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How swachh is Delhi? ETV Bharat finds out

Swachh Bharat, a multi-billion-dollar program backed by money from the government and a World Bank loan, has indeed built millions of latrines, but Lal Kuan village, in Tughlakabad state assembly constituency of New Delhi still lacks behind basic amenities and people are forced to defecate in the nearby forest in the area.

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Published : May 21, 2019, 1:00 AM IST

New Delhi: Every morning around dawn, dozens of people gather by the forest area in Lal Kuan village, in Tughlakabad state assembly constituency of New Delhi, to do the same thing: defecate in the open.

The village lacks basic amenities. People do not have toilets in their houses as there is no sewage system. Even if someone happens to have a toilet in their house, it is constructed by digging a pothole, which has to be cleaned every 2 months.

The women here are forced to go to the nearby forest area for defecation. It was found that criminal incidents also happen in the area as the village is near the forest.

People expressed their resentment towards the government and questioned the Prime Minister's Swachh Bharat Abhiyan.

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They said that the PM had promised toilets will be built in every household of the country, but the Government has failed to provide facilities in Delhi itself.

People said that two toilets were constructed on behalf of the government outside the village but the toilets are locked.

People said that this problem has been in the area for many years. People reportedly complained about this to the present MP and MLA several times, but nobody solved this.

In 2014, Prime Minister Narendra Modi announced the “Swachh Bharat”, or “Clean India”, campaign and vowed to eliminate open defecation nationwide in five years.

Modi, who is seeking re-election for a second term in polls that concluded on Sunday, has often used the success of Swachh Bharat in campaigning. “We got more than 100 million toilets built,” he said at a rally in north India on Sunday.

Swachh Bharat, a multi-billion-dollar program backed by money from the government and a World Bank loan, has indeed built millions of latrines, but critics say official statistics paint an overly optimistic picture of its success.

Also Read: Opposition scared of losing 2019 polls: Union Minister Chaudhary

New Delhi: Every morning around dawn, dozens of people gather by the forest area in Lal Kuan village, in Tughlakabad state assembly constituency of New Delhi, to do the same thing: defecate in the open.

The village lacks basic amenities. People do not have toilets in their houses as there is no sewage system. Even if someone happens to have a toilet in their house, it is constructed by digging a pothole, which has to be cleaned every 2 months.

The women here are forced to go to the nearby forest area for defecation. It was found that criminal incidents also happen in the area as the village is near the forest.

People expressed their resentment towards the government and questioned the Prime Minister's Swachh Bharat Abhiyan.

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They said that the PM had promised toilets will be built in every household of the country, but the Government has failed to provide facilities in Delhi itself.

People said that two toilets were constructed on behalf of the government outside the village but the toilets are locked.

People said that this problem has been in the area for many years. People reportedly complained about this to the present MP and MLA several times, but nobody solved this.

In 2014, Prime Minister Narendra Modi announced the “Swachh Bharat”, or “Clean India”, campaign and vowed to eliminate open defecation nationwide in five years.

Modi, who is seeking re-election for a second term in polls that concluded on Sunday, has often used the success of Swachh Bharat in campaigning. “We got more than 100 million toilets built,” he said at a rally in north India on Sunday.

Swachh Bharat, a multi-billion-dollar program backed by money from the government and a World Bank loan, has indeed built millions of latrines, but critics say official statistics paint an overly optimistic picture of its success.

Also Read: Opposition scared of losing 2019 polls: Union Minister Chaudhary

Intro:2 अक्टूबर 2014 में स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार की ओर से शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य गलियों सड़कों और लोगों को शौचालय उपलब्ध कराना था इसी के तहत कई ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनाए गए और खुले में शौच मुक्त भारत की नींव रखी गई लेकिन हमें क्या पता था कि यह अभियान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछड़ ता हुआ नजर आएगा. देश की राजधानी जहां से सरकार चलती है जहां पर कई सुविधाएं हैं बड़ी-बड़ी इमारतें हैं लंबी चौड़ी सड़के हैं कई आलीशान मॉल है बावजूद इसके दिल्ली के पॉश इलाके साउथ दिल्ली में ही एक ऐसा गांव है जहां पर लोग सोच के लिए जंगलों में जाते हैं



Body:हम बात कर रहे हैं साउथ दिल्ली कि तुगलकाबाद का बाद विधानसभा में आनेवाले लाल कुआं गांव की. मेट्रो से महज कुछ दूरी के पास बसा यह गांव आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है तुग़लकाबाद विधानसभा की बात करें तो बीजेपी के सांसद रमेश बिधूड़ी यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं और 2014 में साउथ दिल्ली के लोक सभा सांसद बने थे

वर्तमान में तुग़लकाबाद के विधायक आम आदमी पार्टी के सही राम पहलवान है बावजूद इसके दिल्ली में एक ऐसा गांव है जिस की स्थिति ग्रामीण इलाके से भी बदतर है. हैरान करने वाली बात यह है दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी किसे कहा जाता है वहां पर आज भी कई ऐसे इलाके हैं जहां पर हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आती हैं जहां पर आज भी लोग बोतल लेकर जंगल में शौच के लिए जाते हैं जहां इसके कारण बच्चों के साथ और महिलाओं के साथ कई दुर्घटनाएं होती हैं


इस गांव की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब हम गांव में पहुंचे तो हमने देखा टूटी फूटी सड़कों से बना य गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से दूर है लोगों ने बताया कि गांव में फीवर नहीं है जिसके कारण कईयों के घर में शौचालय नहीं है और यदि किसी के घर में शौचालय है तो उन्होंने गड्ढा खोदकर शौचालय का इंतजाम किया हुआ है जिसे हर महीने या 2 महीने में खाली करवाना पड़ता है वही बात की जाए महिलाओं की और बच्चों की तो वह भी सोच के लिए जंगल में जाते हैं रात का समय हो क्या दिन का समय हर समय वह लोग जंगलों में जाने के लिए मजबूर होते हैं क्योंकि साउथ दिल्ली का लाल कुआं गांव पहाड़ी इलाके की तरह बसा हुआ है जिसके कारण इसके पास में ही काफी बड़ा जंगल है जिसमें कई अपराध भी आए दिन होते रहते हैं

जब हमने लोगों से बात की तो उन्होंने बताया की जंगल का इलाका होने के कारण कई ऐसे अपराधिक तत्व यहां पर आए दिन नजर आते हैं जिससे कई घटनाएं भी घटने की आशंका बनी रहती है महिलाओं का कहना था की जो जंगल है वहां पर वह बच्चे हो या महिलाओं के साथ किसी एक इंसान को लेकर शौच के लिए जाते हैं जंगल में जाना होता है तो अकेला वहां नहीं जाया जा सकता क्योंकि हर टाइम जंगल में कई ऐसे तत्व होते हैं जो जुआ खेल रहे होते हैं या शराब पी रहे होते हैं जिसके कारण वह किसी भी आपराधिक घटना को अंजाम दे सकते हैं

लाल कुआं में पहली बात तो शौचालय नहीं है और यदि शौचालय है तो लोगों ने गड्ढे खोदकर शौचालय का इंतजाम किया हुआ है दूसरी बात यह कि शौचालय ना होने के कारण लोग जंगलों में शौच के लिए जाते हैं जहां पर किसी ना किसी खतरे की आशंका बनी रहती है लोगों ने बताया यह समस्या कुछ सालों की नहीं है बल्कि कई सालों से यह समस्या इस गांव में बनी हुई है जिसकी कई बार मौजूदा विधायक हो या सांसद हो सभी से शिकायत की गई है बावजूद इसके कोई भी इसका हल निकाल कर नहीं दिया गया लोगों का कहना था कि हर बार चुनाव के समय नेता वोट मांगने आते हैं और कई वादे करके जाते हैं लेकिन उन वादों को पूरा नहीं किया जाता इस साल भी लोकसभा चुनाव के दौरान कई नेता वोट की अपील करने के लिए आए और गांव की समस्या को दूर करने का वादा करते हो जाए कहा था कि चुनाव से पहले गांव में सीवर की लाइन जो डाली गई है उसे चालू कर दिया जाएगा और लोग इसका इस्तेमाल कर पाएंगे लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद भी इसका निपटारा नहीं किया गया और ना ही चुनाव के बाद कोई भी इसका ओं की सुध लेने के लिए वापस आया.


Conclusion:जब लोगों से बात की गई तो उन्होंने सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की वही कई लोगों का कहना था कि आम आदमी पार्टी के विधायक सहीराम पहलवान की ओर से गांव में सीवर लाइन डाली गई लेकिन उससे अभी तक चालू नहीं किया गया. लोगों का कहना था कि जंगल मैं पूरा गांव सोच के लिए जाता है जिससे की कई बीमारियां भी लगातार बनी रहती है वहीं मच्छर मक्खियों की बात की जाए तो इस इलाके में मच्छर मक्खियों से कई बीमारियां फैलने का भी डर बना रहता है

भारत अभियान पर उठाए सवाल
लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीएम ने कहा कि सभी इलाकों में देश में हर एक घर में शौचालय बनाया जाएगा लेकिन दिल्ली में ही एक ऐसा गांव है जहां पर लोगों के घर शौचालय नहीं है लोग जंगलों में जा रहे हैं तो कहां है स्वच्छ भारत अभियान. लोगों का कहना था गांव के बाहर सरकार की ओर से एक-दो शौचालय बनाई भी गए हैं लेकिन वह शौचालय बंद है उनमें ताला लगा हुआ है. लोगों का कहना था कि जंगलों में शौच के लिए जाने के कारण इलाके में गंदगी भी लगातार फैल रही है कीचड़ कूड़े की बात की जाए तो अंबार लगा हुआ है और इसके कारण मच्छर मक्खी और कई बीमारिया फैलती है

गांव के ही एक निवासी बताते हैं गांव की समस्याओं को लेकर कई बार शिकायत की गई है लेकिन कोई सुनवाई नहीं की जाती पूरा गांव जंगल में शौच के लिए जाता है वही गांव में ना लिया टूटी पड़ी है सड़के नहीं है बावजूद इसके गांव में कोई सरकार ध्यान ही नहीं देती लोगों ने ईटीवी के माध्यम से सरकार से अपील की कि गांव में सुविधाएं की जाए साथी जो समस्याएं हैं उन्हें दूर किया जाए
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