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'School on wheels' helps underprivileged children in Gurugram

A school in Gurugram is helping underprivileged children have access to education on wheels. Sandeep Rajput came up with the idea of the Mobile school where children are taught in a van.

School on wheels helps underprivileged children in Gurugram
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Published : Sep 2, 2019, 10:58 AM IST

Gurugram: Despite many efforts by the government, underprivileged children are devoid of education. The distance between them and school widens due to their financial conditions. But a school in Gurugram is reducing the distance by bringing education on wheels.

A mobile school in Gurugram is being operated by Sandeep Rajput who helps underprivileged children to have access to education. Sandeep came up with this idea when he noticed the disparity in society.

In an effort to help children have access to education, he came up with the idea of mobile school.

School on wheels helps underprivileged children in Gurugram

With time, many volunteers joined Sandeep in the cause and taught children in a van. There are five mobile schools in the district with a total of about 300 students.

Sandeep received help from many people who donated clothes, books and other essential requirements to run the school.

Geeta Chhabra, a retired school teacher is actively involved in the cause and teaches children in Gurugram.

Parents of the children are happy with the initiative. Such acts of kindness help blossom great minds.

Also read: Ten year old battles cancer in Telangana

Gurugram: Despite many efforts by the government, underprivileged children are devoid of education. The distance between them and school widens due to their financial conditions. But a school in Gurugram is reducing the distance by bringing education on wheels.

A mobile school in Gurugram is being operated by Sandeep Rajput who helps underprivileged children to have access to education. Sandeep came up with this idea when he noticed the disparity in society.

In an effort to help children have access to education, he came up with the idea of mobile school.

School on wheels helps underprivileged children in Gurugram

With time, many volunteers joined Sandeep in the cause and taught children in a van. There are five mobile schools in the district with a total of about 300 students.

Sandeep received help from many people who donated clothes, books and other essential requirements to run the school.

Geeta Chhabra, a retired school teacher is actively involved in the cause and teaches children in Gurugram.

Parents of the children are happy with the initiative. Such acts of kindness help blossom great minds.

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Intro:आज हम आपको एक ऐसे शिक्षा के मंदिर का दर्शन करवाएंगे जो एक पुरानी बस में खुला है इस मंदिर में घंटी नहीं बजती लेकिन ठीक समय पर बच्चे पहुंच जाते है और वो भी छोटे बच्चे ही नहीं बल्कि इस शिक्षा के मंदिर में पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्र और छात्राए पढ़ते है ।


शॉट्स। ..... (इस बस को देखिये इसकी हालत देखकर आप अंदाजा लगा सकते है की ये कितनी पुरानी बस होगी। ... लेकिन इस बस में मासूम बच्चे पढाई करते है। यहाँ घंटी नहीं है लेकिन फिर भी बच्चे सुबह टाइम से 8 बजे स्कूल पहुंच जाते है और 12 बजे तक दिल लगाकर पढाई करते है। ..हालाकिं गर्मी का मौसम होने के कारण इस बस में कूलर पंखे भी इंतजाम है ताकि किसी भी तरह बच्चो को गर्मी से बचाया जा सके )



Body:ये साइबर सिटी गुरुग्राम के सेक्टर 15 स्थित मोबाईल स्कूल है। जहां बच्चो को बस में पढ़ाया जाता है। .इस स्कूल के संस्थापक ने उन बच्चो को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है जो बच्चे गरीब होते है सड़को पर घूमते है या फिर जिन माँ बाप के पास इतने पैसे नहीं होते की वो अपने बच्चो को पढ़ा सके ऐसे में इस स्कूल के संस्थापक ने दो साल पहले गुरुग्राम् में रहने वाले गरीब बच्चो के परिजनों से मुलाकात की । बच्चो के परिजनों ने अपनी गरीबी की दास्तान जब संस्थापक को सुनायी तो उन्होंने ऐसे बच्चो को पढ़ाने का बीड़ा उठाते हुए अपने दोस्त और कुछ समाज सेवियों की मदद से एक स्कूल की पुरानी बस खरीदकर उसकी सीट हटाकर टेबल कुर्सी लगाकर एक ऐसा स्कूल बना दिया जिसमें पहली क्लास से लेकर आठवी तक के बच्चे पढ़ने लगे।

बाइट =टीचर

संस्थापक ने स्कूल तो शुरू तो कर दिया लेकिन भीषण गर्मी के कारण बच्चे परेशान होने लगे , भीषण गर्मी को देखकर टीचर भी परेशान थे की आखिर इस समस्या से कैसे निपटा जाये लेकिन आसपास के लोगो ने टीचर की परेशानी भांपते हुए इस बस में लाइट कूलर पंखा लगा दिया जिससे आज इस स्कूल में 5 दर्जन से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे है। यहाँ बच्चो को पढ़ाने के लिए आर्मी के सरकारी स्कूलों की रिटायर्ड प्रिसिपल भी हैं जो इन गरीब बच्चो को निशुल्क पढ़ाती है । स्कूल में आने वाले बच्चो की माने तो जो समय वो खेलकूद में निकालते थे वो समय आज बच्चे पढ़ाई में लगा रहे है । स्कूल के बाद बच्चो को होमवर्क दिया जाता है ताकि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई में लगाया जा सके। वहीँ बच्चो के परिजनों ने भी इस स्कूल को काफी सराहा है।

बाइट =स्कूली बच्चे
बाइट =परिजन (स्कूली बच्चो के )


Conclusion:सरकार शिक्षा और रोजगार का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि साइबर सिटी में आज भी कई ऐसे गरीब परिवार है जिनके बच्चे शिक्षा से कोसो दूर है।
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