वितरित किए गए। यही नही गांव में युवाओ को आगे बढ़ाने के लिए दूल्हे अजय के द्वारा गांव में निशुल्क सार्वजनिक पुस्तकालय भी बनाया गया है। दूल्हे अजय जाटव ने बताया कि वे विवाह के मौके पर गांव में एक नि:शुल्क सार्वजनिक पुस्तकालय की शुरुआत कर रहे हैं। Conclusion:अजय हैदराबाद में एक कंपनी में नौकरी करते हैं, उन्होंने बताया कि वो चाहते हैं कि गांव के बच्चे और लोग साक्षर बने, इसी उद्देश्य से वे यह पहल कर रहे हैं।
इस विवाह को लेकर ग्रामीणों ओर समाज के लोगो भारी उत्साह दिखाई दिया और सभी जाति और धर्म के लोग शादी में शामिल हुए। सामाजिक कुरितियों का सामना करते आए गांव के लोग इस सकारात्मक पहल को लेकर खुश दिखे। कारोली गांव के सरपंच राजेश शर्मा ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी की इस पहल को मैं सलाम करता हूं। मेवात क्षेत्र में कई कुरीतियां है, गांवों में ऐसी शुरुआत का स्वागत करते हैं। वहीं तुलेड़ा के उप सरपंच जगदीश का कहना है कि ऐसे फैसलों से समाज को आगे बढऩे में सहायता मिलेगी।
बाईट...अजय... दूल्हा
बाईट..राजेश शर्मा..सरपंच
बाईट...ग्रामीण ओर रिश्तेदार
बाईट..ग्रामीण
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