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इको सेंसिटिव जोन का जोनल मास्टर प्लान हुआ तैयार, स्थानीय लोगों के लिए खुली विकास की राह - पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र

पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने 18 दिसंबर 2012 में उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम तक के 100 किमी के क्षेत्र को भागीरथी नदी और पर्यावरण सरक्षंण के दृष्टिकोण से इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था. जिसके अंतर्गत भटवाड़ी ब्लॉक के करीब 88 गांव प्रभावित हो रहे थे. अब इसके लिए जोनल मास्टर प्लान तैयार किया है.

eco sensitive zone
इको सेंसिटिव जोन

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Published : Jul 24, 2020, 6:25 PM IST

उत्तरकाशीःसीमांत जनपद उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम तक के 100 किमी दायरे के इको सेंसिटिव जोन के मास्टर प्लान को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है. इस जोनल मास्टर प्लान को पर्यावरण मंत्रालय की ओर से बीते 16 जुलाई को मंजूरी दी गई थी तो वहीं, अब शासन और प्रशासन को भी इस जोनल मास्टर प्लान के तहत इको सेंसिटिव जोन में मिली रियायतों की गाइडलाइन मिल गई है. ऐसे में अब करीब 100 किमी के दायरे के इस क्षेत्र में जोनल मास्टर प्लान से विकास की उम्मीद बढ़ी है. क्योंकि, इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत भागीरथी नदी और इसके आसपास में पर्यावरण से किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता था.

इको सेंसिटिव जोन का जोनल मास्टर प्लान हुआ तैयार.

बता दें कि, 18 दिसंबर 2012 में पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम तक के 100 किमी के क्षेत्र को भागीरथी नदी और पर्यावरण सरक्षंण के दृष्टिकोण से इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था. जिसके अंतर्गत भटवाड़ी ब्लॉक के करीब 88 गांव प्रभावित हो रहे थे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से इसकी निगरानी के लिए एनजीटी का गठन किया गया था. स्थानीय लोगों के विरोध और विकास कार्यों को देखते हुए इसके लिए दो साल के भीतर जोनल मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश थे, लेकिन 'देर आए दुरुस्त आए' 8 साल बाद उत्तराखंड सरकार, जिला प्रशासन और इसमें शामिल 32 विभागों की ओर से तैयार किए गए जोनल मास्टर प्लान को भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है.

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वहीं, जोनल मास्टर प्लान की मंजूरी मिलने के बाद स्थानीय लोगों को विकास की राह खुलने की उम्मीद खुल गई है. साथ ही गंगोत्री धाम तक के ऑल वेदर रोड से जुड़ने का संशय भी खत्म हो गया है तो वहीं, इसके लिए मुहिम भी शुरू हो गई है. इको सेंसिटिव जोन के कारण भागीरथी नदी पर दो जल विद्युत परियोजनाएं बंद हो गई हैं. जिसे लेकर भी स्थानीय लोगों में उम्मीद है कि अगर ये परियोजनाएं खुल जाती है तो क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के अवसर खुलते.

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