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Congress troubles are on; infighting a major reason to worry with polls due in Haryana, Maharashtra

Congress infighting has made it really difficult for the party to contest Haryana and Maharashtra assembly polls peacefully. Important party leaders from both the states have raised questions on the way tickets were distributed.

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Published : Oct 5, 2019, 9:21 PM IST

New Delhi: Congress seems to be passing through endless troubles. As the grand old party prepares itself for the upcoming elections in Haryana and Maharashtra, important leaders from the two states have shown resentment with former Haryana Congress chief Ashok Tanwar resigning from the party, alleging corruption in ticket distribution and former Mumbai Congress chief Sanjay Nirupam, who has been an insider and close to the party leadership, slamming the party brass saying they are not aware of the ground realities.

He also has threatened to quit the party.

Congress troubles are on; infighting a major reason to worry with polls due in Haryana, Maharashtra

Tanwar, who resigned on Saturday, had alleged that those who worked against the party’s interests in the last five years have been given preference over those who worked hard for it. In a letter to Interim Congress President Sonia Gandhi, Tanwar had alleged that the Congress in Haryana had turned into the “Hooda Congress”.

Tanwar along with his supporters had protested in front of Sonia Gandhi’s residence here a few days ago. He alleged that poll tickets were being 'sold' in the poll-bound state.

The Congress had earlier this year replaced Tanwar as Haryana party chief with Kumari Selja, in a bid to curb infighting within the state unit. Selja too does not feature in the list of 90 candidates the party has announced for the Assembly polls.

Similarly in Maharashtra, Sanjay Nirupam said reportedly said that the leaders in Delhi are unaware of the ground reality. "The brass is totally disconnected as they stay away from campaigning. There is also no mechanism to take feedback from the party workers on the ground," he was quoted as saying by the media reports.

Nirupam also alleged that Congress loyalists were being sidelined and claimed that this was part of a conspiracy against former party chief Rahul Gandhi. He said around 20 of promising candidates were not given tickets by the Congress.

The ongoing tussle in the Congress is dangerous for the party that suffered a major blow during the general elections held earlier this year.

The assembly elections in Haryana and Maharashtra will be held on October 21.

Also Read: Defence minister approves four-fold increase to families of battle casualties

New Delhi: Congress seems to be passing through endless troubles. As the grand old party prepares itself for the upcoming elections in Haryana and Maharashtra, important leaders from the two states have shown resentment with former Haryana Congress chief Ashok Tanwar resigning from the party, alleging corruption in ticket distribution and former Mumbai Congress chief Sanjay Nirupam, who has been an insider and close to the party leadership, slamming the party brass saying they are not aware of the ground realities.

He also has threatened to quit the party.

Congress troubles are on; infighting a major reason to worry with polls due in Haryana, Maharashtra

Tanwar, who resigned on Saturday, had alleged that those who worked against the party’s interests in the last five years have been given preference over those who worked hard for it. In a letter to Interim Congress President Sonia Gandhi, Tanwar had alleged that the Congress in Haryana had turned into the “Hooda Congress”.

Tanwar along with his supporters had protested in front of Sonia Gandhi’s residence here a few days ago. He alleged that poll tickets were being 'sold' in the poll-bound state.

The Congress had earlier this year replaced Tanwar as Haryana party chief with Kumari Selja, in a bid to curb infighting within the state unit. Selja too does not feature in the list of 90 candidates the party has announced for the Assembly polls.

Similarly in Maharashtra, Sanjay Nirupam said reportedly said that the leaders in Delhi are unaware of the ground reality. "The brass is totally disconnected as they stay away from campaigning. There is also no mechanism to take feedback from the party workers on the ground," he was quoted as saying by the media reports.

Nirupam also alleged that Congress loyalists were being sidelined and claimed that this was part of a conspiracy against former party chief Rahul Gandhi. He said around 20 of promising candidates were not given tickets by the Congress.

The ongoing tussle in the Congress is dangerous for the party that suffered a major blow during the general elections held earlier this year.

The assembly elections in Haryana and Maharashtra will be held on October 21.

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Intro:अगले एक पखवाड़े बाद ही हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव है . वहां कांग्रेस की सीधी लड़ाई भाजपा से है .लेकिन कांग्रेस खुलेआम अपनी अंदरूनी लड़ाई
सड़क पर लड़ने में व्यस्त है .
अब पार्टी के लिए बड़ा झटका यह है हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा तक दे दिया और अपने 4 पेज की इस्तीफे मी कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्य के प्रभारी गुलाम नबी आजाद पर गंभीर आरोप लगाए हैं. अब आगामी चुनाव में ही साफ हो पाएगा किता मर का इस्तीफा और संजय निरुपम की खुली बगावत से पार्टी को कितनी क्षति होगी दिलचस्प है कि यह लड़ाई सोनिया गांधी और राहुल गांधी की टीमों के बीच है. और अब खुलम खुला है. राहुल खेलों का आरोप है पार्टी के अंदर राहुल गांधी को कमजोर करने की साजिश तेज है . इसके लिए पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भीतर घात कर रहे हैं! हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने जहां प्रदेश कांग्रेस को हुड्डा कांग्रेस कह कर पार्टी के अंदर भितरघात को सामने रख दिया वही महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने यह कह कर प्रदेश में कांग्रेस ज्यादातर सीटों पर जमानत तक नहीं बचा पाए भाजपा से लड़ने की कांग्रेस के अंदर की ताकत को उजागर करके रख दिया.

यह लड़ाई सिर्फ महाराष्ट्र और हरियाणा तक सीमित नहीं दिखी रही है. उत्तर प्रदेश में सोनिया गांधी की गढ़ रायबरेली से विधायक
आदित सिंह ने पार्टी को खुली चुनौती दे दी, जब उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. दिलचस्प है कि कांग्रेस अपने जिन नेताओं पर सख्ती कर रही है उनका आरोप है कि राहुल खेमे से हैं इसीलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है और उनका वजूद खत्म करने की साजिश की जा रही है.


Body:पिछले महीने तक हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक तवर समर्थकों को क्या पूछिए उन्हें खुद विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया . तमर को इसका अंदाजा था. इसीलिए विधानसभा के उम्मीदवारों की घोषणा की एक दिन पहले ही अशोक तंवर ने कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी की सरकारी निवास दस जनपथ के सामने अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया.

कांग्रेस में आमतौर पर देखने को नहीं मिलता कि सोनिया गांधी को
या गांधी नेहरू परिवार को कोई पार्टी कार्यकर्ता खुली चुनौती दे. अशोक तुम्हारी यही नहीं रुके एक दिन बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा हरियाणा में एक राजा की चलती है. प्रदेश में कांग्रेस का वजूद खत्म हो गया. वहां कांग्रेस, हुड्डा कांग्रेस बन गई .उन्होंने साफ कर दिया कि भी पार्टी के लिए प्रचार नहीं करेंगे.
राहुल गांधी ने 5 साल पहले हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी. सोनिया गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद तवर को हटाकर वहां कुमारी शैलजा को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया और चुनाव प्रबंधन का प्रभाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दिया गया. हुड्डा लंबे समय से नाराज थे और अंदर खाने पार्टी तोड़ने की धमकी दे रहे थे .
वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में शिवसेना से कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए संजय निरुपम ने बगावत के स्वर तेज कर दिए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी की नजदीकी के कारण उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है और उनकी सलाह के मुताबिक एक भी विधानसभा क्षेत्र में पार्टी ने किसी को टिकट नहीं दिया. नाराजगी इस कदर कि उन्होंने कॉन्ग्रेस के विधायकों के लिए जमानत बचाने की चुनौती तक दे डाली .कांग्रेस के अंदर कहां ने यह लड़ाई महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में ही नहीं दिख रही पार्टी की लड़ाई उत्तर प्रदेश में उस रायबरेली के अंदर दिख रही है जहां से कभी इंदिरा गांधी तो अब वर्तमान में सोनिया गांधी सांसद हैं. कांग्रेस के गढ़ से विधायक अदिति सिंह ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए विधानसभा में हिस्सेदारी कर प्रियंका गांधी की पदयात्रा में भाग लेने से इनकार कर दिया .पार्टी ने गांधी जयंती के अवसर पर व्हिप जारी कर निर्देश दिया था कि सभी कार्यकर्ता विधायक प्रियंका गांधी की पदयात्रा में हिस्सेदारी लेंगे. और विधानसभा की कार्यवाही में भाग नहीं लेंगे .अदिति ने उस व्हिप का उल्लंघन किया. जब उन्हें नोटिस जारी किया गया तो उन्होंने कहा कि सिर्फ हमारे ऊपर कार्रवाई क्यों की जा रही है? जो पार्टी को कमजोर कर रहे हैं !उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती! अब कांग्रेस के लिए सवाल का जवाब मुश्किल है
की पार्टी को कमजोर कौन कर रहा है!

दिलचस्प यह है खुद को पार्टी के अंदर नजरअंदाज महसूस कर रहा है वह खुद को राहुल गांधी का सिपाही कहता है .राहुल की मां सोनिया कांग्रेस की सुप्रीमो है. ऐसे में
सवाल अहम है कि क्या कांग्रेस के अंदर राहुल को कमजोर करने की लड़ाई बीजेपी के साथ चुनावी लड़ाई से बड़ी बन गई है.!


Conclusion:
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