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পঙ্গপালের উৎপাতে রাজস্থানে নষ্ট কয়েক লাখ হেক্টর জমির ফসল - জালোর

পঙ্গপালের উৎপাতের জের ৷ রাজস্থানের জালোর জেলায় 300-রও বেশি গ্রামে নষ্ট হল কয়েক লাখ হেক্টর জমির ফসল ৷ পঙ্গপালের মোকাবিলায় তৎপর নয় প্রশাসন, অভিযোগ কৃষকদের ৷

Locust attack at Jalore
পঙ্গপালের উৎপাতে জালোরে নষ্ট জমির ফসল
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Published : Jan 2, 2020, 3:40 PM IST

জালোর (রাজস্থা), 2 জানুয়ারি : পঙ্গপালের উৎপাতে ক্ষতিগ্রস্ত রাজস্থানের জালোর জেলার 300-রও বেশি গ্রাম । যার ফলে নষ্ট হয়েছে কয়েক লাখ হেক্টর জমির ফসল ৷ কৃষকদের সহায়তা করতে ব্যর্থ প্রশাসন । ফলে ব্যাপক ক্ষতির মুখে কৃষকরা ।

গতমাস থেকে জেলায় পঙ্গপালের উৎপাতে ঘুম উড়ে গেছে কৃষকদের । এখনও পর্যন্ত জেলার তিনশ'র বেশি গ্রামে কয়েক লাখ হেক্টর জমির ফসল নষ্ট করেছে এই পঙ্গপাল । নেহড় অঞ্চলে বারমের সীমান্তে দু'বার আক্রমণ করে গুজরাতের দিকে চলে যায় পঙ্গপাল । এরই মধ্যে 24 ডিসেম্বর ফের গুজরাত সীমান্ত থেকে সানচোর অঞ্চলে প্রবেশ করে পঙ্গপালের দল । 9 দিন ধরে জেলার 9টি বিধানসভা কেন্দ্রের 300টিরও বেশি গ্রাম ক্ষতিগ্রস্ত করেছে এই পতঙ্গ । সানচোর ও চিতলওয়ানা অঞ্চলে ফসলের সর্বাধিক ক্ষতি হয়েছে । সানচোর মহকুমা এলাকার 98টি গ্রাম এবং চিতলওয়ানা মহকুমার 72টি গ্রাম ক্ষতিগ্রস্ত হয়েছে । রানিওয়াড়া, ভিনমাল, সায়লা এলাকায় ব্যাপক ক্ষতি হয়েছে ।

পঙ্গপাল নির্মূল করার জন্য কৃষকদের সহায়তায় প্রশাসনের তরফে অভিযানও চালানো হয় । কিন্তু কৃষকদের সহায়তা করতে ব্যর্থ হয়েছে প্রশাসন । কৃষকরা বলছেন, "আমাদের আত্মহত্যা করা ছাড়া আর কোনও উপায় নেই ৷ সবকিছু শেষ হয়ে গেছে ।"

যখন গোটা দেশ নববর্ষ উদযাপনে ব্যস্ত, তখনই রাজস্থানের জালোর জেলার কৃষকেরা পঙ্গপালের আক্রমণ থেকে ফসল বাঁচাতে গভীর রাত পর্যন্ত নিজেদের জমি পাহারা দিয়েছেন । পঙ্গপাল নির্মূল করতে বারবার ব্যর্থ হচ্ছে প্রশাসন, যার ফলে ক্ষুব্ধ চাষিরা । সরকার সমস্যা সমাধানে ব্যর্থ হওয়ায় ধ্বংস হচ্ছে কৃষকদের ফসল ।

পঙ্গপাল রোধে কৃষকরা নিজেদের পর্যায়ে যথাসাধ্য চেষ্টা করছেন । পঙ্গপাল তাড়াতে কৃষকরা ঢোল ও থালা বাজিয়ে, জমিতে টায়ার জ্বালিয়ে ধোঁয়া করে ফসল বাঁচানোর চেষ্টা করছেন ।

জালোর (রাজস্থা), 2 জানুয়ারি : পঙ্গপালের উৎপাতে ক্ষতিগ্রস্ত রাজস্থানের জালোর জেলার 300-রও বেশি গ্রাম । যার ফলে নষ্ট হয়েছে কয়েক লাখ হেক্টর জমির ফসল ৷ কৃষকদের সহায়তা করতে ব্যর্থ প্রশাসন । ফলে ব্যাপক ক্ষতির মুখে কৃষকরা ।

গতমাস থেকে জেলায় পঙ্গপালের উৎপাতে ঘুম উড়ে গেছে কৃষকদের । এখনও পর্যন্ত জেলার তিনশ'র বেশি গ্রামে কয়েক লাখ হেক্টর জমির ফসল নষ্ট করেছে এই পঙ্গপাল । নেহড় অঞ্চলে বারমের সীমান্তে দু'বার আক্রমণ করে গুজরাতের দিকে চলে যায় পঙ্গপাল । এরই মধ্যে 24 ডিসেম্বর ফের গুজরাত সীমান্ত থেকে সানচোর অঞ্চলে প্রবেশ করে পঙ্গপালের দল । 9 দিন ধরে জেলার 9টি বিধানসভা কেন্দ্রের 300টিরও বেশি গ্রাম ক্ষতিগ্রস্ত করেছে এই পতঙ্গ । সানচোর ও চিতলওয়ানা অঞ্চলে ফসলের সর্বাধিক ক্ষতি হয়েছে । সানচোর মহকুমা এলাকার 98টি গ্রাম এবং চিতলওয়ানা মহকুমার 72টি গ্রাম ক্ষতিগ্রস্ত হয়েছে । রানিওয়াড়া, ভিনমাল, সায়লা এলাকায় ব্যাপক ক্ষতি হয়েছে ।

পঙ্গপাল নির্মূল করার জন্য কৃষকদের সহায়তায় প্রশাসনের তরফে অভিযানও চালানো হয় । কিন্তু কৃষকদের সহায়তা করতে ব্যর্থ হয়েছে প্রশাসন । কৃষকরা বলছেন, "আমাদের আত্মহত্যা করা ছাড়া আর কোনও উপায় নেই ৷ সবকিছু শেষ হয়ে গেছে ।"

যখন গোটা দেশ নববর্ষ উদযাপনে ব্যস্ত, তখনই রাজস্থানের জালোর জেলার কৃষকেরা পঙ্গপালের আক্রমণ থেকে ফসল বাঁচাতে গভীর রাত পর্যন্ত নিজেদের জমি পাহারা দিয়েছেন । পঙ্গপাল নির্মূল করতে বারবার ব্যর্থ হচ্ছে প্রশাসন, যার ফলে ক্ষুব্ধ চাষিরা । সরকার সমস্যা সমাধানে ব্যর্থ হওয়ায় ধ্বংস হচ্ছে কৃষকদের ফসল ।

পঙ্গপাল রোধে কৃষকরা নিজেদের পর্যায়ে যথাসাধ্য চেষ্টা করছেন । পঙ্গপাল তাড়াতে কৃষকরা ঢোল ও থালা বাজিয়ে, জমিতে টায়ার জ্বালিয়ে ধোঁয়া করে ফসল বাঁচানোর চেষ্টা করছেন ।

Intro: जिलेभर में टिड्डियों के हमले से 300 गांव प्रभावित हुए हैं, जिसके चलते लाखों हेक्टर फसलें पूरी तरह तबाह हो गई है। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन किसानों की मदद करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।Body:भीनमाल. दिसंबर माह में जिले में टीडी के हमले ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। अब तक जिले में करीब 300 से अधिक गांवों में लाखों हेक्टर फसल टिड्डी दल चट कर चुका है। दो बार नेहड़ क्षेत्र में बाड़मेर सीमा से टिड्डी दल ने हमला किया उसके बाद गुजरात की तरफ चला गया इसी बीच 24 दिसंबर को टिड्डी ने फिर से गुजरात की सीमा से सांचौर क्षेत्र में प्रवेश किया। इसके बाद यह पिछले 9 दिनों से अलग-अलग समूह में होते हुए जिले के पांच विधानसभा क्षेत्र में करीब 300 से अधिक गांवों को अब तक नुकसान पहुंचा चुका है। सबसे ज्यादा सांचौर व चितलवाना के क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचाया है। सांचौर उपखंड क्षेत्र के 98 व चितलवाना उपखंड के 72 गांव चपेट में आये है।
इसके बाद रानीवाड़ा, भीनमाल, सायला क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाया है अभी भी क्षेत्र में टिड्डी का खतरा किसानों के खेतों में मंडरा रहा है।

प्रशासन के बचाव अभियान असफल, किसान हुए बर्बाद :

टिड्डी दल खत्म करने को लेकर प्रशासन ने किसानों से सहयोग लेकर अभियान चलाया। अभियान पूरी तरह असफल रहे है, जानकारी अनुसार टिड्डियों की तादाद ज्यादा होने प्रशासन किसानो की कोई मदद नहीं कर पा रहा है। जिसके चलते किसानों की फसल चौपट हो गई है। जिससे किसान काफी खफ़ा है।

किसान बोले हम मरने को मजबूर हमारा सब कुछ तबाह हो गया :

जहां पूरा देश नए वर्ष के जश्न में डूबा था वही राजस्थान के जालौर जिले के किसान टिड्डी दल के हमले के सदमे से बाहर नहीं आए थे और लगातार उन पर हमले का खतरा भी मंडरा रहा था जहां किसान देर रात तक अपने खेतों में टिड्डियों से बचने के लिए डेरा जमाए बैठे थे, वही देशभर में लोग नए वर्ष का जश्न मना रहे थे जिले भर में किसान करीब 10 दिनों से अपने परिजनों के साथ रात भर अपने खेतों की रक्षा करते हैं प्रशासन टिड्डी दल के हमले से नाकाम साबित हो रहे हैं, जिसके चलते लोग खासा परेशान है। सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने के चलते किसानों की फसलें तबाह हो गई।

टिड्डियों से बचने के लिये किसान अपने स्तर पर कर रहे है जतन :

जिले भर में किसान टिड्डियों के हमले से खफा है वहीं प्रशासन के प्रयास भी पूरी तरह असफल दिखाई दे रहे हैं। जिसके तहत किसान अपने स्तर पर कई जतन करते दिखाई दे रहे हैं। किसान टिड्डियों से बचने के लिए ढोल और थाली बजाकर टिड्डियों को भगाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं खेतों में टायर जलाकर धुआ कर फसलों को बचाया जा रहा है। इसी तरह किसान टिड्डियों से बचने के लिए अपने स्तर पर कई तरह के जतन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि टिड्डियों के भगाने के लिए हमारे घर में जो भी बर्तन होते हैं वह भी टूट गए हैं जितनी मात्रा में बर्तन होते हैं वह टिड्डियों के आने पर सभी परिवार के लोग लेकर बजाना शुरू हो जाते हैं। किसानों का कहना है कि इसके अलावा कर भी क्या सकते हैं अगर इस तरह नहीं किया जाए तो टीडी हमारी फसल चौपट कर देती है। इसके लिए हमारी ओर से इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।Conclusion:बाईट 1 - अमराराम, किसान

बाईट 2 - भीम सिंह, किसान

बाईट 3 - रामाराम, किसान

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