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দিল্লি বিশ্ববিদ্যালয় থেকে সরানো হল ভগৎ সিং, নেতাজির মূর্তি

দিল্লি বিশ্ববিদ্যালয়ের কলা বিভাগ থেকে সরানো হল নেতাজি সুভাষচন্দ্র বোস, স্বাধীনতা সংগ্রামী ভগৎ সিং ও সাভারকরের মূর্তি ।

দিল্লি বিশ্ববিদ্যালয় থেকে সরানো হল ভগৎ সিং, নেতাজির মূর্তি
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Published : Aug 24, 2019, 1:33 PM IST

দিল্লি, 24 অগাস্ট : দিল্লি বিশ্ববিদ্যালয়ের কলা বিভাগ থেকে সরানো হল নেতাজি সুভাষচন্দ্র বোস, স্বাধীনতা সংগ্রামী ভগৎ সিং ও সাভারকরের মূর্তি । কিছুদিন আগেই বিশ্ববিদ্যালয়ের ছাত্র ইউনিয়নের সাধারণ সচিব পদে নিজের শেষ দিনে মূর্তিগুলি স্থাপন করেছিলেন শক্তি সিং নামে ABVP সদস্য । সেই মূর্তি স্থাপনের ঘোর বিরোধিতা করেছিল বিশ্ববিদ্যালয়ের বাম ও কংগ্রেস সমর্থিত ছাত্র সংগঠনগুলি । পরে ABVP-র তরফে মূর্তিগুলি সরিয়ে ফেলা হয় । জানা গেছে ,বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষের নির্দেশের পরেই সরানো হয় মূর্তি ।

মূর্তি স্থাপনের প্রতিবাদ জানাতে সাভারকরের মূর্তিতে কালি লাগিয়ে দেন NSUI-নেতা অক্ষয় লাকড়া । মূর্তি স্থাপন নিয়ে ঝামেলাও হয় কংগ্রেস সমর্থিত NSUI ও ABVP-র মধ্যে । বিষয়টি গড়ায় থানা পর্যন্ত । এরপর মূর্তিগুলি সরানোর নির্দেশ দেয় বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ । যার ফলে গতকাল গভীররাত 2টোর সময় সরানো হয় মূর্তি ।

এই বিষয়ে ABVP-র তরফে বলা হয়, "আমাদেরকে বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ আশ্বাস দিয়েছে যে ছাত্রসংসদ নির্বাচন সম্পন্ন হলে ফের মূর্তি বসানোর অনুমতি দেওয়া হবে । আমরা চাই না স্বাধীনতা সংগ্রামীদের নিয়ে কোনওরকম রাজনীতি হোক । এই কারণেই আমরা আপাতত মূর্তি সরিয়ে ফেলার সিদ্ধান্ত নিয়েছি ।" পাশাপাশি সাভারকরের মূর্তিতে কালি লাগোনোর ঘটনায় জড়িতদের বিরুদ্ধে আইনি পদক্ষেপ করার দাবিও করেছে ABVP ।

NSUI নেতা অক্ষয় লাকড়ার দাবি, "এই ঘটনা থেকে প্রমাণ হল যে ABVP যা খুশি তাই করতে পারে না । তারা বিনা অনুমতিতে এই মূর্তি বসিয়েছিল ।"

দিল্লি, 24 অগাস্ট : দিল্লি বিশ্ববিদ্যালয়ের কলা বিভাগ থেকে সরানো হল নেতাজি সুভাষচন্দ্র বোস, স্বাধীনতা সংগ্রামী ভগৎ সিং ও সাভারকরের মূর্তি । কিছুদিন আগেই বিশ্ববিদ্যালয়ের ছাত্র ইউনিয়নের সাধারণ সচিব পদে নিজের শেষ দিনে মূর্তিগুলি স্থাপন করেছিলেন শক্তি সিং নামে ABVP সদস্য । সেই মূর্তি স্থাপনের ঘোর বিরোধিতা করেছিল বিশ্ববিদ্যালয়ের বাম ও কংগ্রেস সমর্থিত ছাত্র সংগঠনগুলি । পরে ABVP-র তরফে মূর্তিগুলি সরিয়ে ফেলা হয় । জানা গেছে ,বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষের নির্দেশের পরেই সরানো হয় মূর্তি ।

মূর্তি স্থাপনের প্রতিবাদ জানাতে সাভারকরের মূর্তিতে কালি লাগিয়ে দেন NSUI-নেতা অক্ষয় লাকড়া । মূর্তি স্থাপন নিয়ে ঝামেলাও হয় কংগ্রেস সমর্থিত NSUI ও ABVP-র মধ্যে । বিষয়টি গড়ায় থানা পর্যন্ত । এরপর মূর্তিগুলি সরানোর নির্দেশ দেয় বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ । যার ফলে গতকাল গভীররাত 2টোর সময় সরানো হয় মূর্তি ।

এই বিষয়ে ABVP-র তরফে বলা হয়, "আমাদেরকে বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ আশ্বাস দিয়েছে যে ছাত্রসংসদ নির্বাচন সম্পন্ন হলে ফের মূর্তি বসানোর অনুমতি দেওয়া হবে । আমরা চাই না স্বাধীনতা সংগ্রামীদের নিয়ে কোনওরকম রাজনীতি হোক । এই কারণেই আমরা আপাতত মূর্তি সরিয়ে ফেলার সিদ্ধান্ত নিয়েছি ।" পাশাপাশি সাভারকরের মূর্তিতে কালি লাগোনোর ঘটনায় জড়িতদের বিরুদ্ধে আইনি পদক্ষেপ করার দাবিও করেছে ABVP ।

NSUI নেতা অক্ষয় লাকড়ার দাবি, "এই ঘটনা থেকে প্রমাণ হল যে ABVP যা খুশি তাই করতে পারে না । তারা বিনা অনুমতিতে এই মূর্তি বসিয়েছিল ।"

Intro:हटाने की फ़ोटो wrap से सेंड किया है ।

नई दिल्ली ।

दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट फैकल्टी में लगी वीर सावरकर, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस की मूर्तियों को रातों-रात हटा लिया गया है. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ(डूसू) के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन यह तीनों मूर्तियां आर्ट फैकेल्टी में स्थापित कराई थी जिसको लेकर एनएसयूआई और आईसा सहित तमाम संगठनों ने इसका विरोध किया था.


Body:डीयू के आर्ट फैकल्टी में शहीद भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस के साथ वीर सावरकर की मूर्ति को लगाने से बवाल बहुत बढ़ गया था. नौबत यहां तक आ गई थी कि एनएसयूआई के अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने सावरकर की मूर्ति पर कालिख तक पोत दी थी. साथ ही उन्हें देशद्रोही भी करार दे दिया था जिसके बाद एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच तना तनी और बढ़ गई थी और पुलिस थाने में भी शिकायतों का दौर जारी हो गया था. वहीं एबीवीपी द्वारा यह तीनों मूर्तियां रातों-रात आर्ट फैकल्टी से हटा ली गई. इसको लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि वह नहीं चाहते कि स्वतंत्रता सेनानियों के नाम को लेकर राजनीति हो इसलिए उन्होंने मूर्तियां हटा ली है. साथ ही कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि छात्र संघ चुनाव होने के बाद यह मूर्तियां पूरी प्रक्रिया के साथ वापस स्थापित कर दी जाएंगी.

वहीं एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव का कहना है कि स्वतंत्रता सेनानियों का इस तरह से अपमान करके एनएसयूआई ने अपनी विकृत मानसिकता को उजागर किया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों से जुड़े होने के चलते उन्होंने वीरों को भी नहीं बख्शा और गंदी राजनीति खेल कर उनका अपमान किया है जिसका खामियाजा उन्हें आगामी चुनाव के नतीजों में जरूर देखने को मिलेगा. एबीवीपी ने एनएसयूआई द्वारा सावरकर की मूर्ति का अपमान करने की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इस तरह की निम्न स्तरीय गतिविधियां करके एनएसयूआई ने देश के गौरव इन स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति अपनी असली सोच को उजागर किया है जिसका युवा पीढ़ी करारा जवाब देगी. साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से यह मांग की है कि जल्द से जल्द इन मूर्तियों की पुनर्स्थापना कराई जाए साथ ही इस तरह का घृणित कृत्य करने वाले छात्रों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए.




Conclusion:वहीं एनएसयूआई ने डीयू द्वारा मूर्ति हटा देने के फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि यह एबीवीपी के लिए एक सबक होगा कि वह अपने किसी भी अनुचित मंसूबे में कामयाब नहीं हो सकते. एनएसयूआई का कहना है कि सावरकर कोई देशभक्त नहीं बल्कि देशद्रोही है ऐसे में उनका सम्मान देश के लिए अपनी जान देने वाले वीरों के बराबर करना केवल छात्रों को भ्रमित करना ही है. एनएसयूआई का कहना है कि विरोध किए जाने और छात्रों के गुस्से के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को यह मूर्तियां हटानी पड़ी. इसके अलावा एनएसयूआई ने कहा कि वह इस तरह के छात्र हित में और राष्ट्रहित में आने वाले हर मुद्दे को भविष्य में भी उठाता रहेगा और इससे पीछे नहीं हटेगा.
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